स्थानीय नीति का मुद्दा बेहद गम्भीर : आलमगीर आलम
गिरिडीह : सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने 1932 के खातियान पर स्थानीय नीति के मुद्दे पर कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। सत्ता में शामिल सभी दल इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर ही कोई फैसला लेगें। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर क्या करेगी यह पूछे जाने पर उन्होंने पत्रकारों को कोई भी स्पस्ट जवाब देने से इंकार किया।
विदित हो कि शनिवार को रांची से देवघर जाने के क्रम में ग्रामीण विकास मंत्री गिरिडीह के परिसदन भवन में कुछ देर रुके। जंहा उन्होंने विभागीय फाइलों की समीक्षा की और पदाधिकारियों से विचार विमर्श कर उन्हें कई निर्देश दिये।
इसके पूरे मंत्री आलम के गिरिडीह पहुंचने पर जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के साथ झामुमो के लोगों ने भी उनका स्वागत बुके देकर किया।
मंत्री आलमगीर आलम के गिरिडीह आगमन पर उनके स्वागत को लेकर ग्रामीण विकास प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता भोला राम, आरईओ के कार्यपालक अभियंता बालाजी चाौधरी के अलावे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नरेश वर्मा और झामुमो अध्यक्ष संजय सिंह के साथ नरेन्द्र सिन्हा छोटन, इरशाद अहमद वारिश, कांग्रेस नेत्री डा. मंजू कुमारी, नवीन चाौरसिया, प्रो. मुकेश साहु, शादाब अहमद, सब्बन खान, समेत कई कांग्रेस नेता मौजूद थे।
मौके पर मंत्री आलम ने पत्रकारों से बातचीत किया।राज्य में सीएए और एनआरसी को लेकर भी मंत्री आलम ने सर्वदलीय बैठक में फैसला लेने की बात दुहराते हुए कहा कि जरुरत पड़ने पर इस पर विचार किया जाएगा। मंत्री ने एनपीआर को लेकर जल्द ही कोई बड़ा फैसला करने का संकेत दिया।
पत्रकारों से बातचीत के क्रम में मंत्री ने कहा कि सदन में नेता प्रतिपक्ष को लेकर भाजपा सिर्फ हाईवोल्टेज ड्रामा कर रही है। क्योंकि दो तिहाई बहुमत के आधार पर फैसला किया जाता है।
उन्होंने कहा कि झाविमो के दो विधायकों ने कांग्रेस की सदस्यता ली है। बहुमत जिधर होगा, उसी अनुसार निर्णय लिया जाएगा। लेकिन विस अध्यक्ष की नजर प्रतिपक्ष के नेता के मुद्दे पर है। मंत्री ने प्रतिपक्ष नेता के मुद्दे को लेकर यह भी कहा कि यह न्यायिक प्रकिया की तरह है। कहा कि पार्टी का विलय और दल बदल का मामला अलग-अलग होता है। दोनों को एक में नहीं मिलाया जा सकता। वक्त आने पर विस अध्यक्ष खुद फैसला करेगें।
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