’’ तब माली बना तू रोयेगा ’’
चाहते हो गर एक हरा भरा
उपवन
तो मानो प्यारे मेरा यह
कथन।
तुम चमन मे अपने, दो ही फूल खिलाना
सींच सींच कर उन दोनो को
ही महान बनाना।
ज्यादा फूलों की बगिया,
माना सुन्दर दिखेगी
पर इस मंहगाई मे उनकी,
परवरिश जब न होगी -
उस वक्त कली, फूल बनने के पूर्व ही झड जायेगी
तब माली बना तू रोयेगा।
अश्कों से अपने, तू सींचना चाहोगे
पर तुम्हारे सारे अश्क
बेकार ही जायेंगे।
तेरे ही उपवन के फूल,
दूर तुझसे हो जायेगे
लाख यतन करोगे पर वे खिल
कभी न पायेंगे।
उस वक्त तेरे बगिया मे एक
फूल भी न बचेगा
तब माली बना तू रोयेगा।
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