जिला जज के तुगलकी फरमान से क्षुब्ध अधिवक्ता बैठे धरने पर
कोर्ट गेट पर धरना पर बैठे अधिवक्तागण
गिरिडीह : जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्तागण गुरुवार को जिला जज के तुगलकी फरमान से क्षुब्ध हो आंदोलित हो गये और व्यवहार न्यायालय के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे गये।
जिला जज ने व्यवहार न्यायायल परिसर के अंदर अधिवक्ताओं को गाड़ी नहीं रखने का एक फरमान जारी किया। जिसे जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्ताओं ने अमर्यादित फरमान करार देते हुये इसके विरुद्ध संघ के महासचिव चुन्नुकान्त के नेतृत्व में न्यायालय के मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गये।
अधिवक्ताओं का कहना था कि वह वर्षों से न्यायालय परिसर में अपनी दुपहिया चारपहिया वाहन खड़ा कर न्यायालय सम्बन्धी कार्यों का निष्पादन करते आ रहे हैं। कभी उन्हें इसके लिये मना नहीं किया गया है। लेकिन बर्तमान जिला जज ने यह फरमान जारी किया जो सर्वथा न्यायोचित नहीं है। कहा कि क्या अधिवक्तागण अपने वाहनों को सड़कों पर लावारिश हालात में छोड़ न्यायालीय कार्य करेंगे।
बाद में जिला जज ने अधिवक्ताओं को अपने कार्यकाल कक्ष में बुला उनसे वार्ता कर उन्हें धरना समाप्त करने को कहा।
वार्ता पश्चात अधिवक्ता संघ के महासचिव चुन्नुकांत ने बताया कि जिला जज ने कहा है कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुये सुप्रीम कोर्ट का गाइड लाइन आया है। उसी के आलोक में वाहन केम्पस से बाहर रखने को कहा गया है। महासचिव ने कहा कि अभी अधिवक्तागण सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन को फॉलो करेंगे। बाद में आपसी अंतर्विरोध को सुलझाया जायेगा।
धरना में शिवेन्द्र कुमार सिन्हा, संजीव रंजन सिन्हा, मनीष वर्मा, विनय बक्सी, कला सहाय, समेत काफी संख्या में अधिवक्तागण शामिल थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें