शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

ट्रेड लाइसेंस की अन्तिम तिथि 31 दिसम्बर तक

 बिना जुर्माना व्यापार अनुज्ञप्ति बनाने की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर तक


उसके बाद देना होगा ट्रेंड लाइसेंस बनाने हेतु जुर्माना

गिरिडीह-  नगर निगम/ नगर निकाय क्षेत्रान्तर्गत व्यापार करने वाले व्यापारियों को व्यापार अनुज्ञप्ति (ट्रेड लाइसेंस) लेना अनिवार्य है। जिसकी अंतिम तिथि 31 दिसम्बर निर्धारित की गयी है।

झारखण्ड सरकार नगर विकास आवास विभाग राज्य शहरी विकास अभिकरण ने नगर निगम/ नगर निकाय क्षेत्रान्तर्गत अवस्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम की धारा 455 के तहत ट्रेड लाइसेंस (व्यापार अनुज्ञप्ति) लेना अनिवार्य किया है।

बिना किसी अर्थ दंड (जुर्माना राशि) के राज्य सरकार ने ट्रेड लाइसेंस बनाने का अंतिम मौका व्यासायिक प्रतिष्ठानों के स्वामियों को 31 दिसम्बर 19 तक दिया है।
उक्त निर्धारित अवधि के बाद ट्रेड लाइसेंस (व्यापार अनुज्ञप्ति)  बनाने पर निर्धारित जुर्माना देना होगा।

आर्म्स लाइसेंसी 5 नवम्बर तक आर्म्स जमा करें, विमुक्ति का अवेदन 4 को दें

शस्त्र अनुज्ञप्तिधारी 5 नवम्बर तक अपने नजदीकी थाने में करें शस्त्र जमा : उपायुक्त

शस्त्र विमुक्ति का आवेदन 4 नवम्बर तक उपस्थापित करें


गिरिडीह-  उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी राहुल कुमार सिन्हा ने जिले के सभी शस्त्र अनुज्ञप्ति धारियों से अगामी 5 नवम्बर तक अपने अपने शस्त्र गोली सहित नजदीक के थाने अथवा शस्त्र बिक्रेता के पास जमा करने को कहा है। निर्धारित तिथि तक शस्त्र जमा नही करने वाले शस्त्र अनुज्ञप्ति धारकों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।


   आसन्न विधान सभा चुनाव को स्वच्छ शांतिपूर्ण एवं भयमुक्त वातावरण में सम्पन्न करने के निमित्त उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी ने शस्त्र अधिनियम 1959 की धारा 21 एवं 46 के उपधारा 21 के तहत यह निर्देश जिले के सभी शस्त्र अनुज्ञप्तिधारियों को दिया है। उन्होंने सभी आर्म लाइसेंस धारकों को गोली सहित अपने आर्म्स (शस्त्र) अपने नजदीकी थाने अथवा नजदीक के शस्त्र बिक्रेता के पास जमा कर उसकी पावती रसीद प्राप्त कर लेने को कहा है। इसके लिये शस्त्र जमा करने की अंतिम तिथि 5 नवम्बर निर्धारित की गयी है।  इस दौरान शस्त्र और गोली नहीं जमा करने वाले आर्म्स लायसेंस धारकों के विरुद्ध  शस्त्र अधिनियम की धारा 21 एवं 46 की उपधारा के तहत आवश्यक कार्रवाई की जायेगी।

  वंही जिले के सभी शस्त्र अनुज्ञप्तिधारियों से 5 नवम्बर तक शस्त्र जमा करने का जारी निर्देश के आलोक में उपायुक्त ने चुनाव के दौरान भी शस्त्र विमुक्ति चाहने वाले शस्त्र अनुज्ञप्ति धारियों से अगामी 4 नवम्बर  के पूर्वाह्न 11 बजे  अपना आवेदन विस्तार विवरणी के साथ स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष उपस्थापित करने को कहा है।

     उन्होंने कहा कि उसी तिथि को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में विमुक्ति पर निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि निर्धारित तिथि व समय के पश्चात शस्त्र विमुक्ति आवेदन स्वीकार नहीं किये जायेंगे।

     उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी ने कहा की उसके पश्चात शस्त्र जमा नहीं किये जाने की स्थिति में सम्बंधित शस्त्र अनुज्ञप्ति धारियों की अनुज्ञप्तियों को रद्द कर दी जायेगी।

चुनाव कइ मद्दे नजर कोषांगों में हुई प्रतिनियुक्ति

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठित कोषांग के बनाये गये नोडल पदाधिकारी



गिरिडीह- आसन्न विधानसभा चुनाव निमित्त जिला प्रशासन की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है। जिला प्रशासन ने चुनाव के निमित्त सभी कोषांगों का गठन कर लिया है। जिसमे कई कोषांग विधिवत अपना कार्य भी शुरू कर दिया है।

कोषांग और उसके नोडल पदाधिकारी
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कार्मिक कोषांग  के वरीय/ नोडल पदाधिकारी अपर समाहर्ता राकेश कुमार दुबे बनाये गये हैं। जबकि इस कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार बनाये गये हैं।
इस कोषांग में चार सहयोगी पदाधिकारी भी शामिल हैं। यह कोषांग जिला स्थापना शाखा में संचालित है।

कम्प्यूटर कोषांग  कार्मिक कोषांग का सहयोगी यह कोषांग जिला सुचना विज्ञान केंद्र में संचालित है। इस कोषांग के भी वरीय नोडल पदाधिकारी अपर समाहर्ता ही हैं। जबकि प्रभारी पदाधिकारी जिला सुचना विज्ञान पदाधिकारी एनआईसी मनीष मोहन हैं।

एसएमएस मोनेटरिंग कोषांग जिला सुचना केंद्र में संचालित इस कोषांग के नोडल पदाधिकारी जिला सुचना विज्ञान पदाधिकारी बनाये गए हैं।

सामग्री कोषांग  कृषि उत्पादन बाजार समिति में संचालित होने वाले इस कोषांग के वरीय नोडल पदाधिकारी उपविकास आयुक्त मुकुंद दास और प्रभारी पदाधिकारी जिला आपूर्ति पदाधिकारी पवन कुमार मण्डल नियुक्त किये गए हैं।

ईवीएम एवं वीवीपीएटीएस कोषांग कृषि उत्पादन बाजार समिति में संचालित इस कोषांग के वरीय नोडल पदाधिकारी उपविकास आयुक्त हैं जबकि प्रभारी पदाधिकारी के रूप में जिला योजना पदाधिकारी देवेश गौतम नियुक्त हैं।

प्रशिक्षण कोषांग सर जेसी बोस बालिका उच्च विधालय में संचालित इस कोषांग के वरीय नोडल पदाधिकारी उपविकास आयुक्त हैं। जबकि प्रभारी पदाधिकारी अनुमण्डल पदाधिकारी राजेश प्रजापति और जिला शिक्षा पदाधिकारी पुष्पा कुजुर तथा सहयोगी पदाधिकारी सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा अभियान अभिनव कुमार सिन्हा हैं।

वाहन कोषांग भूमि सुधार उप समाहर्ता कार्यालय में संचालित इस कोषांग वरीय नोडल पदाधिकारी अपर समाहर्ता और प्रभारी पदाधिकारी के रूप में जिला परिवहन पदाधिकारी डॉ सुदेश कुमार प्रतिनियुक्त किये गये हैं।

स्वीप कोषांग जिला जनसम्पर्क कार्यालय में संचालित इस कोषांग के वरीय पदाधिकारी उप विकास आयुक्त एवं नोडल पदाधिकारी अपर समाहर्ता हैं। जबकि इस कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी रश्मि सिन्हा एवं सहयोगी पदाधिकारी सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा सुचिता किरण भगत, जिला सहकारिता पदाधिकारी नीलम कुमारी एवं सहायक सांखियकी पदाधिकारी राजेश कुमार पाठक की प्रतिनियुक्ति की गयी है।

विधि व्यवस्था कोषांग जिला गोपनिय शाखा में संचालित इस कोषांग के वरीय नोडल पदाधिकारी अपर समाहर्ता बनाये गए हैं। जबकि प्रभारी पदाधिकारी जिला गोपनीय शाखा इस कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी प्रतिनियुक्त हैं।

आदर्श आचार संहिता कोषांग कार्यपालक दण्डाधिकारी गिरिडीह अनुमण्डल न्यायालय कक्ष में संचालित होने वाले इस कोषांग के वरीय पदाधिकारी निदेशक लेखा, प्रशासन एवं स्वनियोजन, डीआरडीए आलोक कुमार और नोडल पदाधिकारी अनुमण्डल पदाधिकारी गिरिडीह बनाये गए हैं। जबकि कार्यपालक दंडाधिकारी धीरेन्द्र कुमार को इस कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी प्रतिनियुक्त किया गया है।

मीडिया एवं सोशल मीडिया कोषांग जिला जनसम्पर्क कार्यालय में संचालित इस कोषांग के वरीय नोडल पदाधिकारी निदेशक डीआरडीए आलोक कुमार बनाये गये हैं। जबकि जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी रश्मि सिन्हा इस कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी और सोशल मीडिया स्पेशलिस्ट व अतिरिक्त जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी सहयोगी पदाधिकारी बनाये गए हैं।

इन कोषांगों के अलावे सिंगल विंडो सिस्टम, प्रेक्षक कोषांग, डाक मतपत्र एवं इटीपीबीएस कोषांग, शराब निगरानी कोषांग, अभ्यर्थी व्यय लेखा कोषांग, पीडब्ल्यूडी (दिव्यांग) कोषांग, एवं लॉजिस्टिक कोषांग का भी गठन कर उसके वरीय/ नोडल बना लिए गए हैं तथा उन कोषांगों के प्रभारी पदाधिकारी और सहयोगी पदाधिकारी की भी प्रतिनियुक्ति कर ली गयी है।

क्यों मनाते हैं धनतेरस का त्यौहार, आइये जाने


धनतेरस
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कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। 

 क्यों मनाते हैं धनतेरस

कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व है।

क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार 

भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि
 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया' 
इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है।

शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार 

समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।


धनतेरस के दिन क्या करें 

धनतेरस के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी भी रूप में चांदी एवं अन्य धातु खरीदना अति शुभ है।

धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करें एवं मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करें।

धनतेरस की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा

धनतेरस से जुड़ी कथा है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी।

कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना। वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आए हैं।
बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया।

वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गए। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आए।

इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा।

इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुना धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।