बुधवार, 22 जनवरी 2020

बिहार में तीसरे विकल्प की पप्पू यादव ने की वकालत

बिहार में है तीसरे विकल्प की जरूरत : पप्पू यादव

राजद का नेतृत्व यदि रघुवंश प्रसाद सिंह करें तो राजद में ही कर लूंगा अपनी पार्टी का विलय - कहा पप्पू यादव ने

पटना : यदि लालू प्रसाद और तेजस्वी से अलग राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह राजद का नेतृत्व करते हैं तो वे राजद के साथ चलने को तैयार हैं। उक्त बातें जाप प्रमुख पप्पू यादव ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा। उन्होंने कहा कि रगुवंश प्रसाद सिंह के नेतृत्व वाली राजद में वह अपनी पार्टी जाप का विलय तक कर देंगे। इतना ही नहीं उन्होंने एनडीए और महागठबंधन से अलग तीसरे विकल्प पर विचार करने की भी वकालत की।

यादव ने कहा कि बिहार की जनता एनडीए और महागठबंधन से इतर अब तीसरा विकल्प चाहती है। क्योंकि राजद और जदयू भाजपा की टीम ए और बी के रूप में काम कर रही हैं। ऐसे हालात में भाजपा, जदयू और राजद को सत्ता से बाहर करने के लिए रघुवंश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में तीसरा विकल्प तैयार किया जा सकता है।


तीसरे विकल्प के रूप में बनने वाले संगठन में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अध्यक्ष जीतन राम मांझी, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी और वामदल के लोग भी साथ आए। इनसे कोई परहेज नहीं होगा। यह कोशिश भी हो कि प्रशांत किशोर जैसे नेता भी इससे जुड़ें ताकि मजबूत विकल्प तैयार हो और बिहार की सत्ता पर काबिज लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सके।

सीएए, एनआरसी और एनपीआर जबरन थोप रही केंद्र सरकार
एनआरसी, एनपीआर व सीएए को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर पप्पू यादव ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होने कहा कि सरकार एक जाति विशेष के लोगों पर जबरन एनआरसी, एनपीआर व सीएए जैसे काले कानून को थोपकर देश की शांति को भंग करना चाहती है। जिसे हमलोग कभी कामयाब नहीं होने देंगें।


पप्पू यादव ने कहा कि यह कानून हिदुस्तान की जनता और गरीब आवाम के खिलाफ है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ट्यूनिग सही नहीं है। पीएम कुछ कहते हैं और गृह मंत्री कुछ और कहते हैं। आज पूरा देश सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। उन्हें जनता की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। यह लड़ाई हिन्दु और मुसलमानों की नही हैं। भाईचारे और संविधान बचाने की लड़ाई है।

भाजपा विधायक ढुल्लू महतो के निर्वाचन को चुनौती, किया याचिका दायर

पूर्वमंत्री जलेश्वर महतो ने विधायक ढुल्लू महतो के विरुद्ध किया याचिका दायर 

दिया भाजपा विधायक ढुल्लू महतो के निर्वाचन को चुनौती

झारखण्ड विधानसभा चुनाव के बाद पहली चुनाव याचिका हुई दायर

धनबाद : झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 के नतीजे घोषित होने के बाद रांची हाईकोर्ट में पहली चुनाव याचिका दायर हुई है। यह याचिका पूर्वमंत्री जलेश्वर महतो ने बाघमारा के भाजपा विधायक ढुल्लू महतो के विरुद्ध दायर किया है।

याचिका दायर पूर्व मंत्री ने बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो के निर्वाचन को चुनोती दिया है. इस चुनाव याचिका का नम्बर 01/ 2020 है.

इस याचिका में सिर्फ 824 मतों से पराजित घोषित किये गए कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो ने विभन्न आधारों पर ढुलू महतो के निर्वाचन को चुनौती दी है.



विदित हो कि नियमानुसार चुनाव परिणाम की घोषणा के 45 दिनों के अंदर चुनाव याचिका दाखिल करनी होती है. जिसके आलोक में पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो ने 29वें दिन याचिका दाखिल की है.

हाईकोर्ट क्या फैसला सुनाता है यह तो भविष्य के गर्भ में है मगर इससे निश्चितरूपेण ढुलू महतो की परेशानी बढ़ जाएगी.

बताया जाता है कि याचिका में बरोरा थाना कांड संख्या 307/2006 में विभिन्न धाराओं में कुल मिलाकर 72 माह की सजा मिलने, कतरास थाना कांड संख्या 178/2019 में आईपीसी की धारा 376, 354, 506, 511, 34 में बिना जमानत लिये नामांकन करने , मॉक पोलिंग में अनियमितता बरतने, छाताबाद के 266 नम्बर बूथ की मतगणना नहीं करने समेत कई अन्य बिंदुओं पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए ढुलू महतो के निर्वाचन को चुनौती दी गई है.


गौरतलब है कि बरोरा थाना कांड संख्या 307/2006 में विभिन्न धाराओं में कुल मिलाकर 72 माह की सजा मिलने के मामले में ढुलू महतो की विधायकी रद करने के लिए बियाडा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार झा ने 8 जनवरी को ही विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अलग से अर्जी लगा रखी है.

रेल टिकट के गोरख धंधे से जुड़े रैकेट का हुआ पर्दाफाश, 24 गिरफ्तार

तत्काल रेल टिकट के गोरख धंधे से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश

  सूत्रधार गिरिडीह के गुलाम मुस्तफा समेत 24 गिरफ्तार

गिरिडीह : रेलवे की तत्काल टिकट कटवाने के लिए हर दिन लाखों लोग अपनी किस्मत आजमाते हैं, फिर चाहें वो खुद से टिकट काटें या फिर एजेंट को कहें... लेकिन तत्काल टिकट काटने के लिए एजेंट सारी हदों को पार कर चुके हैं. 

अवैध सॉफ्टवेर से तत्काल श्रेणी के रेल टिकटों की कालाबाजारी से जुड़े मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को बड़ी सफलता हाथ लगी है. आरपीएफ ने दलालों के ऐसे गिरोह को दबोचा है, जिसके तार टिकटों की कालाबाजारी के साथ आतंकियों से भी जुड़े हैं.

गिरफ्तार दलालों में गिरिडीह (झारखंड) का रहने वाला मुख्य सूत्रधार गुलाम मुस्तफा समेत 24 लोग शामिल हैं. ये सभी आरोपी क्रिप्टो करंसी और हवाला (मनी लाॅन्ड्रिंग) के जरिए पैसा विदेश भेज रहे थे. मुस्तफा की गिरफ्तारी ओडिशा से की गई. वह बेंगलुरू से टिकटों की कालाबाजारी करता था.

इधर, आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि इस गिरोह के पास उपलब्ध उन्नत तकनीक के बारे में भी पता चला है. इस गिरोह में 20 हजार से अधिक एजेंटों वाले 200 से 300 पैनल देश भर में सक्रिय हैं. इसका मास्टरमाइंड हामिद अशरफ दुबई में बैठा है.

 वह बीते साल गोंडा स्कूल में धमाका करने के मामले से भी जुड़ा है. यह गिरोह पाकिस्तान के प्रतिबंधित संगठन तब्लीगी जमात से जुड़ा है. इसमें बेंगलुरु की एक सॉफ्टवेयर कंपनी भी साझीदार है और गुरुजी के काेडनेम वाला एक उच्च तकनीक में माहिर गिरोह को सक्रिय मदद देता है.

इस खुलासे के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), खुफिया ब्यूरो (आईबी), प्रवर्तन निदेशालय, कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच इकाई भी जांच में जुड़ गई हैं.

फर्जी आधार पर बांग्लादेशियों को देश में बसा रहा गिरोह

अरुण कुमार के मुताबिक, टिकटों की कालाबाजारी में शामिल गिरोह का प्रमुख सदस्य गुलाम मुस्तफा हाल ही में भुवनेश्वर से पकड़ा गया था. उससे पूछताछ में इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ. गिरोह के पास फर्जी आधार कार्ड एवं फर्जी पैन कार्ड बनाने की तकनीक है और बंगलादेश से लोगों को अवैध रूप से लाने एवं यहां बसाने का काम भी कर रहा था.

दुबई में है सरगना, हर माह 15 करोड़ पाता है अशरफ

इस पूरे कालाबाजारी को हैंडल करने वाला दुबई में बैठा हामिद अशरफ मूलरूप से उत्तरप्रदेश का रहने वाला है. वह 2019 के गोंडा बम विस्फोट का आरोपी भी है. वर्ष 2016 में आरपीएफ ने हामिद अशरफ काे टिकट की कालाबाजारी में गिरफ्तार किया था. तत्काल टिकटों की कालाबाजारी से वह हर माह 15 करोड़ रुपए दुबई में बैठे-बैठे पाता है. अशरफ का सीधा कनेक्शन गुलमा मुस्तफा के साथ है.

ओड़िशा के मदरसों में हुई मुस्तफा की पढ़ाई

मुस्तफा की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई ओडिशा के केंद्रपाड़ा स्थित मदरसाें से हुई है. बाद में वह यहां से बेंगलुरु चला गया. वहां उसने 2015 में रेलवे टिकट की दलाली शुरू की. इस काम में माहिर होने के लिए उसने ई-टिकटाें के साॅफ्टवेयर की ट्रेनिंग ली फिर ई-टिकट की कालाबाजारी से जुड़ गया. इस दौरान दूसरे शहरों में भी अपने साथी तैयार कर ई-टिकटों की कालाबजारी का नेटवर्क बना लिया.

साॅफ्टवेयर डेवलपर भी नेटवर्क से जुड़े हैं

गुलाम मुस्तफा के साथ कई सोफ्टवेयर डेवलपर भी जुड़े हुए हैं. इनके नीचे 200-300 लाेगाें का पैनल है. यही लाेग झारखंड सहित देशभर के 20 हजार टिकट एजेंट से संपर्क में रहते हैं. आरपीएफ के अनुसार, अब तक की जांच से पता चला है कि हर माह करीब 10 से 15 कराेड़ रुपए देश से बाहर अलग-अलग तरीकों से भेजे जा रहे थे. काले काराेबार की कमाई एक साॅफ्टवेयर कंपनी में निवेश भी की गई है.

एक मिनट में तीन टिकट कटने पर हुआ आरपीएफ को शक

आम ताैर पर टिकट बुकिंग की पूरी प्रक्रिया में तीन मिनट तक का समय लगता है. लेकिन इस गिरोह ने ऐसा साॅफ्टवेयर बनाया है, जिससे एक मिनट में तीन टिकट बुक हो जाते हैं. इसी तकनीक के पकड़ में आने से आरपीएफ काे गड़बड़ी का शक हुआ. जब इन टिकटाें की जांच हुई तो ओडिशा से मुस्तफा की गिरफ्तारी हुई. उसके बाद इस काले कारोबार से जुड़े 23 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया. अन्य जांच एजेंसियों से भी इस नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में सहयोग लिया जा रहा है...खबर साभार