शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

"पत्रकारिता का धर्म"

"पत्रकारिता का धर्म"


पत्रकारिता का धर्म और धेय :-

"" न स्याही के दुश्मन, न सफेदी के दोस्त।
हमको आइना दिखाना है ,दिखा देते हैं।""

सत्य घटना "ईश्वर की लीला"

सत्य घटना:-

"ईश्वर की लीला"

इसे कहते है नियति का खेल।

 ईश्वर की लीला और मर्जी के आगे भला किसी का अब तक चला है ?

"यह कोई कहानी नही हकीकत है, सत्य घटना है"

"शादी के दौरान ठंड लगने से दुल्‍हन की मौत, डोली में शव लेकर लौटा दूल्हा "

 बिहार की राजधानी पटना के बख्तियारपुर में एक शादी की खुशी उस समय मातम में बदल गई, जब दुल्हन बनी सोनी की डोली उठने की जगह कुछ ही समय पहले उसकी मांग में सिंदूर भरने वाले पति ने उसकी अर्थी को कंधा देकर गंगा घाट पहुंचाया. बख्तियारपुर के टेका बिगहा गांव की सोनी कुमारी का विवाह बरियारपुर के नया टोला निवासी विंदा राय के पुत्र दयानंद के साथ रविवार 13 दिसम्बर 2015 की रात हुआ था. शादी में वर-वधू के विवाह की रस्में अंतिम चरण में थीं, सिंदूरदान हो चुका था. जब वर-वधू बड़ों का आशीर्वाद लेने उठे तो अचानक दुल्हन गिरकर बेहोश हो गई. उसे तुरंत बख्तियारपुर के निजी क्लिनिक ले जाया गया. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

बताया कि ठंड लगने से मौत हुई है. इस घटना के बाद वर एवं वधू पक्ष को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करें. सोनी के घरवाले अपनी लाडली को डोली में बिठाकर विदा करने की तैयारी में जुटे थे, लेकिन अब उसकी अर्थी सजाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा था. किसी ने नहीं सोचा था कि दूल्हा पत्नी के शव की विदाई कराकर ले जाएगा. डॉक्टरों ने बताया कि रातभर ओस में रस्में पूरी करते-करते सोनी को ठंड लग गई, जिससे उसकी मौत हो गई. दुल्हन की मौत के बाद भी दूल्हा दयानंद ने उसका साथ नहीं छोड़ा. निष्प्राण दुल्हन की विदाई करवाकर दयानंद उसे अपने घर ले गया और गंगा किनारे मुखाग्नि देकर वैदिक रीति से अंतिम संस्कार किया. इस अनहोनी घटना से सोनी के पिता रवींद्र सिंह का रो-रोकर बुरा हाल है. कुछ ही घंटे पहले पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेनेवाले दयानंद के आंसू थम नहीं ले रहे हैं.