शनिवार, 21 मार्च 2020

प्राइवेट बसों में यात्री चुटके नुमा टिकट पर यात्रा करने को हैं विवश

चुटके नुमा टिकट पर यात्री हैं यात्रा करने को विवश

गिरिडीह : गिरिडीह बस स्टैंड से अमूमन आप जब भी किसी प्राइवेट बस से यात्रा कर रहे होते हैं तो आपको ऐसा ही चुटके की शक्ल में टिकट पकड़ा दिया जाता होगा। जो यातायात नियमों का घोर उल्लंघन है।

 जिसपर न तो संबंधित बस का नंबर होगा न ही और कोई आवश्यक विवरणी... सबसे हैरानी की बात तो यह है कि अगर आपने अपनी टिकट की रकम के लिए खुदरा पैसा नही दिया तो इन बसों के खलासी/कंडक्टर इन्ही चुटका नुमा टिकट पर बकाये की रकम लिख देंगे। 

अब आगे आपकी पूरी जिम्मेवारी बनती है कि राम नाम की जगह उस बकाये रकम का जाप करते चले ताकि आप भूलें नही और आप रकम वापस ले सकें और यह भी तब तक ही संभव है जब तक कि वह खलासी/कंडक्टर उस बस में हो...!!!!

अगर वह बीच मे उतरा तो आपके पैसे भी सीधे गंगा मईया या यूं कहें कि गिरिडीह के उसरी नदी अथवा बराकर नदी में विसर्जित... !!!!

ये तो हुई सामान्य सी बात जिसे आप नज़र अंदाज़ भी कर सकते हैं। पर सोंचिये कभी अगर आपको आपकी इन यात्राओं को कही प्रमाणित करना हो/कही यह प्रमाण जमा करना हो कि अमुक तिथि को अपने अमुक स्थान से अमुक स्थान तक  की यात्रा की है अथवा आप यात्रा में थे तो क्या उन परिस्थितियों में आप इस चुटका नुमा टिकट से काम चला पाएंगे?? सोचिये ऐसी गैर-कानूनी काम डंके की चोट पर हर दिन सूबे की लगभग हर बस स्टैंड से होता है जिसपर नकेल कसने के लिए न तो डीटीओ तैयार हैं न ही यातायात पुलिस.. !! 

आप लूटते है तो लूटते रहिये.. इन्हें क्या?? इनको तो इनके हिस्से की मलाई बराबर पहुंचती है और वह भी पूरी ईमानदारी से...!!!

इस चुटके नुमा टिकट से जंहा एक ओर जनता (यात्री) हलकान हैं वंही दूसरी ओर सरकारी राजस्व को भी चुना लगाया जा रहा। यह एक सोंची समझी साजिश का नतीजा है। जिसका खुलासा इसकी जांच के बाद ही सम्भव है।

झारखण्ड में बनी हेमन्त सोरेन की सरकार से जनता को काफी आशा और उम्मीद है। काश यह सरकार इस दिशा में नकेल कस इसमे बदलाव ला यात्रियों को इस चुटकानुमा टिकट से निजात दिला सके। और सरकारी राजस्व में वृद्धि कर सके।

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