व्यंग : लोकतंत्र का महापर्व "भारत बन्द"
व्यंग :
लोकतंत्र का महापर्व "भारत बन्द" पर निबंध
भारत बन्द हमारा राष्ट्रीय त्योहार है। देश के सभी राज्यों में मनाया जाता है। बंगाल,बिहार,उत्तर प्रदेश, केरल,मध्यप्रदेश,राजस्थान,हरियाणा आदि राज्यों में बरसों से पारम्परिक तरीकों से मनाया जाता रहा है।आजकल गुजरात,महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी जोर शोर से मनाया जाने लगा है।
जिस तरह होली दीवाली पंडित जी द्वारा पतरा देखके,ईद-मोहर्रम इमाम साहेब द्वारा टेलीस्कोप से चांद देखकर,क्रिसमस जॉर्जियन कलेंडर देखकर मनाया जाता है,उसी तरह भारतबन्द का त्योहार नेतागणों द्वारा चुनाव आने का समय देखकर मनाया जाता है। यह लोकतंत्र का धार्मिक उत्सव है।
नेताओं के नवयुवा समर्पित चमचे लोग सुबह-सुबह डंडा लेकर सड़क पर निकलते हैं। सड़क पर टायर जलाकर खुशियां मनाते हैं। गाड़ियों और दुकानों का शीशा फोड़ना,स्कूटर, रिक्शा आदि के टायरों से हवा निकालना आदि भारत बन्द त्योहार के पारंपरिक रीति रिवाज हैं। गाली गलौज मारपीट इस महान पर्व की शोभा में चार चांद लगाते हैं।
भारत बन्द का त्योहार अभिव्यक्ति की आजादी के विजय का प्रतीक है। यह त्योहार इंसान के अंदर के जानवर को आदर के साथ बाहर लाता है। पशुता के प्रहसन के माध्यम से लोकशाही की श्रेष्ठता का जनजागरण होता है। उन्माद और विवाद की पराकाष्ठा पर पहुंचने में संवेग और उदवेग दोनों का सहारा लिया जाता है।
भारत बन्द में नेता लोग सड़कों पर अपनी पारम्परिक भेषभूषा जैसे पजामा कुर्ता और अपनी पार्टी का गमछा पहनकर निकलते हैं। आम चमचे लुंगी, बनियान और गमछी में झंडा-डंडा लेकर ही निकलते हैं।आजकल नवयुवक बरमुडा टी शर्ट में भी निकलने लगे है। हाथ में व्यक्ति से लगभग 6" लम्बा डंडा होना अत्यंत आवश्यक है। फाड़े में कट्टा हो तो सोने पर सुहागा।
चाय,पकोड़े,पेप्सी,कोला और शराब कबाब का इंतजाम सड़क पर ही होता है। पहले भारत बन्द मनाने वाले लोग स्वयं ही इन व्यंजनों का लुत्फ उठाते थे। जब से मीडिया भी इस त्योहार में कलम-कैमरे के साथ हिस्सा लेने लगी है और शक्ति प्रदर्शन की सेल्फी का डिमांड बढ़ा है,बन्द कराते लोग काफी सभ्य होने का प्रदर्शन करने लगे हैं। बंद पीड़ितों को भी चाय नाश्ता दवा-दारू दिया जाता है,एम्बुलेंसों को रास्ता देने का सद्कर्म भी किया जाने लगा है,जिसे पशुता पर मानवता की विजय कह कर छापा और दिखाया जाने लगा है। मानवीय गुणों का यह प्रदर्शन निश्चय ही सराहनीय है।
भारत-बन्द आलसी लोगों के लिए लोकतंत्र का अनमोल वरदान है। सोमवार से लेकर शुक्रवार तक किए जाने वाला बन्द श्रेष्ठतम लोकोपकार का है। स्कूलों कालेजों को बन्द कराने में बाल कल्याण की भावना छुपी है। सोमवार और शुक्रवार का भारतबन्द सबसे पावन बन्द है।मंगलवार से वृहस्पतिवार तक का बन्द मध्यम आनंददायी होता है। रविवार को या शनिवार को आहूत बन्द निकृष्ट कोटि के बन्द की श्रेणी में आता है।
इस भाग दौड़ की तनाव भरी जिंदगी में भारतबन्द का त्यौहार हमें परिवार के साथ वक्त बिताने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। अब तो इंटरनेट के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को बढ़ाने का मौका भी मिलता है। कभी-कभी बन्दकर्तागणों के अति उत्साह की वजह से इंटरनेट बन्द हो जाता है,जो निश्चय ही परिहार्य है।
आजकल हर पर्व त्योहार के विरोध का फैशन बन गया है।निश्चय ही कुछ लोग इस भारतबन्द पर्व पर भी ऊँगली उठाएंगे!लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। बस इतना ध्यान रखें कि बन्द का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से करें। उत्सव में रंग में भंग न डालें!भावनाओं को आहत न करें। पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि बन्द को शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जाने में सप्रेम अपना डंडा सहित योगदान दें। आंसू गैस के गोले से लोगों को भावुक होने में मदद करें! आंखों के रास्ते मन का मैल धुलबाने का आजमाया हुआ अंग्रेजी तरीका है।
भारत-बन्द के इस महान पर्व के शुभ अवसर पर हम बन्द के समर्थक और विपक्षी दोनों पक्षों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं समर्पित करते हैं। लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर ज्यादा प्रवाह आपके विसर्जन का हो! इसी मंगलकामना के साथ अपने निबंध को पूर्णविराम देता हूँ।
//कबीरा खड़ा बजार में, दियो टायर दहकाय // //नेता अपनी रोटियां, सेंक-सेंक ले जाय //
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