मनरेगा कर्मीयों का अनिश्चित कालीन हड़ताल 27 जुलाई से : जिला अध्यक्ष
गिरिडीह : झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के आह्वान पर रविवार को सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुये सदर प्रखंड के मदनपुर ग्राम स्थित किसान भवन में जिला मनरेगा संघ की बैठक जिला अध्यक्ष विनोद विश्वकर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक प्रारभ होने से पहले गांडेय के एक रोजगार सेवक की मृत्यु हो जाने पर दो मिनट का मौन रख कर उनके आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई।
सर्वप्रथम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मनरेगा कर्मी अपनी लंबित मांगों की पूर्ति को लेकर 27 जुलाई से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का घोषण किया।
बैठक को संबोधित करते हुवे जिला अध्यक्ष विनोद कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि हम मनरेगा कर्मी अपनी पांच सूत्री लंबित मांगों की पूर्ति को लेकर पिछले 22 जून से 28 जून तक काला बिल्ला लगाकर कार्य किये उसके पस्चात सांकेतिक हड़ताल आदि भी किया जा चुका,बावजूद सरकार द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाया गया।बाध्य होकर हमलोग प्रदेश कमिटी के निर्देशानुसार 27 जुलाई से पूरे प्रदेश के मनरेगा कर्मी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य हुवे।कहा कि हड़ताल के मोनेटरिंग करने हेतु जिले के चारों अनुमंडल में एक एक कमिटी के गठन किया गया है जो अपने अपने अनुमंडल के अंतगर्त आने वाले प्रखंडों एवं पंचायतों का मोनेटरिंग कर हड़ताल को सफल बनाएंगे।
मौके पर बीपीओ दीपक कुमार,हीरो महतो,अजित कुमार,बिनय कुमार,भिखदेव पासवान आदि ने कहा कि हम मनरेगा कर्मियों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है।
कहा कि राज्य के आला अधिकारी मनरेगा को लेकर राज्य सरकार को गुमराह कर रहे हैं, मनरेगा को डिमांड आधारित योजना के बजाय लक्ष्य आधारित योजना बनाकर प्रत्येक पंचायत में 300 से अधिक मजदूरों को नियोजित करने का अनुचित दबाव बनाया जा रहा है.प्रदेश के तमाम आला अफसर और नेता कोरेंटिन में हैं, जबकि मनरेगा कर्मियों को बिना सुरक्षा बीमा और जरूरी सुविधाओं के कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया है.उक्त लोगों ने बताया कि पिछले दिनों सांकेतिक हड़ताल के दौरान ग्रमीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने मनरेगा संघ के सदस्यों के साथ वार्ता कर सांकेतिक हड़ताल तोड़ देने की बात कही गई वहीं 15 दिनों के अंदर मनरेगा कर्मियों के लंबित मांगों को हर हाल में पूरा करने का आश्वाशन दिया गया था।लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद अब तक सरकार के द्वारा इस दिशा में कोई पहल नही किया गया,कहा कि सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री के आदेशानुसार हमसभों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिए लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद जब कोई पहल नही किया गया तब बाध्य होकर हम मनरेगा कर्मी प्रदेश कमिटी के आदेशानुसार 27 जुलाई से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिए।
संघ की ये है पांच प्रमुख मांगें :
सभी मनरेगा कर्मियों स्थायी करण हो,25 लाख का जीवन बीमा व पांच लाख स्वास्थ्य बीमा दिया जाये,मृत मनरेगा कर्मी के परिवार को 25 लाख मुआवजा व उसके आश्रित को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाये, मनरेगा कर्मियों को मातृत्व/पितृत्व अवकाश, अर्जित अवकाश, चिकित्सा अवकाश आदि का प्रावधान किया जाये,मनरेगा कर्मियों को सीध बर्खास्त करने के बजाये उन पर सरकारी कर्मचारी की तहर विभागीय कार्रवाई की जाये। मनरेगा कर्मियों को सीमित उप समाहर्ता परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाये और सेवा काल की अवधि के बराबर छूट व रिक्त पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाये,साथ ही बिहार की तर्ज पर मनरेगा को स्वतंत्र इकाई घोषित करते हुए मनरेगा कर्मियों को इनके क्रियान्वयन की संपूर्ण जिम्मेदारी दी जाये।
मौके पर मनरेगा कर्मियों ने कहा कि इस बार का आंदोलन ऐतिहासिक होगा कहा कि जब तक हमलोगों का मांग पूरा नही किया जाता तब तक हमलोग हड़ताल पर पूरी मुस्तेदी के साथ डटें रहेंगे।
मौके पर बीपीओ दीपक कुमार,अजित कुमार,बिनय कुमार,भिखदेव पासवान, हीरो महतो,लेखा सहायक दिलीप बाउरी,कम्प्यूटर ऑपरेटर बिनय कुमार,सहित जिले के सभी प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी,सहायक अभियंता,कनिये अभियंता,लेखा सहायक,कम्प्यूटर सहायक एवं रोजगार सेवक मुख्य रूप से उपस्थित थे।