एक कविता : "जय झारखण्ड बोलो"
स्थापना के हो गये 19 साल
फैला चहुंओर है भव्य जंजाल
मिटाओ माया, मोह जाल ।
दुर करो हर जंजाल -
सबको खुशहाल बनाते चलो ।।
जय झारखंड बोलो,
सबको साथ लेकर चलो ।।
यहाँ सुख के हैं सभी साधन
फिर भी क्यों है क्रन्दन ।
क्यों भ्रष्टाचार और शोषण है,
इन्हे अब मिटाते चलो ।।
जय झारखंड बोलो,
सबको साथ लेकर चलो ।।
बन गया है झारखंड राज्य,
करना है विकास आज ।
मिले हर हाथ को कार्य ।।
यह संकल्प लेकर चलो,
सबको साथ लेकर चलो ।।
बन जाए यह स्वर्ग जैसे,
लाभ मिले हर वर्ग को कैसे?
हर चीज है मिले सुलभ वैसे,
हर प्रयास लेकर चलो ।
जय झारखंड बोलो ।।
झारखण्डीयों को जगी थी आश
अब भागेंगे दुख, था विश्वास
दुखी वर्ग हो रहे है निराश
अब तो आश जगाते चलो ।।
जय झारखंड बोलो ।
आपस में न कोई दंगा हो,
ऐसा कोई न फण्दा हो ।
धन्धा किसी का न मन्दा हो,
सबको साथ मिलाते चलो ।।
जय झारखंड बोलो ।