बुधवार, 17 जून 2020

अफगानिस्तान से अगवा गिरिडीह के मजदुरो का दो वर्ष बाद भी नहीं हुई रिहाई

अफगानिस्तान से अगवा गिरिडीह के मजदुरो का दो वर्ष बाद भी नहीं हुई रिहाई
        मजदूूूर हुलास महतो की पत्नी व बच्चे

गिरिडीह / बगोदर: अफगानिस्तान से 6 मई 2018 को तालिबान के बालगान प्रांत से अज्ञात बंदुक धारियों द्वारा अपहरण कर लिए गये गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखण्ड अन्तर्गत महुरी निवासी हुलास महतो तथा घाघरा निवासी प्रसादी महतो की दो साल बीत जाने के बाद भी अब तक रिहाई नहीं हुई हैं। 
                     रोते बिलखते परिजन


इससे परिजनों की उम्मीदें अब बिखरने लगी हैं। परिवार वाले पिछले एक वर्ष से उनकी वापसी के लिए सरकार से गुहार लगा रहें हैं। क्षेत्र के तत्कालीन विधायक नागेन्द्र महतो विदेश मंत्री को मजदुरों की सकुशल वापसी के लिए चिट्ठठी भी लिख चुके थे। यही नही भाकपा माले द्वारा बगोदर से लेकर दिल्ली तक तत्कालीन राज्य व केन्द्र सरकार के विरुद्ध रैली जुलुस कार्यक्रम कर मजदुरों की सकुशल वापसी की मांग भी किया गया था। 

 विधानसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल चुप हो गए। लेकिन इन मजदूरों के परिजन पिछले दो वर्षों से उनकी वापसी की टकटकी लगाए बैठे हैं। इंतज़ार की राह ताकते ताकते न केवल उन मजदूरों की पत्नी की बल्कि बच्चों की भी आंखे पथरा गयी है। किसी अनहोनी की आशंका से उनका कलेजा दिल को आ जाता है। क्योंकि बीते दो वर्षों से उनकी कोई सूचना परिवार वालों को नही मिल पायी है।

बता दें कि अफगानिस्तान के बघलान प्रांत से 6 मई 2018 को जिन सात भारतीयों को तालिबानी बंदुक धारियों ने अगवा किया था उनमें तीन मजदूर गिरिडीह जिले के बगोदर और एक मजदूर हजारीबाग जिले के टाटी झरिया का रहनेवाला था। 

अगवा मजदूरों में झारखण्ड प्रदेश के बगोदर के घाघरा निवासी प्रकाश महतो व प्रसादी महतो, महुरी के हुलास महतो और टाटीझरिया के बेडम के काली महतो शामिल थे। इनके अलावा तीन अन्य मजदूरों में एक मंटू सिंह (बिहार), राजन कौशिक, मुरलीधरन केरल का रहनेवाले थे। 

इनमें से झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के घाघरा निवासी प्रकाश महतो,हजारीबाग जिले के टाटीझरिया के काली महतो व केरल निवासी राजन कौशिक व मुरलीधरन की वापसी हो चुकी हैं।जबकि झारखंड के  हुलास महतो, प्रसादी महतो व बिहार के मंटू सिंह की रिहाई नहीं हो पायी हैं। अगवा मजदूर केइसी आरपीजी ग्रुप में काम करते थे।  अगवा मजदूर भारतीय कंपनी आरपीजी ग्रुप की कंपनी केईसी में बिजली सब स्टेशन में टावर लगाने का काम करते थे। 




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