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रविवार, 31 मई 2020
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शनिवार, 30 मई 2020
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ससुराल में हुए अपमान से आहत व्यक्ति साइकिल से चल दिया अपने घर प्रदेश प्रदेश
ससुराल में हुए अपमान से आहत व्यक्ति साइकिल से चल दिया अपने घर प्रदेश प्रदेश
◆पत्नी और तीन बच्चे भी है साथ
गिरिडीह: एक कहावत काफी प्रचलित है कि दामाद ससुराल में तभी तक पूजनीय है। जब तक वह दामाद बन कर रहे। अर्थात वह ससुरल जाए जरूर लेकिन वँहा ज्यादा दिनों तक रुके नही। ससुराल को कभी अपना पैतृक घर न समझे। अन्यथा उसका ऐसा अपमान होगा कि वह जिंदगी भर भूल नही पायेगा। कुछ ऐसा ही वाक्या घटित हुआ एक पचपन वर्षीय दामाद अमित तिवारी के साथ।
ससुराल में उसके साथ अपमान ऐसा हुआ कि वह सह नहीं पाया और लॉक डाउन के दौरान ही वह साइकिल के सहारे तीन बेटी और पत्नी को लेकर लगभग साढ़े छह सौ किलोमीटर मध्य प्रदेश के मैहर के लिए निकल पड़ा। अमित तिवारी का पैतृक घर मध्य प्रदेश के मैहर में है। मार्च महीने में ही बच्चों के साथ वह बोकारो नवाडीह स्थित कोठी गांव ससुराल पहुंचे थे। इसी बीच लॉकडाउन की घोषणा हो गई।
मजबूरन उन्हें ससुराल में ही रहना पड़ा। इधर, ससुराल में लंबे समय तक रहने पर किसी बात को लेकर ससुराल वालों से विवाद हो गया। जिसे देख लगा कि अब ससुराल में रहना उचित नहीं है। यात्री वाहन नहीं चलने के कारण अमित तिवारी ने गांव के एक व्यक्ति से साइकिल खरीदी और पत्नी व तीनों बच्चों के संग अपने घर मध्य प्रदेश मैहर के लिए निकल गया।
पत्नी बबीता तिवारी ने बताया कि पति का अपमान वह कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। मायके में पति के साथ हुए अपमान से मैं दुखी हूं लेकिन आत्मसम्मान के लिए मैं अपने बच्चों व पति के साथ साइकिल के सहारे ही ससुराल जाना उचित समझा। हालांकि, बबीता ने बताया कि इस दौरान उसके रिश्तेदारों ने रोकने की कोशिश की और समझाया भी, लेकिन आत्मसम्मान ने यहां रुकने की इजाजत नहीं दी।
जिले के डुमरी क्षेत्र पहुंचने पर जब इस दम्पति के बाबत डुमरी बीडीओ सोमनाथ बंकीरा को जानकारी हुई तो उन्होंने कहा कि दंपती अगर यहां डुमरी में रुकना चाहें तो उनके लिए कस्तूरबा विद्यालय में रहने की व्यवस्था की जाएगी। लॉकडाउन टूटने के बाद उसे किसी गाड़ी से उसके गंतव्य स्थान तक भेजे जाने की व्यवस्था की जाएगी। लेकिन दंपती ने किसी की नही सुनी और अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गया।
अमित ने अपनी साइकिल के स्टैंड पर फल वाली टोकरी बांध रखी है। जिसमें दोनों बच्चियों को बैठाए रखा है। जबकि पत्नी दुधमंही बच्ची को गोदी पर लेकर चल दी। रास्ते में जिसकी भी नजर इस दंपती पर पड़ी वे उनके परिजनों को कोसते नजर आए।

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पीरटांड़/ गिरिडीह : जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन में संपूर्ण लोक डाउन का भरपूर प्रभाव पड़ा है । एक और जान सभी संस्थाएं एवं मंदिर बंद पड़े हैं वहीं दूसरी ओर हजारों मजदूरों के बीच भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है । देश दुनिया से मधुबन आने वाले जैन श्रद्धालु एवं पर्यटक लोक डाउन के कारण मधुबन नहीं आ पा रहे हैं। जिससे 10,000 परिवार प्रभावित हुआ है। संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन कहां से दिया जाएगा ट्रस्टीयों के बीच समस्या उत्पन्न हो गयी है।
यहां यह बता दें कि मधुबन में देश दुनिया के तीर्थ यात्री दर्शन पूजन हेतु एवं पर्यटक पारसनाथ के आनंद उठाने हेतु आते हैं। सभी यात्री यंहा की कोठियों में ठहरते हैं। जिससे मंदिरो में आय, कोठियों में आय, संस्थाओं में आय, डोली मजदूरों के बीच रोजगार, डेली मजदूरों के बीच रोजगार, दुकानदारों के यहां बिक्री होने से आय होता था। जो लगभग ढाई महीने से बंद पड़ा है। जिससे मजदूरों के बीच भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
वहीं संस्थाओं में आय बंद है तो कर्मचारियों को वेतन कहां से दिया जाए यह एक समस्या बना हुआ है। जिसको लेकर 20 पंथी कोठी ने एक तरकीब निकाली है देश दुनिया में अपने घरों में बैठे जैन श्रद्धालुओं को फेसबुक लाइव के माध्यम से दर्शन व पूजन का लाभ देने का तरीका ढूंढ निकाला है। कहा है कि अभिषेक एवं आरती करने का सौभाग्य प्राप्त घर बैठे करें।
20 पंथी कोठी के प्रबंधक सुधाकर अन्नदाते ने एक सूचना जारी कर कहां है कि 30 मई से प्रत्येक दिन फेसबुक लाइव प्रसारण प्रातः 8:00 बजे मधुबन शिखरजी से कराई जाएगी एवं संध्या 6:00 बजे आरती भी दिखलाया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा है कि आप सभी परिवार इस सांसद भूमि पर अपनी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराते हुए अपनी भावना प्रेषित कर जस के भागी बने ।
यहां यह बता दें की मधुबन में सभी चीजों की बोली लगाई जाती है। अभिषेक की बोली, आरती करने की बोली सहित सभी धार्मिक आयोजनों का बोली लगाया जाता है। जिससे आमदनी होता है। उस आमदनी को पुनः कायम करने के लिए फेसबुक पर अब बोली लगाई जाएगी ताकि कर्मचारियों को समय पर वेतन दिया जा सके । इस तरकीब को सभी लोगों ने खूब सराहा है ।
