रविवार, 2 फ़रवरी 2025

साइबर अपराधियों ने गोड्डा डीसी का बनाया फर्जी फेसबुक अकाउंट

डीसी ने आम लोगों को आगाह किया 

गोड्डा (Godda)। गोड्डा डीसी जिशान कमर के नाम का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर आमलोगों को गुमराह किया जा रहा है। डीसी ने इसके प्रति आम लोगों को आगाह किया है। कहा है कि यह करतूत साइबर अपराधियों की है।


 सूचना विभाग ने भी सूचना जारी कर कहा है कि डीसी जिशान कमर के नाम व प्रोफाइल फोटो से फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर पोस्ट किए जा रहे हैं। ऐसे फेक फेसबुक आईडी या किसी अन्य अनाधिकृत सोशल मीडिया एकाउंट या फोन नंबर से पैसे मांगने व अन्य प्रलोभन से कोई कॉल या संदेश आता है, तो सतर्क हो जाएं। 


ऐसे फर्जी अकाउंट को ब्लॉक कर दें। साथ ही यह भी आगाह किया गया है कि यदि आपकी निजी जानकारी का दुरुपयोग हुआ हो या आर्थिक नुकसान हुआ हो तो राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल या स्थानीय थाने को तुरंत सूचना दें।


मृतक के शव के साथ परिजनों ने किया सड़क जाम, दो घण्टे बाद काफी मशक्कत से हंटा जाम

गिरिडीह (Giridih)। सिहोडीह निवासी ऋतिक कुमार राम नामक मजदूर के हाई टेंशन बिजली करंट की चपेट में आने से मौत हो गयी। मौत से मर्माहत मृतक के परिजनों एवं ग्रामीणों ने मृतक के शव के साथ बरगंडा चौक पर मुख्य सड़क को जाम कर दिया और मुआवजे की मांग किया। वहीं जाम की सूचना मिलने के बाद नगर एवं मुफ्फसिल थाना की पुलिस जाम स्थल पहुंच परिजनों एवं उग्र ग्रामीणों को समझाने बुझाने का काफी प्रयास किया। लेकिन उग्र लोग  बगैर मुआवजा मिले जाम हंटाने को तैयार नहीं थे। 


बता दें नगर निगम द्वारा सिहोडीह मेन रोड में सोलर लाइट लगाया जा रहा था।  सिहोडीह निवासी ऋतिक कुमार सोलर लाइट लगाने का काम कर रहा था। इस दौरान सोलर लाइट का पोल गाड़ने के क्रम में पोल का ऊपरी हिस्सा 11 हजार तार के संपर्क में आ गया और पूरे पोल में करंट दौड़ गया। जिससे ऋतिक राम की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद स्थानीय लोग उसे लेकर आनन फानन में सदर अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में मौत की पुष्टि होने के बाद उग्र ग्रामीण व मृतक के परिजन मृतक मजदूर के शव को लेकर बरगंडा चौक पहुंचे और मुख्य सड़क पर शव को रख कर गिरिडीह- देवघर मुख्य पथ को जाम कर दिया और मुआवजे की मांग करने लगे।

मुख्य सड़क के जाम हो जाने से दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गयी। जाम स्थल पर पहुंचे पुलिस के पदाधिकारियों ने करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद ग्रामीणों व परिजनों को समझाने में सफलता पायी। उसके बाद सड़क जाम को हटाया। इस दौरान मृतक के आश्रित को सरकारी प्रवधानुसार तत्काल प्रदान किये जाने वाली राहत राशि मृतक के आश्रित को दिया गया। वहीं सोलर लाइट लगाने वाले संवेदक द्वारा भी उचित मुआवजा देने की बात कही गई।

     अशोक राम निवर्तमान वार्ड पार्षद 

घटना के संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधि अशोक राम ने बताया कि मृतक ऋतिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। मृतक की दो वर्ष पूर्व शादी हुई थी और उसकी एक पुत्री भी है। पूरा परिवार बेहद गरीब है। मृतक ही एक मात्र घर का कमाऊ सदस्य था। उसकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से मृतक के आश्रित को उचित मुआवजा देने की मांग किया।

भव्य कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ तीन दिवसीय ओंकारेश्वर श्री शिवालय मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा

गिरिडीह (Giridih)। नगर क्षेत्र के मेट्रोर्स गली में नवनिर्मित ओंकारेश्वर श्री शिवालय मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर रविवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा में भारी संख्या में युवतियां और महिलाएं सिर पर कलश लेकर शामिल हुई। ढोल नगाड़ा के साथ यह कलश यात्रा विभिन्न मोहल्लों से गुजरते हुए  अरगाघाट उसरी नदी तट पर पहुंची। जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पुरोहितों व पुजारियों द्वारा कलश में जल भरवाया गया। कलश में जल भर पुनः सभी अपने सिर पर कलश लेकर मंदिर परिसर पहुंचे और मंदिर परिसर में कलश रखा। इस दौरान पूरा इलाका हर हर महादेव का जयघोष से गुंजायमान रहा।


समिति के नवीन सन्हिा ने बताया कि श्री शिवालय पूजा समिति द्वारा मेट्रोर्स गली में उसरी नदी के तट पर श्री ओंकारेश्वर शिवालय मंदिर का निर्माण कराया गया। इस भव्य शिवालय के निर्माण मे पॉवर हाउस, बरगंडा, चित्रगुप्त कॉलोनी आदि इलाके में रहने वाले लोगों ने आर्थिक सहयोग किया है। 


बताया कि मन्दिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तीन दिवसीय अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। जिसका शुभारम्भ आज कलश यात्रा से की गई। बताया कि तीन फरवरी को देवताओं का अधिवास और स्थान पर देवताओं को विराजमान किया जाएगा। वहीं 4 फरवरी को प्राण प्रतिष्ठा जलाभिषेक हवन और भंडारा का आयोजन किया जाएगा।


कलश यात्रा में नवीन सिन्हा, चुन्नूकांत, चन्दन सिन्हा, विकास सिंह, उमेश प्रसाद, राजीव रंजन, दीपक सिन्हा, अजय सिन्हा, नुनूलाल मरांडी, वीरेंद्र यादव, लक्ष्मी राय, अरुण राय सहित काफी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण शामिल थे।

23 वां राष्ट्रीय पारा एथलेटिक चैंपियनशिप में झारखंड का प्रतिनिधित्व करेंगे गिरिडीह के आकाश

गिरिडीह (Giridih)। आगामी 17 फरवरी से 20 फरवरी तक चेन्नई में होने वाले 23 वां राष्ट्रीय पारा एथलेटिक चैंपियनशिप में गिरिडीह के आकाश कुमार सिंह झारखण्ड का प्रतिनिधित्व करेंगे। आकाश सिंह इसके पूर्व राष्ट्रीय पैरालंपिक, राष्ट्रीय पारा क्रिकेट और राष्ट्रीय पारा बैडमिंटन चैंपियनशिप में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। राष्ट्रीय पारा एथलेटिक चैंपियनशिप के लिये उनका चयन होने से गिरिडीह के खिलाड़ियों में खासा उत्साह है। लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं।


बता दें कि बीते दोनों रांची के बिरसा मुंडा फुटबॉल ग्राउंड में राज्य स्तरीय पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप संपन्न हुआ था। जिसमे राज्य भर के खिलाड़ी शामिल हुये थे। जिसमें गिरिडीह के राजेंद्र नगर निवासी रविंद्र नाथ सिंह के पुत्र आकाश कुमार सिंह भी शामिल हुए थे। राज्य स्तरीय पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में आकाश ने डिस्कस थ्रोअर एवं शॉर्ट पुट थ्रो दोनों ही प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया। राज्य स्तरीय पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में आकाश ने अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पैरालंपिक बोर्ड इंडिया द्वारा तय मानक को पुरा किया, जिसके आधार पर उनका चयन राष्ट्रीय पैरा एथलीट चैंपियनशिप के लिये हुआ है।


चेन्नई में आगामी 17 फरवरी से 20 फरवरी तक होने वाले 23 वा राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में आकाश सिंह टी 44 कैटेगरी में डिस्कस थ्रो और शॉर्ट पुट थ्रो में झारखंड का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह जानकारी झारखंड राज्य पारा एथलेटिक्स बोर्ड द्वारा दी गई।

वन भूमि का अतिक्रमण कर बनाये जा रहे मकान को विभागीय टीम ने किया ध्वस्त

गिरिडीह (Giridih)। वन विभाग की जमीन का अतिक्रमण कर बनाये जा रहे मकान को वन विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुये ध्वस्त कर दिया। घटना गिरिडीह जिले के गांडेय प्रखंड की बंकीकला पंचायत के करमैय गांव की है। जहां वन विभाग की जमीन का अतिक्रमण कर गांव के नसरूद्दीन अंसारी, ईशाक अंसारी, इब्राहिम अंसारी द्वारा मकान का निर्माण किया जा रहा था। 

सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम सदल बल घटना स्थल पहुंची और जेसीबी की मदद से निर्माणाधीन मकान को ध्वस्त कर दिया। प्रभारी वन पाल दिवाकर तांती के नेतृत्व में वन विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की। टीम में वनरक्षी रंजन कुमार शर्मा, दाउद आलम, विनोद कुमार, पप्पू कुमार शर्मा, सुरुचि कुमारी व विभाग के अन्य कर्मी शामिल थे।

प्रभारी वन पाल दिवाकर तांती ने बताया कि वन भूमि का अतिक्रमण कर उस पर अवैध तरीके से मकान निर्माण किये जाने की सूचना मिली। सूचना के आलोक में विभाग द्वारा एक टीम का गठन किया। गठित टीम जब वन भूमि पर पहुंची तो सूचना को सत्य पाया और जेसीबी लगाकर निर्माणाधीन मकान को ध्वस्त कर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया।

ग्यारह हजार वाले बिजली तार की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत

गिरिडीह (Giridih)। मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के सिहोडीह में हाई टेंशन बिजली करंट की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत हो गयी। मृतक मजदूर ऋतिक कुमार राम सिहोडीह का ही रहने वाला था। वह मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था।


मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम द्वारा रविवार को सिहोडीह मेन रोड में सड़क किनारे सोलर लाइट लगाया जा रहा था। जिसमे सिहोडीह निवासी ऋतिक कुमार सोलर लाइट लगाने का काम कर रहा था। इसी दौरान करंट की चपेट में आने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। 

बताया गया कि सोलर लाइट का पोल गाड़ने के दौरान पोल का ऊपरी हिस्सा 11 हजार तार के संपर्क में आ गया और पूरे पोल में करंट दौड़ गया। जिसके ऋतिक राम को जोरदार करंट का झटका लगा। जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई।  घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने आनन फानन में उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसकी मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। परिवार के लोगों का रो रो कर बुरा हाल हो गया।

पत्नी की हत्या कर फरार हुआ पति, डेढ़ माह पूर्व अपनी मर्जी से किया था ब्याह

हत्यारोपी पति गिरफ्तार, पूछ ताछ करने में जुटी है पुलिस

बोकारो (Bokaro)। जिले के गांधीनगर थाना अंतर्गत जरीडीह बस्ती रविदास टोला में रोहित दास (38 वर्ष) की पत्नी मोनिका कुमारी (20 वर्ष) की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गयी। रोहित ने अपनी मर्जी से मोनिका के साथ 10 दिसंबर 24 को मोनिका के साथ शादी की थी।  


सूचना पाकर थाना प्रभारी पिंटू महथा, एएसआइ श्रीकांत दरवे, राजेश छतरी सहित सशस्त्र बल के जवान पहुंचे और जांच पड़ताल की। मृतका की सास कौशल्या देवी ने बताया कि शनिवार सुबह जब वह उठी और बहू को जगा हुआ नहीं पाया तो उसके कमरे में गयी। कंबल हटाया तो वह मृत पड़ी थी। रोहित वहां नहीं था। मोनिका के गले में निशान था और मुंह से खून में निकल रहा था। मामले की जानकारी मिलने के बाद मृतका के मायके वाले धनबाद के टुंडी से जरीडीह पहुंचे। मां द्रोपदी देवी, भाई सुमित रविदास और जीजा रंजीत रविदास ने कहा कि मोनिका की गला घोट कर हत्या की गयी है। इसमें ससुराल के अन्य लोगों की भी संलिप्तता है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए तेनुघाट भेज दिया।


शव के पास मिला नोट

 जांच के दौरान पुलिस को मोनिका के शव के पास एक कागज मिला है। इसमें लिखा है कि सादर प्रणाम, मैं रोहित एवं मोनिका, हम लोग दोनों अपनी मर्जी से मार रहे हैं। इसमें घर वालों का कोई हाथ नहीं है और बाहर वालों को कोई हाथ नहीं है। हम लोग जी नहीं सके, मर तो सकते हैं साथ में। नीचे दोनों का नाम है। लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि शायद रोहित भी अपनी जान देना चाहता होगा, परंतु पत्नी की हत्या करने के बाद उसका मन बदल गया और वह भाग गया।


पति पर लगा हत्या का आरोप 

पत्नी की संदिग्ध मौत के बाद उसका पति रोहित फरार हो गया था। मृतका की सास के बयान और मायके वालों के आरोप पर पुलिस मृतका के फरार पति रोहित की तलाश में जुट गयी। पुलिस ने पत्नीहन्ता पति रोहित को नावाडीह थाना क्षेत्र के सुरही से गिरफ्तार कर लिया। थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी पति रोहित पकड़ा गया है और उससे पूछताछ की जा रही है।


 12 वर्ष जेल में रहा है रोहित

आरोपी की मां ने बताया कि उसके तीन पुत्र हैं। रोहित सबसे बड़ा है। दो बेटा बाहर रह कर रोजगार करता है। दूसरा बेटा चंदन दास फिलहाल यहां पर है, जो शुक्रवार की रात अलग कमरे में सोया हुआ था। रोहित की मां कौशल्या देवी और चाचा रामू दास ने बताया कि रोहित हत्या के आरोप में 12 साल बाद हजारीबाग सेंट्रल जेल से अक्टूबर 2023 में ही बेल पर छुटा था। 


तीन बच्चों की माँ को चाकू मार किया था हत्या

वर्ष 2010 में रोहित का प्रेम प्रसंग जागेश्वर बिहार के समीप बड़गांव में रहने वाली एक महिला के साथ चल रहा था। वह महिला तीन बच्चों की मां थी। रोहित उस पर शादी करने और पति को छोड़ने का दबाव बना रहा था। महिला तैयार नहीं हुई थी। चार सितंबर 2012 को रोहित बड़ागांव के उस विद्यालय में पहुंचा, जहां वह महिला एमडीएम बनाने का काम करती थी। उसे बाहर बुलाया और चाकू मार पर हत्या कर दी। स्वयं को भी चाकू मार लिया था। इसके बाद वह बेहोश हो गया था। उस वक्त वहां उसकी पिटाई भी हुई थी। पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया। ठीक होने के बाद वह जेल चला गया था। वर्ष 2020 में उसे सजा सुनायी गयी थी। चाचा ने बताया कि रोहित सनकी मिजाज का है।

ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के प्रादुर्भाव का उत्सव है बसंत पंचमी

बसंत पंचमी पर विशेष आलेख
ऋतुओं में वसंत-ऋतु सर्वश्रेष्ठ है। इसीलिए वसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु के प्रवेश करते ही सम्पूर्ण पृथ्वी वासंती आभा से खिल उठती है। वसंत ऋतु के आगमन पर वृक्षों से पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नये पत्ते आना प्रारंभ होते हैं। इस ऋतु के प्रारंभ होने पर शीत लहर धीरे-धीेरे कम होने लगती है तथा वातावरण में उष्णता का समावेश होता है। माघ महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी को वसंत ऋतु का आरम्भ स्वीकार किया गया है और इसे महत्त्वपूर्ण पर्व की मान्यता दी गई है।


हिन्दू-धर्म में वसंत पंचमी का विशेष महत्त्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन माँ सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ। माता सरस्वती विद्या की देवी हैं। उनके पास आठ प्रकार की शक्तियाँ हैं -- ज्ञान, विज्ञान, विद्या, कला, बुद्धि, मेधा, धारणा और तर्कशक्ति। ये सभी शक्तियाँ माता अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। भक्त को अगर इनमें से कोई शक्ति प्राप्त करनी हो तो वह विद्या की देवी माता शारदा की आराधना करके उनसे उस शक्ति प्राप्त कर सकता है।



जिस प्रकार शास्त्रों में सृजन, पालन एवं संहार के प्रतीक त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मान्यता है ठीक उसी प्रकार बुद्धि, धन और शक्ति की प्रतीक सरस्वती, लक्ष्मी और काली के रूप में त्रिदेवियाँ भी स्वीकृत हैं। इनमें माता सरस्वती प्रथम स्थानीय है, क्योंकि धनार्जन एवं रक्षार्थ शक्ति-नियोजन में भी बुद्धिरूपिणी सरस्वती की कृपा की विशेष आवश्यकता रहती है।

आचार्य व्याडि ने अपने प्रसिद्ध कोष में ‘श्री’ शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुये लिखा है कि ‘श्री’ शब्द अनेकार्थी है और लक्ष्मी, सरस्वती, बुद्धि, ऐश्वर्य, अर्थ, धर्म आदि पुरूषार्थों, अणिमा आदि सिाद्धियों, मांगलिक उपकरणों और सुन्दर वेशरचना आदि अर्थों में भी प्रयुक्त होता है -

लक्ष्मीसरस्वतीधीत्रिवर्गसम्पद्यिभूतिशोभासु।
उपकरणवेशरचना च श्रीरिति प्रथिता।।

इससे स्पष्ट है कि माता सरस्वती बुद्धि, धन, सौन्दर्य, ऐश्वर्य एवं अनेक सिद्धियों से सम्पन्न देवी हैं। लोक में उन्हें अनेक नामों से जाना जाता है जैसे - भारती, ब्राह्मी, वाणी, गीर्देवी, वाग्देवी, भाषा, शारदा, त्रयीमूर्ति, गिरा, वीणापाणि, पद्मासना और हंसवाहिनी किन्तु उनकी सरस्वती संज्ञा ही सर्वाधिक स्वीकृत है।



संपूर्ण विश्व का दैनन्दिन कार्य-व्यापार मनुष्य की वाणी पर ही निर्भर करता है। अतः इस संदर्भ में भी वाग्देवी भगवती सरस्वती की सत्ता सर्वोपरि है। महाकवि भवभूति ने ‘उत्तर रामचरितम’ नाटक में मधुर वाणी को सरस्वती का स्वरूप बताया है। यह सत्य भी है क्योंकि यदि मनुष्य की वाणी मधुर होगी तो वह सामने वाले व्याक्ति को प्रभावित कर सकेगा, अपनी ओर आकर्षित कर लेगा और अपने कार्य-प्रयोजन में सफल होगा परन्तु यदि उसकी वाणी में मधुरता नहीं है तो वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकेगा। मनुष्य हो या पशु-पक्षी सभी को मधुर वाणी माता सरस्वती ही प्रदान करती हैं। इस प्रकार वही मनुष्य की सफलता का कारण हैं। अतः सर्वपूज्य भी हैं।

प्राचीन समय में ऋषि-मुनि सभी प्रकार के राग-द्वेष, ईष्र्या, लोभ, मोह-माया आदि मानसिक विकारों को त्याग कर शुद्ध एवं निर्मल मन से सरस्वती माता की उपासना करते थे और लोक-कल्याण की कामना करते थे। विश्व में सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए आज भी उनकी उपासना की आवश्यकता है क्योंकि अज्ञानता और मानसिक विकारों से घिरी भ्रमित मनुष्यता को वही सत्पथ पर ला सकती हैं। मनुष्य को सद्बुद्धि देकर हिंसा, आतंक और संघर्ष के आत्मघाती अपकर्मों से दूर कर सकती हैं।


भगवती सरस्वती के प्रादुर्भाव के विषय में ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी संसार में चारों ओर देखते हैं तो उन्हें संसार में मूक मनुष्य ही दिखाई देते हैं, जो किसी से भी वार्तालाप नहीं करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी भी प्राणी में वाणी ही ना हों। यह सब देखकर ब्रह्मा जी अत्यंत दुखी हो जाते हैं। तत्पश्चात वे अपने कलश से जल लेकर छिड़कते हैं। वह जल वृक्षों पर जा गिरता है और एक शक्ति उत्पन्न होती है जो अपने हाथों से वीणा बजा रही होती है और वही बाद में सरस्वती माता का रूप लेकर संसार में पूजित होती है।

वेदों में सरस्वती नदी को भी वागदेवी का रूप माना गया है। लोक-विश्वास है कि इस नदी के सामने बैठकर सरस्वती माता की पूजा करने से उन की सीधी कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता का वाहन हंस है। माता के पास एक अमृतमय प्रकाशपुंज है जिससे वे निरंतर अपने भक्तों के लिए अक्षरों की ज्ञान-धारा प्रवाहित करती हैं।

पारम्परिक मान्यता है कि सरस्वती माता के उपासकों के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण नियम भी होते हैं और इन नियमों का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए। इन नियमों का अनादर करने से माता कुंठित हो जाती हैं, जिसके परिणाम अत्यंत प्रलयंकारी हो सकते हैं।


विश्व के समस्त सद्ग्रन्थ भगवती सरस्वती के मूर्तिमान विग्रह हैं। अतःवेद, पुराण, रामायण, गीता सहित समस्त ज्ञानगर्भित ग्रंथों का आदर करना चाहिए। ऐसे सभी ग्रंथों को माता का स्वरूप मानते हुए अत्यंत पवित्र स्थान पर रखना चाहिए। इन ग्रंथों को अपवित्र अवस्था में स्पर्श नहीं करना चाहिए। अगर हम इन ग्रंथों को अपवित्र अवस्था में स्पर्श करते हैं तो माता हमसे रूष्ट हो सकती हैं। हमें कभी भी इन ग्रंथों को अनादर से पृथ्वी पर नहीं फेंकना चाहिए। इन ग्रंथों को सदैव अपने बैठने के आसन से कुछ ऊँचाई पर रखना चाहिए।

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर शुद्ध मन से माता का ध्यान करना चाहिए। ग्रहणकाल एवं अशुभ मुहूर्त में स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए हमें माता की आराधना करते समय श्वेत पुष्प, सफेद चन्दन, श्वेत वस्त्र आदि श्वेत पदार्थ अर्पित करना चाहिए। माता को प्रसन्न करने के लिए ‘‘ऊँ ऐं महा सरस्वत्यै नमः’’ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इससे माता सरस्वती प्रसन्न होती हैं।


माता उपासना करने मात्र से अपने भक्तों से परिचित हो जाती हैं और सदा अपने भक्त की रक्षा करती हैं। इसलिए वसंत पंचमी के दिन भारत के अधिकांश विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सरस्वती माता की उपासना के विशेष अनुष्ठान आयोजित होते है। इस प्रकार वसंत पंचमी सरस्वती पूजन का पर्याय रूप उत्सव है।