मंगलवार, 11 सितंबर 2018

गणेश चतुर्थी 13 सितम्बर को, अनन्त चतुर्दशी तक मनेगा दस दिवसीय उत्सव

             13 सितंबर को स्वाति नक्षत्र के साथ ब्रह्म योग में  मनेगी – गणेश चतुर्थी

भगवान श्री गणेश सिद्ध विनायक के नाम से भी जाने जाते हैं। जिनकी उपासना से हर काम सिद्ध हो जाता है I भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक हर्षो-उल्लास के साथ गणेश उत्सव का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 13 सितंबर दिन गुरुवार को स्वाति नक्षत्र से युक्त ब्रह्म योग में शुरू होकर अनंत चतुर्दशी यानि 23 सितंबर दिन रविवार को शतभिषा नक्षत्र तक मनाया जायेगा I  किवन्दिति है कि काम सिद्धि के लिए गणेश की उपासना आवश्यक है I
बिहार में खासकर मिथिला संस्कृति में प्रचलित चौथचंदा का पर्व भी गुरुवार को ही मनाया जाएगा I इस पर्व के अवसर पर गणेश की उपासना से हर कार्य सिद्ध हो सकते है I भगवान नारायण के वराह अवतार भी इसी दिन हुआ था I लोकाचार में डेलहिया चौथ के नाम से जाना जाने वाला इस चौथ के दिन चन्द्रदर्शन निषेध होता है।

भादो मास का प्रमुख पर्व
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक चलती है I इस बार 11 दिन तक चलेगी I चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी लेकिन उपासना इससे आगे 10 दिनों तक चलेगी। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है I इनकी उपासना के लिए भाद्रपद का ये महीना काफी शुभ फलदायी होता है I इस वर्ष काफी उत्तम संयोग है जो मंगल मूर्ति की आराधना 10 के बजाय 11 दिन की है I

          चन्द्र दर्शन दोष से बचाव
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि गुरुवार की रात में चंद्रदर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है I जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते है उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है I ऐसा शास्त्रों का निर्देश व अनुभूत है I कलंक के डर से मान्यता बन गई है जिससे लोग इस तिथि पर चंद्र दर्शन नहीं करते है I

           पर्व को लेकर प्रचलित कथा
इस पर्व को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है I कथा के अनुसार शिव ने क्रोध में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था I इसके बाद पार्वती के नाराज होने पर उन्होंने गणेश को नया रूप दिया I बाद में गणेश प्रथम पूज्य देवता बने I शास्त्रों में गणेश की उपासना के कई विधान और शुभ फलदायक बताया गया है I गणपति की पूजा- अर्चना से हर काम पूरा होता है तथा भादो माह में उनकी पूरे देश में उपासना धूमधाम से की जाती है I

पूजन का शुभ मुहूर्त
सिद्धि विनायक गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसीलिए इसी काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा का मुहूर्त प्रात: 6:55 बजे से पुरे दिन तक है I
अभिजीत मुहूर्त :- दोपहर 11:21 बजे से 12:10 बजे
गुली काल मुहूर्त :- सुबह 8:40 बजे से 10:13 बजे

व्यंग : लोकतंत्र का महापर्व "भारत बन्द"

                      व्यंग :

                     लोकतंत्र का महापर्व "भारत बन्द" पर  निबंध


             भारत बन्द हमारा राष्ट्रीय त्योहार है। देश के सभी राज्यों में मनाया जाता है। बंगाल,बिहार,उत्तर प्रदेश, केरल,मध्यप्रदेश,राजस्थान,हरियाणा आदि राज्यों में बरसों से पारम्परिक तरीकों से मनाया जाता रहा है।आजकल गुजरात,महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी जोर शोर से मनाया जाने लगा है।

              जिस तरह होली दीवाली पंडित जी द्वारा पतरा देखके,ईद-मोहर्रम इमाम साहेब द्वारा टेलीस्कोप से चांद देखकर,क्रिसमस जॉर्जियन कलेंडर देखकर मनाया जाता है,उसी तरह भारतबन्द का त्योहार नेतागणों द्वारा चुनाव आने का समय देखकर मनाया जाता है। यह लोकतंत्र का धार्मिक उत्सव है।

              नेताओं के नवयुवा समर्पित चमचे लोग सुबह-सुबह डंडा लेकर सड़क पर निकलते हैं। सड़क पर टायर जलाकर खुशियां मनाते हैं। गाड़ियों और दुकानों का शीशा फोड़ना,स्कूटर, रिक्शा आदि के टायरों से हवा निकालना आदि भारत बन्द त्योहार के पारंपरिक रीति रिवाज हैं। गाली गलौज मारपीट इस महान पर्व की शोभा में चार चांद लगाते हैं।

               भारत बन्द का त्योहार अभिव्यक्ति की आजादी के विजय का प्रतीक है। यह त्योहार इंसान के अंदर के जानवर को आदर के साथ बाहर लाता है। पशुता के प्रहसन के माध्यम से लोकशाही की श्रेष्ठता का जनजागरण होता है। उन्माद और विवाद की पराकाष्ठा पर पहुंचने में संवेग और उदवेग दोनों का सहारा लिया जाता है।

                भारत बन्द में नेता लोग सड़कों पर अपनी पारम्परिक भेषभूषा जैसे पजामा कुर्ता और अपनी पार्टी का गमछा पहनकर निकलते हैं। आम चमचे लुंगी, बनियान और गमछी में झंडा-डंडा लेकर ही निकलते हैं।आजकल नवयुवक बरमुडा टी शर्ट में भी निकलने लगे है। हाथ में व्यक्ति से लगभग 6" लम्बा डंडा होना अत्यंत आवश्यक है। फाड़े में कट्टा हो तो सोने पर सुहागा।

               चाय,पकोड़े,पेप्सी,कोला और शराब कबाब का इंतजाम सड़क पर ही होता है। पहले भारत बन्द मनाने वाले लोग स्वयं ही इन व्यंजनों का लुत्फ उठाते थे। जब से मीडिया भी इस त्योहार में कलम-कैमरे के साथ हिस्सा लेने लगी है और शक्ति प्रदर्शन की सेल्फी का डिमांड बढ़ा है,बन्द कराते लोग काफी सभ्य होने का प्रदर्शन करने लगे हैं। बंद पीड़ितों को भी चाय नाश्ता दवा-दारू दिया जाता है,एम्बुलेंसों को रास्ता देने का सद्कर्म भी किया जाने लगा है,जिसे पशुता पर मानवता की विजय कह कर छापा और दिखाया जाने लगा है। मानवीय गुणों का यह प्रदर्शन निश्चय ही सराहनीय है।

                    भारत-बन्द आलसी लोगों के लिए लोकतंत्र का अनमोल वरदान है। सोमवार से लेकर शुक्रवार तक किए जाने वाला बन्द श्रेष्ठतम लोकोपकार का है। स्कूलों कालेजों को बन्द कराने में बाल कल्याण की भावना छुपी है। सोमवार और शुक्रवार का भारतबन्द सबसे पावन बन्द है।मंगलवार से वृहस्पतिवार तक का बन्द मध्यम आनंददायी होता है। रविवार को या शनिवार को आहूत बन्द निकृष्ट कोटि के बन्द की श्रेणी में आता है।

                     इस भाग दौड़ की तनाव भरी जिंदगी में भारतबन्द का त्यौहार हमें परिवार के साथ वक्त बिताने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। अब तो इंटरनेट के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को बढ़ाने का मौका भी मिलता है। कभी-कभी बन्दकर्तागणों के अति उत्साह की वजह से इंटरनेट बन्द हो जाता है,जो निश्चय ही परिहार्य है।

                     आजकल हर पर्व त्योहार के विरोध का फैशन बन गया है।निश्चय ही कुछ लोग इस भारतबन्द पर्व पर भी ऊँगली उठाएंगे!लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। बस इतना ध्यान रखें कि बन्द का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से करें। उत्सव में रंग में भंग न डालें!भावनाओं को आहत न करें। पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि बन्द को शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जाने में सप्रेम अपना डंडा सहित योगदान दें। आंसू गैस के गोले से लोगों को भावुक होने में मदद करें! आंखों के रास्ते मन का मैल धुलबाने का आजमाया हुआ अंग्रेजी तरीका है।

                       भारत-बन्द के इस महान पर्व के शुभ अवसर पर हम बन्द के समर्थक और विपक्षी दोनों पक्षों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं समर्पित करते हैं। लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर ज्यादा प्रवाह आपके विसर्जन का हो! इसी मंगलकामना के साथ अपने निबंध को पूर्णविराम देता हूँ।      

                //कबीरा खड़ा बजार में, दियो टायर दहकाय //                                           //नेता अपनी रोटियां, सेंक-सेंक ले जाय //


तीज त्यौहार पर करें यह उपाय, मिलेगी मुसीबतों से छुटकारा

तीज व्रत पर करें यह उपाय, मिलेगी मुसीबतो से छुटकारा



भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। खास कर इस दिन माता पार्वती और शिवजी की पूजा की जाती है। इस व्रत से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। 


     ये व्रत 12 सितंबर, बुधवार को है। इस व्रत के मौके पर सात प्रकार विशेष उपाय किए जाएं तो माता पार्वती आपकी हर मुसीबत दूर कर सकती हैं…
हरितालिका तीज पर ग्यारह उन लड़कियों की जिनकी शादी हाल ही में हुई हो उनको सुहाग की सामग्री जैसे-सिंदूर, मेहंदी, चूड़ी, काजल, लाल चुनरी उपहार में दें।
        किसी कुंवारी ब्राह्मण कन्या को उसके पसंद के कपड़े दिलवाएं और साथ में कुछ उपहार भी दें।
यदि किसी लड़की के विवाह का योग नहीं बन रहा हो तो हरितालिका तीज पर माता पा‌र्वती को साबूत हल्दी की 11 गठान अर्पित करें।
           माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी, लाल, चूड़ियां, मेहंदी, गुलाब के फूल आदि सुहाग की चीजें चढ़ाएं।


हरितालिका तीज पर माता पार्वती का अभिषेक दूध में केसर मिलाकर करें। इससे भी पति-पत्नी में प्रेम बना रहता है।
इस दिन पति-पत्नी सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शिव-पार्वती मंदिर में जाएं और लाल फूल अर्पित करें।
हरितालिका तीज पर पत्नी चावल की खीर बनाएं और इसका भोग माता पार्वती को लगाएं। पति-पत्नी साथ बैठकर ये खीर खाएं। माता पार्वती हर मुसीबतों से छुटकारा दिलाएंगी।


पति के दीर्घायु का व्रत "हरितालिका तीज" 12 सितम्बर को

हरतालिका तीज व्रत 12 सितम्बर यानि कल ,   जाने पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त




हरतालिका तीज व्रत 12 सितम्बर को, जाने पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व है. इस बार कैलेंडर के अनुसार यह व्रत 12 सितंबर को पड़ा है.  हरतालिका तीज सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. ये व्रत बहुत कठिन होता है , इस दिन महिलाएं पानी का एक बूंद तक मुंह में नहीं रखती हैं.

हरतालिका तीज व्रत के नियम
हरतालिका तीज का विशेष महत्व हिन्दू धर्म मानने वाली महिलाओं में होता है. इस दिन गौरी और शंकर जी की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है.
         माना जाता है कि ये व्रत महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए रखती हैं, तो वहीं कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर के लिए इस व्रत को करती हैं.
          मुख्य रूप से हरतालिका तीज को बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. तमिलनाड्डू कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में हरतालिका तीज को गौरी हिब्बा कहा जाता है. 
           कब है हरतालिका तीज ?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार देखा जाए तो हरतालिका तीज व्रत भादो माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी भाद्रपद को रखी जाती है. इस बार ये व्रत 12 सितंबर को कैलेंडर के अनुसार पड़ा है.
           हरितालिका तीज का महत्व :
हिंदू धर्म में चार तीज मनाई जाती है जिसमें से सबसे ज्यादा हरितालिका तीज का महत्व होता है.
  दो शब्दों से मिलकर हरतालिका तीज बना है- हरत और आलिका.
          बता देंं हरत का मतलब होता है अपहरण और आलिका का मतलब होता है सहेली. प्राचीन मान्यता कि तरफ ध्यान दें तो माना जाता है कि मां पार्वती की सहेली घने जंगल में ले जाकर उन्हें छुपा देती है, जिससे उनके विवाह भगवान विष्णु से ना हो सके . क्योंकि माता पार्वती के पिता विष्णु से उनका विवाह करवाना चाहते थे.
हरतालिका तीज में सुहागिनों की गहरी आस्था होती है. इस दिन सुहागिने निर्जला व्रत अपने पति के लंबी उम्र के लिए रखती हैं. ऐसा कहा जाता है कि सुहागिने इस व्रत को रखती है तो शिव और पार्वती उन्हें अखण्ड सौभाग्य होने का वरदान देते हैं. वहीं अगर कुंवारी लड़किया रखती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है.
हरितालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त:
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11 सितंबर 2018 को शाम 6 बजकर 4 मिनट
तृतीया तिथि समाप्त : 12 सितंबर 2018 शाम 4 बजकर 7 मिनट
प्रात: काल हरतालिका पूजा का मुहूर्त: 12 सितंबर 2018 की सुबह 6 बजकर 15 मनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक
          कैसे करें हरतालिका तीज का व्रत ?
हरतालिका तीज के व्रत को बहुत ही ज्यादा कठिन व्रत कहा जाता है. इस दिन सुहागिने निर्जल व्रत रखती हैं, पारण से पहले अपने मुंह में पानी की एक बूंद तक नहीं डालती . हरतालिका तीज वाले दिन स्नान आदि करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का जाप करते हुए अपने व्रत को आरंभ करती हैं.
           हरतालिका तीज व्रत के नियम:
1. सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्यांए हरतालिका तीज को करती हैं. लेकिन एक बार इस व्रत को जो भी रख लेता है मान्यता है कि उसे ताउम्र इस व्रत को रखना पड़ता है.
2. महिला कभी अगर ज्यादा बिमार हो जाती है, तो उसके बदले में उसका पति या फिर घर की कोई और महिला भी इस व्रत को रख सकती है.
3. हरतालिका तीज के व्रत में सोने पर पाबंदी होती है. दिन में ही नहीं बल्कि इस दिन रात में भी सोना वर्जित माना जाता है. पूरी रात इस दिन भजन और कीर्तन होता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी इस व्रत को रखता है और रात में सो जाता है तो वो अगले जन्म में अगर के रूप में पैदा होता है.
4. हरतालिका तीज के दिन अगर महिलाएं गलती से भी कुछ खा लेती हैं , तो अगले जन्म में बंदर बन जाती हैं.
5. अगर हरतालिका तीज के दिन महिला दूध का सेवन कर लेती है तो अगले जन्म में उसका जन्म सर्प योनि में होता है। उसका जन्म सर्प योनि में होता है।

फ़िल्म "हम बदला लेंगे" में धमाल मचायेगा गिरिडीह का मिथुन

             भोजपुरी फ़िल्म "हम बदला लेंगे" में धमाल मचायेगा गिरिडीह का मिथुन



हरिप्रिया श्री प्रोडक्शन के बैनर तले बनी कंट्रोवर्सी क्‍वीन गार्गी पंडित की फिल्‍म ‘हम बदला लेंगे’ मे गिरिडीह के मिथुन यादव धमाल मचयेंगे।
इस भोजपुरी फ़िल्म की शूटिंग मुंबई में पुरी हो चुकी है। फिलहाल फिल्‍म के पोस्‍ट प्रोडक्‍शन का काम जोर-शोर से मुंबई में चल रहा है। छठ पर्व के अवसर पर फिल्म रिलीज होगी। 

 मोहम्मद हबीब के निर्देशन में बनी इस रिवेंज बेस्‍ड एक्‍शन थ्रिलर फिल्‍म ‘हम बदला लेंगे’ में गार्गी पंडित के अपोजिट भोजपुरी स्‍क्रीन पर अभिनेता प्रिंस अग्रवाल अपनी पारी की शुरूआत कर रहे हैं। 

फिल्म के बावत निर्देशक मोहम्‍मद हबीब ने बताया कि फ़िल्म की कहानी ऐसी है जो आज त‍क भोजपुरी पर्दे पर कभी नहीं दिखी है। दर्शक फ़िल्म की कहानी का भरपूर लुत्फ़ उठाएंगे।  बताया कि अभी हाल ही में फिल्‍म की एक बेहद खूबसूरत और आकर्षक आईटम नंबर ‘देख कर गोरा गाल सब माल माल चिल्लाएं’ को शूट किया गया है। इंदु सोनाली के गाये इस गाने पर  प्रसून यादव कोरियोग्राफी में आइटम गर्ल ग्लोरी मोहन्ता ने ठुमके लगाये हैं, जो भोजपुरिया दर्शकों को मदहोश करने वाला साबित होगा।

उन्होंने बताया कि फिल्‍म में कुल 11 गाने हैं। जिसे दामोदर राव ने अपने संगीत से सजाया है। फिल्‍म छठ पर्व के मौके पर बिहार में रिलीज हो इस दिशा में प्रयास जारी है।


गौरतलब है कि फिल्‍म ‘हम बदला लेंगे’ में प्रिंस अग्रवाल (नवोदित) और गार्गी पंडित के साथ ग्लोरी मोहन्ता, संजय पांडेय, मिथुन यादव, पंकज मेहता, मनीष चतुर्वेदी, असलम वाडकर, हिमायत अली,शशि सागर, मजहर, अनवर कवीस, फारुक, शेष नाथ, सैय्यद सिराज, ज्योती सिन्हा, शशि कला यादव भी नजर आयेंगी। फिल्‍म के लेखक एस.आर.सागर हैं। पटकथा एस .बी .मोहन, गीत  राजेश मिश्रा, मुन्ना दुबे, एस. आर. सागर का है। जबकि इसे संगीत से सजाया है दामोदर राव ने। फ़िल्म का छायांकन डी.के. शर्मा, डांस मास्टर प्रसून खरका और पीआरओ संजय भूषण पटियाला हैं।