रविवार, 3 मार्च 2019

महाशिवरात्रि कल , आइये जाने पुजन विधि-विधान और शिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि कल, जाने शिवरात्रि का महत्व,शुभ मुहूर्त और पूजन विधान


फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली महाशिवरात्रि 4 मार्च 2019, सोमवार को सायं 16:28 बजे से आरंभ होगी, जबकि धनिष्ठा नक्षत्र के अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत 5 मार्च 2019, मगलवार को रखा जाएगा।

महाशिवरात्रि पूजाविधि अनुसार करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने मात्र से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्त को मनचाहा वरदान दे देते हैं।

           शिवरात्रि पूजा विधि के अनुसार शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने से मन की शांति प्राप्त होती है। अगर आप भी महाशिवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो बता दें कि शिवरात्रि व्रत का नियम भी होता है, अगर आपने शिव पूजा में महाशिवरात्रि व्रत के नियम का पालन किया तो शिवलोक की प्राप्ति अवश्य होगी।

 आइये जानते हैं महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त एवं शिवरात्रि पूजा विधि...

महाशिवरात्रि 2019 शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि 2019 तिथि : 4 मार्च 2019

चतुर्दशी तिथि आरंभ :     16:28 (4 मार्च) सोमवार 
चतुर्दशी तिथि समाप्त :   19:07 (5 मार्च) मंगलवार 
निशिथ काल पूजा :        24:07 से 24:57 
पारण का समय :            06:46 से 15:26 (5 मार्च)

महाशिवरात्रि व्रत एक परिचय :-

शिवरात्रि का व्रत, पूजन, जागरण और उपवास करनेवाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है। (स्कंद पुराण)

शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटानेवाला दूसरा व्रत नहीं है। इसको करनेमात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है। (शिव पुराण)
             

शिवरात्रि के दिन करने योग्य विशेष बातें:-

1. शिवरात्रि के दिन की शुरुआत ये श्लोक बोल के शुरू करें :-

देव देव महादेव नीलकंठ नमोस्तुते l 
कर्तुम इच्छा म्याहम प्रोक्तं, शिवरात्रि व्रतं तव ll

2. काल सर्प के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर पिसी हल्दी से स्वस्तिक बना देना....शिवलिंग पर दूध और बिल्व पत्र चढ़ाकर जप करना और रात को ईशान कोण में मुख कर के जप करना l

3. शिवरात्रि के दिन ईशान कोण में मुख करके जप करने की महिमा विशेष है, क्योंकि ईशान के स्वामी शिव जी हैं l रात को जप करें, ईशान को दिया जलाकर पूर्व के तरफ रखें , लेकिन हमारा मुख ईशान में हो तो विशेष लाभ होगा l जप करते समय झोखा आये तो खड़े होकर जप करना l

4. कल महाशिवरात्रि को कोई मंदिर में जाकर शिवजी पर दूध चढाते हैं तो ये ५ मंत्र बोलें :-

🌷 ॐ हरये नमः 
🌷 ॐ महेश्वराए नमः 
🌷 ॐ शूलपानायाय नमः 
🌷 ॐ पिनाकपनाये नमः 
🌷 ॐ पशुपतये नमः

महाशिवरात्रि - भाग्य की रेखा बदलने हेतु ( युवा विशेष)

जिनकी उम्र 15 से 45 साल के अन्दर है..उनको अगर कोई बीमारी नहीं है...शुगर नहीं है... हो सके तो हिम्मत दिखाकर ... सुबह के सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक पानी भी न पिए... भाग्य की रेखा न बदले तो मुझे कहना ...महा शिवरात्रि के सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक निर्जला उपवास | जो ज्यादा दुबले -पतले हो वे ये न करें | जो बराबर ठीकठाक हो वे जरुर करें ... बहुत फायदा होगा..युवान भाई-बहनों को तो मैं आग्रहपूर्वक कहूंगा कि महाशिवरात्रि के दिन निर्जला उपवास जरुर करें और रात को फिर सो मत जाओ ..रात को २-३-४ बजे तक जगकर जप करें | युवा भाई-बहनें खास हिम्‍मत करें और जप करो तो पूर्व और उत्तर के बीच ..ईशान कोण पड़ता है..उधर मुंह कर के जप करना |

और एक माला महामृत्युंजय मंत्र की अपने गुरुदेव को दक्षिणा दो और प्राथना करें " हे भोला नाथ ! हमारे बापूजी हमें प्रीति देते है..ज्ञान देते है ..शक्ति देते है ..दीक्षा देते है ...ऐसे हमारे गुरुदेव का स्वास्थ्‍य बढ़िया रहे और हमारे गुरुदेव की आयु खूब -खूब लंबी हो " रात को १२ बजे ..१२:३० बजे ..१ बजे जब भी करना चाहो तब करना जरूर | ये पवित्र तिथि के दिन अपना भजन ..भक्ति बढ़ाने के दिन है | इसका जरुर फायदा उठाये |

महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि :-

1. महाशिवरात्रि के दिन गंगा स्नान कर भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्तों महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि के अनुसार करने से इच्छित फल, धन, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

2. महाशिवरात्रि व्रत का सबसे प्रमुख भाग उपवास होता है। सबसे पहले पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें।

3. स्नान आदि ने निवृत्त होने के बाद हाथ में अक्षत और गंगाजल लेकर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें।
संकल्प लेने के बाद सफेद वस्त्र धारण करें और किसी भी शिव मंदिर में जाकर शिवजी का पंचामृत से अभिषेक कराएं।

4. शंकर जी का अभिषके करने के लिए पंचामृत में दूध, दही, शहद, गंगाजल और काले तिल का उपयोग करें।

5. पंचामृत से अभिषेक के बाद शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करें शिवलिंग बेल-पत्र, गाजर, बेर, धतूरा, भांग, सेंगरी और जनेव जरूर चढ़ाएं।

6. भगवान शिव जी का अभिषेक करने के पश्च्यात शिवपरिवार को केसर का तिलक करें और सफेद फूल की माला अर्पित करें।

7. महाशिवरात्रि पर भगवान का तिलक करने के बाद उन्हें स्वच्छ वस्त्र अर्पित करें और धूप-दीप शिवजी की पूजा करें।

8. शिव चालीसा का पाठ करने के बाद शिव जी की आरती करना ना भूलें।

9. आरती करने के बाद उत्तर दिशा की तरफ मुख करके ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। रात्रि में शिव जी का जागरण करना अनिवार्य है।

10. शिव आराधना में लीन रहते हुए अगली सुबह शिवजी को फल का भोग लगा कर स्वयं भी फल का सेवन कर व्रत खोलें।

🌷 महाशिवरात्रिः कल्याणमयी रात्रि🌷

"स्कन्द पुराण" के ब्रह्मोत्तर खंड में आता है कि 'शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है। उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और दुर्लभ है। लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वसिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं। इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है।'

'शिव' से तात्पर्य है 'कल्याण' अर्थात् यह रात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है। इस रात्रि में जागरण करते हुए ॐ.... नमः.... शिवाय... इस प्रकार, प्लुत जप करें, मशीन की नाईं जप पूजा न करें, जप में जल्दबाजी न हो। बीच-बीच में आत्मविश्रान्ति मिलती जाय। इसका बड़ा हितकारी प्रभाव अदभुत लाभ होता है।

शिवपूजा में वस्तुओं का कोई महत्त्व नहीं है, भावना का महत्त्व है। भावे ही विद्यते देव.... चाहे जंगल या मरूभूमि में क्यों न हो, वहाँ रेती या मिट्टी के शिवजी बना लिये, उस पर पानी के छींटे मार दिये, जंगली फूल तोड़कर धर दिये और मुँह से ही नाद बजा दिया तो शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं।

आराधना का एक तरीका यह है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाय।

दूसरा तरीका यह है कि मानसिक पूजा की जाय। हम मन-ही-मन भावना करें-

ज्योतिर्मात्रस्वरूपाय निर्मलज्ञानचक्षुषे।  
नमः शिवाय शान्ताय ब्रह्मणे लिंगमूर्तये।।

'ज्योतिमात्र (ज्ञानज्योति अर्थात् सच्चिदानंद, साक्षी) जिनका स्वरूप है, निर्मल ज्ञान ही जिनका नेत्र है, जो लिंगस्वरूप ब्रह्म है, उन परम शांत कल्याणमय भगवान शिव को नमस्कार है।'

महाशिवरात्रि की रात्रि में ॐ बं, बं.... बीजमंत्र के सवा लाख जप से गठिया जैसे वायु विकारों से छुटकारा मिलता है।

शिवरात्रि की रात 'ॐ नमः शिवाय' का जाप

शिवजी का पत्रम-पुष्पम् से पूजन करके मन से मन का संतोष करें, फिर ॐ नमः शिवाय.... ॐ नमः शिवाय.... शांति से जप करते गये। इस जप का बड़ा भारी महत्त्व है। अमुक मंत्र की अमुक प्रकार की रात्रि को शांत अवस्था में, जब वायुवेग न हो आप सौ माला जप करते हैं तो आपको कुछ-न-कुछ दिव्य अनुभव होंगे। अगर वायु-संबंधी बीमारी हैं तो 'बं बं बं बं बं' सवा लाख जप करते हो तो अस्सी प्रकार की वायु-संबंधी बीमारियाँ गायब !

ॐ नमः शिवाय मंत्र तो सब बोलते हैं लेकिन इसका छंद कौन सा है, इसके ऋषि कौन हैं, इसके देवता कौन हैं, इसका बीज क्या है, इसकी शक्ति क्या है, इसका कीलक क्या है – यह मैं बता देता हूँ। अथ ॐ नमः शिवाय मंत्र। वामदेव ऋषिः। पंक्तिः छंदः। शिवो देवता। ॐ बीजम्। नमः शक्तिः। शिवाय कीलकम्। अर्थात् ॐ नमः शिवाय का कीलक है 'शिवाय', 'नमः' है शक्ति, ॐ है बीज... हम इस उद्देश्य से (मन ही मन अपना उद्देश्य बोलें) शिवजी का मंत्र जप रहे हैं – ऐसा संकल्प करके जप किया जाय तो उसी संकल्प की पूर्ति में मंत्र की शक्ति काम देगी।

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पारसनाथ -गिरिडीह भाया मधुबन रेलपथ का शिलान्यास कल

पारसनाथ- गिरिडीह रेल लाइन का शिलान्यास कल

       भारतीय रेल प्रशासन ने गिरिडीह वासियों और जैन तीर्थ यात्रियों की वर्षों से चली आ रहीं मांग को पूरा करने की दिशा में पहल शुरू कर दी है। 
       इसी कड़ी में 4 मार्च 2019 को पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर पारसनाथ-गिरिडीह भाया मधुबन रेल लाइन निर्माण हेतु शिलान्यास कार्यक्रम आहूत किया है। 
       जिसमे गिरिडीह के सांसद रविंद्र कुमार पाण्डेय, गिरिडीह विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी और डुमरी विधायक जगन्नाथ महतो मुख्य रुप से उपस्थित रहेंगे। उक्त जानकारी पूर्व-मध्य रेल के मण्डल रेल प्रबंधक अनिल कुमार मिश्र ने दी है।

 पारसनाथ -गिरिडीह रेल पथ एक नज़र में:-

        पारसनाथ-गिरिडीह भाया मधुबन रेल पथ में दो हाल्ट, दो स्टेशन और एक जंक्शन प्रस्तावित है। यह रेल पथ गिरिडीह-कोडरमा रेल पथ जिसमें बीते 25 फरवरी से परिचालन शुरू हुई है ,पर स्थित सलैया स्टेशन में जुड़ कर न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन तक पहुंचेगी।

प्रस्तावित हाल्ट एवं स्टेशन :

        पारसनाथ-गिरिडीह प्रस्तावित रेल पथ पर पहला हाल्ट 6:3 किमी पर चैनपुर (CHAINPUR HALT) होगा। जबकि पारसनाथ रेलवे स्टेशन से 13:7 किमी पर मधुबन (MADHUBAN) स्टेशन और 23:8 किमी पर कुम्हारटोला (KUMHAR TOLA) स्टेशन प्रस्तावित है।  वंही 30:5 किमी पर लखियातार  हाल्ट (LAKHIATAR HALT) होगा और 37:7 किमी पर यह प्रस्तावित रेल पथ कोडरमा-गिरिडीह रेल पथ के सलैया (SALAIYA) स्टेशन (तब जंक्शन) पर (बीते 25 फरवरी से शुरु हुई रेल पथ से )जुड़ कर न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन पहुंचेगी।


49 किमी की प्रस्तावित है यह रेल पथ :-

      पारसनाथ-गिरिडीह रेल पथ 49 किमी की प्रस्तावित है। जिसमे समझा जाता है कि जमीनी कार्य मात्र 37:700 किमी तक की करने की आवश्यकता होगी। क्योंकि सलैया 
स्टेशन  (तब जंक्शन) के बाद पारसनाथ से 43:7 किमी पर न्यु गिरिडीह  स्टेशन और 49 वें किमी पर महेशमुण्डा स्टेशन  (अब जंक्शन) तक रेल लाइन चालु है। जिसमे फिलवक्त कोडरमा से महेशमुण्डा और कोडरमा से मधुपुर रेल सेवा चालु है।