शनिवार, 23 मार्च 2019

जस्टिस पिनाकी बने लोकपाल, लिया शपथ

देश के पहले लोकपाल बने जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष, लिया शपथ




     सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने देश के पहले लोकपाल के तौर पर शपथ ले ली। आम चुनावों से ठीक पहले लोकपाल की नियुक्ति को लेकर काफी राजनीतिक विवाद भी हुआ।     जस्टिस घोष को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के पहले लोकपाल के तौर पर शपथ दिलाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद थे।


जस्टिस घोष को प्रेजिडेंट रामनाथ कोविंद ने पद की शपथ दिलाई। इस मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ जस्टिस रंजन गोगोईव भी मौजूद थे।
 जस्टिस घोष इससे पहले आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। जस्टिस घोष वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं और मानवाधिकार कानूनों के जानकार के तौर पर उन्हें माना जाता है।

जस्टिस पी. सी. घोष को लोकपाल नियुक्त करने के साथ न्यायिक सदस्यों के तौर पर जस्टिस दिलीप बी. भोंसले, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी, जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी होंगे।न्यायिक सदस्यों के साथ ही कमिटी में 4 अन्य सदस्यों के तौर पर दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉक्टर इंद्रजीत प्रसाद गौतम भी शामिल किए गए हैं।

बेबस माँ को है अपने नवजात हेतु मसीहा का तलास

रांची रिम्स के बरामदे पर अपने तीन नवजात शिशुओं के साथ पड़ी है एक बेबस माँ , मसीहा की है तलास


सवा माह के तीन बच्चों को लेकर पिछले पांच दिनों से एक मां रिम्स के बरामदे में पड़ी हुई है। क्योंकि एक साथ जन्म लिए तीनों बच्चों की आंखें खराब हो गई हैं। बच्चों की आंखों के इलाज के लिए परिवार के पास पैसे नहीं हैं, ऐसे में उन्हें कोई रास्ता भी नहीं सूझ रहा है। राज्य के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान में बच्चों की आंखों में रोशनी आ जाएगी, इस भरोसे में मां इंदू देवी रिम्स के बरामदा से हटने का नाम नहीं ले रही है। जबकि रिम्स के कर्मचारियों ने उसे बता दिया है कि लेजर ऑपरेशन करने की मशीन यहां नहीं है। बच्चे को बाहर ले जाना पड़ेगा, तभी आंखों की रोशनी लौट सकती है। इसके बावजूद इंदू देवी रिम्स से टस से मस नहीं हुई। पूछने पर एक ही रट लगाती है कि मेरे बच्चों की आंखों की रोशनी लौटा दो, ताकि वे दुनिया देख सके।

क्या है मामला :-

बीते 8 फरवरी को झारखण्ड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में एक साथ तीन बच्चों को जन्म देने के बाद एक लाचार मां लगातार अस्पताल के चक्कर लगा रही है। जन्म के बाद से ही तीनों बच्चों को अस्पताल में शारीरिक कमजोरी के कारण भर्ती कराना पड़ा।
लगभग 20 दिनों तक देवघर के डॉ. सतीश ठाकुर की देखरेख में अस्पताल में रखने के बाद चिकित्सक ने मां को बताया कि तीनों बच्चों की आंखें खराब हो चुकी हैं। उन्हें आंख के डॉक्टर के पास ले जाने की आवश्यकता है। इसके बाद परिजन बच्चों को डॉ. डीएन मिश्रा के पास ले गए, जहां तीनों को बेहतर इलाज के लिए रांची या पटना ले जाने का सलाह दी गई।

पैसे के अभाव में नहीं हो पा रहा है इलाज

तीनों बच्चों के लेकर उसके परिजन 5 दिन पहले कश्यप आई हॉस्पिटल पहुंचे। वहां तीनों बच्चों के इलाज पर लगभग 90 हजार रुपए खर्च हाेने की बात बताई गई। इतना ज्यादा पैसा नहीं होने की वजह से परिजन निराश होकर वहां से लौट आए। इसके बाद बच्चों को रिम्स में ले जाने का फैसला किया, लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी।

रिम्स में नहीं है लेजर मशीन, नही हो सकेगा इलाज़

रिम्स में बताया गया कि तीनों बच्चों की आंखों को लेजर ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है। हालांकि यहां बच्चों को लेजर ऑपरेशन करने वाली मशीन नहीं है। ऐसे में यहां इनका ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है। इसके बाद तो परिजन परेशान हो गए। उनको समझ में नहीं आ रहा है कि वे तीनों बच्चों का इलाज कैसे कराएं। बच्चों के मामा विष्णु कुमार ने बताया कि फिलहाल उनके पास खाने तक के पैसे नहीं है। अभी तक पैसे की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है।

तीनों बच्चों को लेकर मां-दादी मदद की जोह रही बाट

तीनों बच्चों को लेकर उसके मां-दादी रिम्स में ही है। मां-दादी को अभी भी भरोसा है कि उनके बच्चे का रिम्स में इलाज हाेगा। इलाज की आस में वे लोग रिम्स में बैठे हुए हैं। वहां से आने-जाने वाले लोगों को एक-टक देखते हुए सहायता करने की आस लगाए हुए हैं। हालांकि शुक्रवार की देर रात तक पीड़ित परिवार की सहायता के लिए कोई आगे नहीं आया था।

आयुष्मान भारत योजना भी हो गयी फेल

परिजनों ने रिम्स के कई कर्मचारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टर तक पहुंचाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। ऐसे में अब मां के साथ पूरे परिवार का भरोसा सिस्टम से उठ रहा है।                 बेबस माँ इंदू ने बताया कि प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत योजना से गरीबों का इलाज कराने का वादा किया था, लेकिन जब रिम्स में ऑपरेशन करने की मशीन नहीं है तो ऐसी योजना का क्या फायदा है।

बिहार के एनडीए उम्मीदवारों की सूची

लोकसभा चुनाव हेतु बिहार प्रदेश के घोषित एनडीए  उम्मीदवार सूची...


वाल्मिकी नगरः वैद्यनाथ प्रसाद महतो (जेडीयू)

पश्चिम चंपारणः संजय जायसवाल (बीजेपी)

पूर्वी चंपारणः राधामोहन सिंह (बीजेपी)

शिवहरः रमा देवी (बीजेपी)

सीतामढ़ी वरूण कुमार (जेडीयू)

मधुबनीः अशोक कुमार यादव (बीजेपी)

झंझारपुरः राम प्रीत मंडल (जेडीयू)

सुपौलः दिलेश्वर कामवत (जेडीयू)

अररियाः प्रदीप सिंह (बीजेपी)

किशनगंजः महमूद अशरफ (जेडीयू)

कटिहारः दुलाल चंद्र गोस्वामी

पूर्णिया (संतोष कुमार कुशवाहा

मधेपुराः दिनेश चंद्र यादव (जेडीयू)

दरभंगाः गोपाल जी ठाकुर (बीजेपी)

मुज़फ़्फ़रपुरः अजय निषाद (बीजेपी)

वैशालीः वीणा देवी (लोजपा)

गोपालगंजः डॉ. आलोक कुमार सुमन (जेडीयू)

सिवानः कविता सिंह (जेडीयू)

महाराजगंजः जर्नादन सिंह बीजेपी

सारणः राजीव प्रताप रूडी (बीजेपी)

हाजीपुरः पशुपति कुमार पारस (लोजपा)

उजियारपुरः नित्यानंद राय (बीजेपी) बीजेपी अध्यक्ष

समस्तीपुरः राम चंद्र पासवान (लोजपा)

बेगूसरायः गिरिराज सिंह (बीजेपी)

खगड़िया पर अभी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है.

भागलपुरः अजय कुमार मंडल (जेडीयू)

बांकाः गिरधारी यादव (जेडीयू)

मुंगेरः राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) (जेडीयू)

नालंदाः कौशलेंद्र कुमार (जेडीयू)

पटना साहिबः रवि शंकर प्रसाद (बीजेपी)

पाटलिपुत्रः राम कृपाल यादव (बीजेपी)

आराः राजकुमार सिंह (बीजेपी)

बक्सरः अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी)

सासारामः छेदी पासवान (बीजेपी)

काराकट महाबलि सिंह (जेडीयू)

जहानाबादः चंद्रेश्वर प्रसाद (जेडीयू)

औरंगाबादः सुशील कुमार सिंह (बीजेपी

गयाः विजय कुमार मांझी (जेडीयू)

नवादाः चंदन कुमार (लोजपा)

जमुईः चिराग कुमार पासवान (लोजपा)