चिता पर 9 घण्टे पड़ी रही मां की लाश, श्मशान घाट में ही बेटियों ने किया बखेड़ा
मथुरा (Uttar Pradesh)। एक बुजुर्ग महिला का शव 9 घंटे तक शमसान घाट में चिता पर पड़ा रहा लेकिन उसे मुखाग्नि देने के बजाय महिला की 3 बेटियां संपत्ति के लिए आपस में लड़ती रहीं और अंतिम संस्कार नहीं होने दी। आखिरकार रिश्तेदारों ने स्टांप पेपर मंगाकर तीनों बहनों के बीच संपतति का बंटवारा करवाया, उसके बाद ही चिता को अग्नि लगाई जा सकी। उत्तर प्रदेश की मथुरा की इस घटना को देख श्मशान घाट में मौजूद तमाम लोगों के सिर शर्म से गड गए।
बेटियों के घर रहकर करती थी गुजारा
कहते हैं कि औलाद बुढापे का सहारा होता है। हर मां-बाप उम्मीद करता है कि बुजुर्ग होने पर बच्चे उनकी देखरेख करेंगे और उन्हें सहारा देंगे। लेकिन मथुरा के नगला छीता गांव की रहने वाली पुष्पा देवी की बेटियों की करतूत ने सबों का सिर शर्म से झुका दिया। जानकारी के मुताबिक मूलरूप से मथुरा के नगला छीता गांव की रहने वाली पुष्पा देवी (98) के पति गिर्राज प्रसाद का निधन पहले ही हो चुका था। पुष्पा देवी का कोई बेटा नहीं था। बुढापे में वह अपनी शादीशुदा बेटियों के यहां रहकर बचा जीवन गुजार रही थीं। फिलहाल वे अपनी बेटी मिथलेश पत्नी मुरारी निवासी गली नंबर-5, आनंदपुरी, शहर कोतवाली के यहां रह रहीं थीं।
शनिवार रात बीमारी से हो गई थी मौत
शनिवार रात को बीमारी की वजह से पुष्पा देवी की मौत हो गई। इसके बाद अर्थी तैयार कर रविवार सुबह 10.30 बजे उनके शव को बिरला मंदिर के पास मोक्षधाम ले जाया गया। वहां पर लकड़ी लगाकर चिता तैयार कर ली गई और मुखाग्नि देने के लिए उस पर शव को लिटा दिया गया। तभी मृतका पुष्पा देवी की बड़ी बेटी शशी निवासी सादाबाद, जो कि विधवा हैं, वे अपनी बहन सुनीता के साथ वहां पहुंच गईं।
संपति बंटवारे को लेकर किया बखेड़ा
दोनों बहनों ने संपति के बंटवारे को लेकर बखेड़ा कर दिया। शशी ने कहा कि उनकी मां के नाम पर चार बीघा जमीन थी। उसकी वसीयत मिथलेश ने अपने नाम लिखा ली है, उसके आधार पर वह पूरी संपत्ति को अकेले रखना चाहती है। सुनीता ने कहा कि 4 बीघा में से डेढ बीघा जमीन मिथिलेश बेच चुकी है और अब वह बची जमीन भी बेचने की कोशिश में हैं।
विवाद के कारण चिता पर 9 घंटे तक पड़ा रहा शव
मिथलेश ने अपनी दोनों बहनों की बात का विरोध किया। इसके चलते वहां गहमागहमी हो गई और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रुक गई। सूचना मिलने पर मौके पर गोविंद नगर और शहर कोतवाली पुलिस भी पहुंच गई। उन्होंने तीनों बहनों को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। बहनों के बीच संपति विवाद में 9 घंटे गुजर गए। इसके बाद रिश्तेदारों ने दखल दिया और तीनों बहनों के बीच संपति को लेकर बंटवारा करवाया।
पहले हुआ सम्पत्ति का बंटवारा, फिर हुआ अंतिम संस्कार
बड़ी बहनों की मांग पर मौके पर स्टांप पेपर मंगवाया गया। उसके बाद पूरा समझौता उस पर लिखकर तीनों बहनों के साइन करवाए गए। इंस्पेक्टर रवि त्यागी के अनुसार चार बीघा जमीन में से मिथलेश डेढ़ बीघा जमीन को बेच चुकी है। अब केवल ढाई बीघा जमीन शेष बची है। समझौते में तय हुआ कि एक बीघा जमीन विधवा शशी को दी जाएगी। जबकि बाकी की जमीन में बराबर का बंटवारा सुनीता और मिथलेश के बीच किया जाएगा। समझौते पर साइन होने के बाद मां के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरा हो सका।
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