दिलचस्प होगा गिरिडीह लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों के बीच मुकाबला
[राजेश कुमार]
अगामी 12 मई को गिरिडीह लोकसभा के लिए मतदान होना है। जिसके लिये नामांकन की प्रक्रिया अगामी 16 अप्रैल से शुरू होगा। 24 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 26 अप्रैल तक नाम वापसी हो सकेगा। अब तक चुनाव के मद्दे नजर तीन राजनीतिक दलों ने इस सीट के लिये अपने उम्मीदवार घोषित किया है।
वंही शिवसेना ने एक महिला प्रत्याशी सिम्मी महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है। सिम्मी महतो एक गृहणी के साथ साथ सोशल एक्टिविस्ट हैं। इनके द्वारा एक एनजीओ के माध्यम से क्षेत्र में सामजिक कार्य काफी दिनों से संचालित की जा रही है। समाजिक कार्य से जुड़े होने के कारण इनका अपने क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। जिसके बुते ही शिवसेना ने इन्हें चुनाव मैदान में उतार कर एक दाव खेला है।
बहरहाल अब तक के घोषित प्रत्याशियों के अनुसार इस सीट पर त्रिकोणात्मक संघर्ष के साथ दिलचस्प मुकाबला के आसार साफ़ साफ़ दिखने लगे हैं। आगे मतदाताओं के मतों पर गिरिडीह का भाग्य निर्भर है।
[राजेश कुमार]
गिरिडीह : झामुमो द्वारा जगरनाथ महतो को गिरिडीह लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिये जाने के बाद गिरिडीह सीट के लिए अब तक घोषित तीन उम्मीदवारों के बीच दिलचस्प मुकाबला होने के आसार दिख रहे हैं।
अगामी 12 मई को गिरिडीह लोकसभा के लिए मतदान होना है। जिसके लिये नामांकन की प्रक्रिया अगामी 16 अप्रैल से शुरू होगा। 24 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 26 अप्रैल तक नाम वापसी हो सकेगा। अब तक चुनाव के मद्दे नजर तीन राजनीतिक दलों ने इस सीट के लिये अपने उम्मीदवार घोषित किया है।
जिसमे एनडीए गठबंधन की ओर से भाजपा का गढ़ रहे गिरिडीह सीट से भाजपा सांसद का टीकट काट कर गठबंधन में शामिल आजसू पार्टी की झोली में यह सीट डाल दिया है और आजसू ने सूबे के मंत्री चन्द्रप्रकाश चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।चंद्र प्रकाश चौधरी रामगढ़ से विधायक हैं। राज्य सरकार में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री के पद पर काबिज हैं। श्री चौधरी वर्ष 2009 में हजारीबाग से सांसद का चुनाव भी लड़ चुके हैं। लेकिन तब वह बुरी तरह से चुनाव हार गए थे। हालांकि श्री चौधरी गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में बीते कुछ दिनों से सक्रिय राजनीति कर रहे हैं।
वंही शिवसेना ने एक महिला प्रत्याशी सिम्मी महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है। सिम्मी महतो एक गृहणी के साथ साथ सोशल एक्टिविस्ट हैं। इनके द्वारा एक एनजीओ के माध्यम से क्षेत्र में सामजिक कार्य काफी दिनों से संचालित की जा रही है। समाजिक कार्य से जुड़े होने के कारण इनका अपने क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। जिसके बुते ही शिवसेना ने इन्हें चुनाव मैदान में उतार कर एक दाव खेला है।
जबकि यूपीए महागठबंधन के तहत गिरिडीह सीट झामुमो को मिलने के बाद झामुमो ने लगातार तीन बार डुमरी से विधायक रह चुके जगरनाथ महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है। जगरनाथ महतो तीनो ही बार महतो प्रत्याशी को ही पछाड़ कर इस सीट पर काबिज हुए हैं। उन्होंने दो बार लालचन्द महतो सरीखे दिग्गज नेता को पछाड़ा है तो एक बार दामोदर महतो को शिकस्त देकर डुमरी से विधायकी हासिल किया है। वहीं जगरनाथ महतो एक बार 2014 में गिरिडीह लोकसभा सीट से भाजपा के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं और दूसरे स्थान पर रहे थे।
बहरहाल अब तक के घोषित प्रत्याशियों के अनुसार इस सीट पर त्रिकोणात्मक संघर्ष के साथ दिलचस्प मुकाबला के आसार साफ़ साफ़ दिखने लगे हैं। आगे मतदाताओं के मतों पर गिरिडीह का भाग्य निर्भर है।