गुरुवार, 27 सितंबर 2018

अजूबा बच्चा ने लिया जन्म , देखने उमड़ी भीड़

          अजूबे बच्चे ने को देखने उमड़ी लोगों की भीड़


एक सिर ,दो नाक, दो मुंह, चार ऑख वाले बच्चे ने लिया जन्म


बिहार प्रदेश के समस्तीपुर जिलान्तर्गत विभूतिपुर प्रखंड के मुस्तफापुर बरैयागाछी मे गुरुवार की सुबह एक अजूबे बच्चे ने जन्म लिया है। बच्चे का गर्दन और सिर एक है लेकिन मुंह दो, नाक दो, आंख चार है।
उक्त अजूबे बच्चे की जन्म की खबर जंगल में लगी आग की तरह पुरे इलाके में फैल गयी। उक्त बच्चे को देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

स्थानीय लोगो ने बताया कि मुस्तफापुर पंचायत के बरैयागाछी निवासी अर्जुन पासवान उर्फ छोटन पासवान की पुत्री को बुधवार की रात प्रसव पीड़ा शुरू हुई और आज गुरुवार की सुबह उसने एक अजूबे बच्चे का जन्म दिया। 

हालांकि जन्म के कुछ ही देर बाद बच्चा इस संसार मे नही रहा। उसकी मौत हो गयी। बताया गया कि उक्त बच्चे ने अपने ननिहाल में जन्म लिया था। बच्चे के पिता का नाम शत्रुघ्न पासवान बताया गया जो बिरनामा निवासी हैं।

उक्त अजूबे बच्चे की चर्चा गांव मे लगी आग की तरह फैल गई है। उसे देखने लोगो का ताँता लगा हुआ है। महिला-पुरुष-बच्चे सभी वर्ग के लोगों के साथ दूर दूर के गांव के लोग भी उसे देखने पहुंच रहे हैं। लोगों के बीच उस बच्चे को लेकर तरह-तरह चर्चा हो रही है। कुछ लोग उसे भगवान का अवतार मानकर उसकी पूजा-अर्चना भी करने लगे हैं।

नहाय खाय के साथ एक अक्टूबर से शुरू होगा तीन दिवसीय जिउतिया ब्रत

नहाए खाए के साथ 01 अक्टूबर से तीन दिवसीय जितिया (जीवित्पुत्रिका व्रत) का पर्व होगा शुरू



जितिया का पर्व की शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के नहाए खाए के साथ नौवी तिथि के पारण तक होती है।




इस वर्ष अक्टूबर माह के पहले मंगलवार यानि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 02 अक्टूबर को महिलाएं वंश वृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए जिउतिया व्रत रखेंगे।
 सनातन धर्म मानने वालों में इस पर्व का बड़ा महत्व है। व्रत के दौरान व्रती महिलाएं 24 घंटे तक अन्न – जल ग्रहण नहीं करेंगे। व्रत का पारण 03 अक्टूबर नौवी तिथि को करेंगी।
विद्वान पंडितों के मतानुसार  अनुसार 02 अक्टूबर यानि मंगलवार दिन अष्टमी तिथि को जिउतिया व्रती महिलाएं दिनभर भूखी रहकर कुश के जीमूत वाहन (जीतवाहन) व मिट्टी गोबर से सियारिन व चुल्होरिन (चूल्हो-सियारो) की प्रतिमा बनाकर जिउतिया की पूजा करेंगे।
 फल फूल और नैवेद्य चढ़ाए जाएंगे। इसके बाद सभी व्रती महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर जिमूतवाहन की कथा सुनेंगे। बुधवार यानी 03 अक्टूबर को सूर्योदय होने के बाद पारण के वाद व्रत को समाप्त करेगी।

इस पर्व में मछली व मरुआ की रोटी खाने की परंपरा :–

जिउतिया व्रत की मान्यताओं के अनुसार सप्तमी तिथि यानी 01 अक्टूबर को महाव्रत से एक दिन पहले सभी व्रती महिलाओं के द्वारा मरुआ की रोटी और नोनी की साग खाने की परंपरा होती है। ऐसा कहा जाता है कि मरुआ का फसल और नोनी का साग ऊसर बाली जमीन पर भी ऊपज होता है। आशय यह है कि उनके संतान की विपरीत परिस्थिति में भी रक्षा होती रहेगी। जबकि मिथिलांचल के इलाके में मरुआ की रोटी के साथ मछली खाने की विशेष परंपरा रही है। जो शाकाहारी महिलाएं व्रती होते हैं। वह मछली की जगह नोनी की साग खाती हैं।

■ पितर पूजा से होगी व्रत की शुरुआत :—

पितृपक्ष शुरू होने के कारण  01 अक्टूबर सोमवार को नहाए खाय के साथ इस पर्व की शुरुआत होगी। इसलिए सभी व्रती महिलाएं स्नान करने के बाद अपने अपने पितरों की पूजा कर व्रत का संकल्प लेंगी। व्रती स्नान करने के बाद भोजन ग्रहण करेंगी और पितरों की पूजा करेंगे। पितरों को चूड़ा अर्पित करने की परंपरा रही है। कहीं -कहीं चुडा दही दोनों अर्पित किया जाता है। हालाँकि देश-काल के अनुसार अलग अलग स्थानों पर इस मौके पर अलग अलग सामग्री भी अर्पित की जाती है।