’’ देशी शिक्षा अंग्रेजी ’’
अंग्रेज जा चुके हैं
पर अंग्रेजी पढा गये
रटा रटा कर हमसे
मातृभाषा छुड़ा गये।
युग परिवर्तन के चक्कर मे
आज हम सुध खो रहे हैं।
शिशु मंदिर के स्थान पर, नित्य-
पब्लिक स्कूल खोल रहे है।
स्तर चाहे नीचा हो,
पर-
नाम -हेवेन, गार्डेन, पब्लिक, सेन्चुरी
लेकर काम ट्यूटरो से
क्या देना उनको मजदूरी।
त्याग कर आसा वेतन का
आते ट्यूटर करने काम
पढाते तब हैं बच्चो को
:सीटीः माने बाजा:रैटः माने दाम।
रफ्तार अगर ऐसी रही,
तो
देश तरक्की कर जायेगा
शिक्षा जगत मे भारत का
नाम
अव्वल दर्जे मे गिनायेगा।
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