बुधवार, 6 मार्च 2019

महिला ने पांच वर्षीय पुत्र के साथ एक ही फंदे से झूल की इहलीला समाप्त

 एक ही फंदे से झूलती मिली माँ -बेटे की लाश, लोग स्तब्ध, जाँच में जुटी पुलिस

गिरिडीह : जिलामुख्यालय की उपनगरी पचम्बा में बुधवार को एक हृदय विदारक घटना घटित हुई। जिसमे एक महिला ने अपने पांच वर्षीय पुत्र के साथ एक ही फंदे से झूल अपनी इहलीला समाप्त कर ली।जिसने भी इस हृदय विदारक घटना को देखा उन सभी लोगों का कलेजा मुंह को आ गया। 

घटना की सुचना मिलते ही पचम्बा थाना पुलिस बोडो स्थित घटना स्थल पर पहुंच शव को अपनी अभिरक्षा में जाँच पड़ताल में जुट गयी है। मिली जानकारी के अनुसार मृतक महिला आशीष मुर्मू की 35 वर्षीया पत्नी बेगुला सोरेन है और उसके पांच वर्षीय पुत्र का नाम आदित्य मुर्मू है। जो बोडो स्थित एक मकान में बतौर किरायेदार रहती थी।

मां और बेटे की एक ही फंदे पर एक साथ झूलते मिली लाश से पुरे इलाके में सनसनी फ़ेल गयी है। सभी के मन में एक ही सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि महिला ने अपने बच्चे के साथ अपनी जान दे दी। हालांकि अंतिम समाचार मिलने तक आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। मृतका के पति की माने तो वह मजदूरी का काम करता है। रात्रि 8 बजे जब वह घर लौटा तो घर अंदर से बन्द था। काफी खटखटाने पर भी जब नहीं खुला तो उसने खिड़की से झांक कर देखा। अंदर उसकी पत्नी फंदे से झूली हुई थी।  बहरहाल पुलिस मामले की जाँच पड़ताल में जुटी है।

निरसा का राजस्व कर्मचारी संतोष मिश्रा रिश्वत लेते गिरफ्तार

 राजस्व कर्मचारी संतोष मिश्रा 1500 रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार


झारखंड के धनबाद जिले के निरसा में राजस्व कर्मचारी संतोष मिश्रा को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने 1500 रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है।डीएसपी अशोक गिरी के नेतृत्व में एसीबी की टीम ने ये गिरफ्तारी की है। 

मिली जानकारी के मुताबिक एक व्यक्ति से उसकी दाखिल खारिज करने के लिए राजस्व कर्मचारी संतोष मिश्रा उससे रिश्वत ले रहा था। तभी एसीबी की टीम ने मौके पर दबिश देकर राजस्व कर्मचारी संतोष मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। बता दें कि एसीबी द्वारा गिरफ्तार किया गया संतोष मिश्रा निरसा लेदाहरिया पंचायत का राजस्व कर्मचारी है।

    एसीबी एसपी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने मामले की जानकारी देते हुये बताया कि उक्त कार्रवाई निरसा थाना क्षेत्र निवासी इरफान अंसारी की शिकायत पर की गई है। 

प्रखंड कार्यालय में सत्यापन के बाद गिरफ्तार किए गए राजस्व कर्मचारी को एसीबी टीम धनबाद ले गई है।

बाज के बच्चे मुँडेर पर नहीं उड़ते

एक प्रेरक आलेख :  "बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते।"


                         बाज पक्षी जिसे हम ईगल या शाहीन भी कहते है। जिस उम्र में बाकी परिंदों के बच्चे चिचियाना सीखते है उस उम्र में एक मादा बाज अपने चूजे को पंजे में दबोच कर सबसे ऊंचा उड़ जाती है।  पक्षियों की दुनिया में ऐसी Tough and tight training किसी भी ओर की नही होती।

मादा बाज अपने चूजे को लेकर लगभग 12 Kmt.  ऊपर ले जाती है।  जितने ऊपर अमूमन जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है।

यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की कठिन परीक्षा। उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है? तेरी दुनिया क्या है? तेरी ऊंचाई क्या है? तेरा धर्म बहुत ऊंचा है और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है।

धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 2 Kmt. उस चूजे को आभास ही नहीं होता कि उसके साथ क्या हो रहा है। 7 Kmt. के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते है, वह खुलने लगते है।

लगभग 9 Kmt. आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते है। यह जीवन का पहला दौर होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता है।


अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर है लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है। अब धरती के बिल्कुल करीब आता है जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को। अब उसकी दूरी धरती से महज 700/800 मीटर होती है लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है की वो उड़ सके।


धरती से लगभग 400/500 मीटर दूरी पर उसे अब लगता है कि उसके जीवन की शायद अंतिम यात्रा है। फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।
यह पंजा उसकी मां का होता है जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही होती है। और उसकी यह ट्रेनिंग निरंतर चलती रहती है जब तक कि वह उड़ना नहीं सीख जाता।

यह ट्रेनिंग एक कमांडो की तरह होती है।. तब जाकर दुनिया को एक शाहीन यानि बाज़ मिलता है l शाहीन अपने से दस गुना अधिक वजनी प्राणी का भी शिकार करता है।हिंदी में एक कहावत है... "बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते।"

बेशक अपने बच्चों को अपने से चिपका कर रखिए पर एक शाहीन की तरह उसे दुनियां की मुश्किलों से रूबरू कराइए, उन्हें लड़ना सिखाइए। बिना आवश्यकता के भी संघर्ष करना सिखाइए।

ये Tv के रियलिटी शो और अंग्रेजी स्कूल की बसों ने मिलकर आपके बच्चों को "ब्रायलर मुर्गे" जैसा बना दिया है जिसके पास मजबूत टंगड़ी तो है पर चल नही सकता। वजनदार पंख तो है पर उड़ नही सकता।
                      क्योंकि...
                                  _"गमले के पौधे और जंगल के पौधे में बहुत फ़र्क होता है।"