गिरिडीह (Giridih)। अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ पूर्णाहुति एवं भव्य भंडारे के साथ संपन्न हुआ। यज्ञ के अंतिम दिन आज लगभग डेढ़ हजार लोगों ने यज्ञ भगवान को आहुतियां दी और सबों के उज्जवल भविष्य एवं स्वस्थ जीवन की मंगलकामना यज्ञ भगवान से की। वहीं यज्ञ के अंतिम दिन आज 5 बच्चों का मुंडन संस्कार एवं 11 बच्चों का विद्यारंभ हुआ। 35 लोगों ने गायत्री महामंत्र की दीक्षा ली। दर्जनाधिक लोगों ने नशा नहीं करने, फैशन परस्ती, क्रोध, आलस्य त्यागने का एवं नियमित सूर्य ध्यान, गायत्री मंत्र जप, लेखन एवं वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया। वहीं भंडारे हजारों लोग शामिल हो भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।
वहीं इसके पूर्व सोमवार की शाम गायत्री शक्तिपीठ में दीप महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिससे पूरा शक्तिपीठ परिसर दीपक के प्रकाश से जगमगा उठा था। मौके पर शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रतिनिधि बालक राम रत्न मूल ने कहा कि बर्तमान दौर में दुनिया में संपत्ति साधन तो आवश्यकता से अधिक बढे हैं लेकिन मनुष्य के अंदर का मानवीय संस्कार यथा दया, करुणा, ईमानदारी, श्रमशीलता, परमार्थ परायणता, सहायता की भावना प्रायः समाप्त हो गई है।
उन्होंने कहा कि गायत्री शक्तिपीठ मानवता की अस्तित्व रक्षा की अंतिम लड़ाई लड़ रही है। मनुष्य अब भी नहीं सुधरा तो दुनिया तहस-नहस हो जाएगी। कहा कि वर्तमान समय में मनुष्य अपनी आय का 60% हिस्सा नशा, युद्ध, मुकदमें बाजी, फैशन परस्ती आदि दुर्गुणों में खर्च कर रहा है। इसे रोक कर हम एक अच्छा जीवन जी सकते हैं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में कामेश्वर सिंह, दर्शन पंडित, बासुकीनाथ राय, भागीरथ प्रसाद सिंह, नरेश यादव, तुलसी पंडित, अनिरुद्ध राम, महेश गुप्ता, अतुल कुमार, विकास बरबिघैया, रतन राम, उर्मिला बरनवाल, वीणा गुप्ता, पूनम बरनवाल, रंजीता बरनवाल, अर्चना देवी, पार्वती बरनवाल, पुष्पा शक्ति, सुमन गुप्ता, मधु चौरसिया, अमृता बरनवाल, शशि बरनवाल सहित गायत्री परिवार के भाइयों एवं बहनों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ।
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