मंगलवार, 11 सितंबर 2018

पति के दीर्घायु का व्रत "हरितालिका तीज" 12 सितम्बर को

हरतालिका तीज व्रत 12 सितम्बर यानि कल ,   जाने पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त




हरतालिका तीज व्रत 12 सितम्बर को, जाने पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व है. इस बार कैलेंडर के अनुसार यह व्रत 12 सितंबर को पड़ा है.  हरतालिका तीज सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. ये व्रत बहुत कठिन होता है , इस दिन महिलाएं पानी का एक बूंद तक मुंह में नहीं रखती हैं.

हरतालिका तीज व्रत के नियम
हरतालिका तीज का विशेष महत्व हिन्दू धर्म मानने वाली महिलाओं में होता है. इस दिन गौरी और शंकर जी की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है.
         माना जाता है कि ये व्रत महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए रखती हैं, तो वहीं कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर के लिए इस व्रत को करती हैं.
          मुख्य रूप से हरतालिका तीज को बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. तमिलनाड्डू कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में हरतालिका तीज को गौरी हिब्बा कहा जाता है. 
           कब है हरतालिका तीज ?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार देखा जाए तो हरतालिका तीज व्रत भादो माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी भाद्रपद को रखी जाती है. इस बार ये व्रत 12 सितंबर को कैलेंडर के अनुसार पड़ा है.
           हरितालिका तीज का महत्व :
हिंदू धर्म में चार तीज मनाई जाती है जिसमें से सबसे ज्यादा हरितालिका तीज का महत्व होता है.
  दो शब्दों से मिलकर हरतालिका तीज बना है- हरत और आलिका.
          बता देंं हरत का मतलब होता है अपहरण और आलिका का मतलब होता है सहेली. प्राचीन मान्यता कि तरफ ध्यान दें तो माना जाता है कि मां पार्वती की सहेली घने जंगल में ले जाकर उन्हें छुपा देती है, जिससे उनके विवाह भगवान विष्णु से ना हो सके . क्योंकि माता पार्वती के पिता विष्णु से उनका विवाह करवाना चाहते थे.
हरतालिका तीज में सुहागिनों की गहरी आस्था होती है. इस दिन सुहागिने निर्जला व्रत अपने पति के लंबी उम्र के लिए रखती हैं. ऐसा कहा जाता है कि सुहागिने इस व्रत को रखती है तो शिव और पार्वती उन्हें अखण्ड सौभाग्य होने का वरदान देते हैं. वहीं अगर कुंवारी लड़किया रखती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है.
हरितालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त:
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11 सितंबर 2018 को शाम 6 बजकर 4 मिनट
तृतीया तिथि समाप्त : 12 सितंबर 2018 शाम 4 बजकर 7 मिनट
प्रात: काल हरतालिका पूजा का मुहूर्त: 12 सितंबर 2018 की सुबह 6 बजकर 15 मनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक
          कैसे करें हरतालिका तीज का व्रत ?
हरतालिका तीज के व्रत को बहुत ही ज्यादा कठिन व्रत कहा जाता है. इस दिन सुहागिने निर्जल व्रत रखती हैं, पारण से पहले अपने मुंह में पानी की एक बूंद तक नहीं डालती . हरतालिका तीज वाले दिन स्नान आदि करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का जाप करते हुए अपने व्रत को आरंभ करती हैं.
           हरतालिका तीज व्रत के नियम:
1. सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्यांए हरतालिका तीज को करती हैं. लेकिन एक बार इस व्रत को जो भी रख लेता है मान्यता है कि उसे ताउम्र इस व्रत को रखना पड़ता है.
2. महिला कभी अगर ज्यादा बिमार हो जाती है, तो उसके बदले में उसका पति या फिर घर की कोई और महिला भी इस व्रत को रख सकती है.
3. हरतालिका तीज के व्रत में सोने पर पाबंदी होती है. दिन में ही नहीं बल्कि इस दिन रात में भी सोना वर्जित माना जाता है. पूरी रात इस दिन भजन और कीर्तन होता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी इस व्रत को रखता है और रात में सो जाता है तो वो अगले जन्म में अगर के रूप में पैदा होता है.
4. हरतालिका तीज के दिन अगर महिलाएं गलती से भी कुछ खा लेती हैं , तो अगले जन्म में बंदर बन जाती हैं.
5. अगर हरतालिका तीज के दिन महिला दूध का सेवन कर लेती है तो अगले जन्म में उसका जन्म सर्प योनि में होता है। उसका जन्म सर्प योनि में होता है।

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