शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

ट्रेन की चपेट में आ माँ- बेटी हुई घायल, माँ के पैर कटे

 ट्रेन से उतरने के क्रम में मां-बेटी घायल, ट्रेन की चपेट में आ माँ के दोनों पैर कटे

गिरिडीह: जिले के हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन में शुक्रवार की दोपहर में उस वक़्त अफरा तफरी मच गयी जब एक महिला यात्री जम्मूतवी-कोलकाता एक्सप्रेस से उतरने के क्रम में पटरी के नीचे चली गई। इस घटना में महिला यात्री के दोनों पैर कट गए। जबकि उसकी चार वर्षीया पुत्री भी घटना में गम्भीर रूप से घायल हो गयी।

सूचना मिलते ही आरपीएफ निरीक्षक विपिन कुमार, एएसआई रामायण मिश्रा, एम एस मीना,आर के पांडेय, जयराम सिंह सहित अन्य जवान घटना स्थल पर पहुंचे और घायल महिला एवं उसकी पुत्री को पटरी से बाहर निकाला।


कैसे हुई घटना :

घटना के बावत बताया जाता है कि बिरनी प्रखंड के चिताखारो गांव निवासी चुन्नुकान्त टूडू अपनी पत्नी रूबी मुर्मु और दो बच्चों के साथ मुरादाबाद से जम्मूतवी कोलकाता एक्सप्रेस से अपने गाँव लौट रहे थे। हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन पहुंच उक्त गाड़ी अभी पूरी तरह से रुकी भी नहीं थी कि उक्त महिला प्लेटफॉर्म संख्या 3 पर उतरने लगी। जिस कारण वह संतुलन खो बैठी और प्लेटफार्म पर गिर रेलवे पटरी पर पहुंच गई। जिससे मौके पर ही ट्रेन से उसके दोनों पैर कट गए। जबकि इस घटना में उसकी बेटी भी जख्मी हो गयी।

बेहतर इलाज़ हेतु रिम्स रेफर :

घटना की सूचना पाकर सांसद प्रतिनिधि टिंकू साव, जिप सदस्य अनूप कुमार पांडेय समेत अन्य स्थानीय लोग स्टेशन पहुंचे। जिनके सकारात्मक सहयोग से दोनों घायलों को इलाज़ हेतु उप स्वास्थ्य केन्द्र सरिया लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उनकी गम्भीर स्थिति को देखते हुये प्राथमिक उपचार कर बेहतर इलाज़ हेतु रांची स्थित रिम्स अस्पताल रेफर कर दिया।

पुलिस ने कसा शिकंजा , 12 बैलगाड़ियों में लदा 20 टन अवैध कोयला जब्त

छापेमारी में 12 बैलगाड़ी समेत काफी मात्रा में अवैध कोयला जब्त



गिरिडीह : अवैध कोयला कारोबारी के खिलाफ पुलिस ने शिकंजा कसते हुए शुक्रवार अहले सुबह छापेमारी कर भारी मात्रा में 12 बैलगाड़ियों में लदे अवैध कोयला जब्त किया है। मौके पर से पुलिस ने एक स्कूटर और एक बाइक भी जब्त किया है।

बताया जाता है कि पुलिस को बनियांडीह कोलियरी के ओपेनकास्ट के डम्पयार्ड से कोयला चोरी की गुप्त सुचना लगातार मिल रही थी। जिसके आलोक में पुलिस कप्तान सुरेन्द्र कुमार झा ने एक विशेष छापेमारी दस्ते का गठन कर अवैध कोयला कारोबारियों के खिलाफ नकेल कसने का निर्देश दिया।

पुलिस की उक्त विशेष छापेमारी दस्ते ने शुक्रवार अहले सुबह ओपेनकास्ट इलाके में घेराबंदी कर बैलगाड़ी और दो पहिया वाहन से कोयला चोरी करने वाले के खिलाफ कार्रवाई किया। मौके पर से पुलिस ने लगभग 20 टन अवैध कोयला के साथ 12 बैलगाड़ी,एक स्कूटर व एक बाइक को ज़ब्त किया।


गौरतलब है कि मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के इलाकों समेत नवगठित पचंबा थाना के इलाके में सीसीएल क्षेत्र से कोयला चोरी का खेल वर्षों से चल रहा है। गाहे बगाहे पुलिस द्वारा छापेमारी किये जाने के बाद कुछ समय के लिए इसमें अल्पविराम जरूर लग जाता है,लेकिन पूर्ण विराम कभी भी नही लग पाया है। जिस कारण अवैध कोयला कारोबारियों का हौसला कभी पस्त नही हुआ है।

सुविज्ञ सूत्रों की माने तो सीसीएल क्षेत्र से कोयला चोरी कर अवैध कोयला कारोबारी बैलगाड़ी, साइकिल व मोटरसाइकिलों के जरिये बिहार के इलाकों में बदस्तूर सप्लाई करते रहे हैं।

गिरिडीह : बगोदर के युवक की हुई मुम्बई में ट्रेन से कटकर मौत

मुम्बई में ट्रेन से कटकर हुई  बगोदर के गणेश की मौत




गिरिडीह। काम के सिलसिले में मुम्बई गये गिरिडीह जिले के एक युवक की मुम्बई में ट्रेन से कट कर मौत हो गयी। मुम्बई रेल पुलिस ने जब मृतक युवक की तलासी ली तो उसके पास मिले मोबाइल और आधार कार्ड से उसकी शिनाख्त हुई।

 पुलिस ने तत्काल मृतक युवक के परिजनों को घटना की सुचना दी।  युवक की मौत की खबर मिलते ही परिजनों के बीच कोहराम मच गया। परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। 

गौरतलब है कि गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र के बेको गांव निवासी जगदीश साव का 25 वर्षीय पुत्र गणेश साव मायानगरी मुम्बई कमाने गया था। जंहागुरूवार की रात ट्रेन से कटकर उसकी मौत हो गई।


 घटना के बाद पुलिस ने मृतक की तलाशी ली तो उसके जेब से मिले मोबाइल और आधार कार्ड से उसकी पहचान हुई। पहचान के बाद पुलिस ने युवक के घर वालों को इसकी सूचना दी। मृतक गणेश अपने पीछे पत्नी रीना के साथ तीन वर्षीय पुत्र को रोता बिलखता छोड़ गया हैं।

आर्थिक रूप से काफी कमजोर मृतक के परिवार वालों के समक्ष अब मृतक के शव को घर वापस लाने में काफी परेशानी हो रही है। परिजनों ने इस विपत्ति की घड़ी में मृतक का शव लाने के लिए आम लोगों से आर्थिक सहयोग की गुहार लगाई हैं।

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

अजूबा बच्चा ने लिया जन्म , देखने उमड़ी भीड़

          अजूबे बच्चे ने को देखने उमड़ी लोगों की भीड़


एक सिर ,दो नाक, दो मुंह, चार ऑख वाले बच्चे ने लिया जन्म


बिहार प्रदेश के समस्तीपुर जिलान्तर्गत विभूतिपुर प्रखंड के मुस्तफापुर बरैयागाछी मे गुरुवार की सुबह एक अजूबे बच्चे ने जन्म लिया है। बच्चे का गर्दन और सिर एक है लेकिन मुंह दो, नाक दो, आंख चार है।
उक्त अजूबे बच्चे की जन्म की खबर जंगल में लगी आग की तरह पुरे इलाके में फैल गयी। उक्त बच्चे को देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

स्थानीय लोगो ने बताया कि मुस्तफापुर पंचायत के बरैयागाछी निवासी अर्जुन पासवान उर्फ छोटन पासवान की पुत्री को बुधवार की रात प्रसव पीड़ा शुरू हुई और आज गुरुवार की सुबह उसने एक अजूबे बच्चे का जन्म दिया। 

हालांकि जन्म के कुछ ही देर बाद बच्चा इस संसार मे नही रहा। उसकी मौत हो गयी। बताया गया कि उक्त बच्चे ने अपने ननिहाल में जन्म लिया था। बच्चे के पिता का नाम शत्रुघ्न पासवान बताया गया जो बिरनामा निवासी हैं।

उक्त अजूबे बच्चे की चर्चा गांव मे लगी आग की तरह फैल गई है। उसे देखने लोगो का ताँता लगा हुआ है। महिला-पुरुष-बच्चे सभी वर्ग के लोगों के साथ दूर दूर के गांव के लोग भी उसे देखने पहुंच रहे हैं। लोगों के बीच उस बच्चे को लेकर तरह-तरह चर्चा हो रही है। कुछ लोग उसे भगवान का अवतार मानकर उसकी पूजा-अर्चना भी करने लगे हैं।

नहाय खाय के साथ एक अक्टूबर से शुरू होगा तीन दिवसीय जिउतिया ब्रत

नहाए खाए के साथ 01 अक्टूबर से तीन दिवसीय जितिया (जीवित्पुत्रिका व्रत) का पर्व होगा शुरू



जितिया का पर्व की शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के नहाए खाए के साथ नौवी तिथि के पारण तक होती है।




इस वर्ष अक्टूबर माह के पहले मंगलवार यानि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 02 अक्टूबर को महिलाएं वंश वृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए जिउतिया व्रत रखेंगे।
 सनातन धर्म मानने वालों में इस पर्व का बड़ा महत्व है। व्रत के दौरान व्रती महिलाएं 24 घंटे तक अन्न – जल ग्रहण नहीं करेंगे। व्रत का पारण 03 अक्टूबर नौवी तिथि को करेंगी।
विद्वान पंडितों के मतानुसार  अनुसार 02 अक्टूबर यानि मंगलवार दिन अष्टमी तिथि को जिउतिया व्रती महिलाएं दिनभर भूखी रहकर कुश के जीमूत वाहन (जीतवाहन) व मिट्टी गोबर से सियारिन व चुल्होरिन (चूल्हो-सियारो) की प्रतिमा बनाकर जिउतिया की पूजा करेंगे।
 फल फूल और नैवेद्य चढ़ाए जाएंगे। इसके बाद सभी व्रती महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर जिमूतवाहन की कथा सुनेंगे। बुधवार यानी 03 अक्टूबर को सूर्योदय होने के बाद पारण के वाद व्रत को समाप्त करेगी।

इस पर्व में मछली व मरुआ की रोटी खाने की परंपरा :–

जिउतिया व्रत की मान्यताओं के अनुसार सप्तमी तिथि यानी 01 अक्टूबर को महाव्रत से एक दिन पहले सभी व्रती महिलाओं के द्वारा मरुआ की रोटी और नोनी की साग खाने की परंपरा होती है। ऐसा कहा जाता है कि मरुआ का फसल और नोनी का साग ऊसर बाली जमीन पर भी ऊपज होता है। आशय यह है कि उनके संतान की विपरीत परिस्थिति में भी रक्षा होती रहेगी। जबकि मिथिलांचल के इलाके में मरुआ की रोटी के साथ मछली खाने की विशेष परंपरा रही है। जो शाकाहारी महिलाएं व्रती होते हैं। वह मछली की जगह नोनी की साग खाती हैं।

■ पितर पूजा से होगी व्रत की शुरुआत :—

पितृपक्ष शुरू होने के कारण  01 अक्टूबर सोमवार को नहाए खाय के साथ इस पर्व की शुरुआत होगी। इसलिए सभी व्रती महिलाएं स्नान करने के बाद अपने अपने पितरों की पूजा कर व्रत का संकल्प लेंगी। व्रती स्नान करने के बाद भोजन ग्रहण करेंगी और पितरों की पूजा करेंगे। पितरों को चूड़ा अर्पित करने की परंपरा रही है। कहीं -कहीं चुडा दही दोनों अर्पित किया जाता है। हालाँकि देश-काल के अनुसार अलग अलग स्थानों पर इस मौके पर अलग अलग सामग्री भी अर्पित की जाती है।

बुधवार, 26 सितंबर 2018

तालाब किनारे मिली युवक की लाश , मचा कोहराम

तालाब किनारे युवक की लहूलुहान शव मिलने से मचा कोहराम

घटना बेंगाबाद थाना क्षेत्र के लाखठही गांव की


गिरिडीह : जिले के बेंगाबाद थाना क्षेत्र के मोतीलेदा पंचायत के लखठही गांव में तालाब किनारे एक युवक की लहूलुहान अवस्था में शव मिलने से पुरे गांव में कोहराम मच गई है। घटना की सुचना मिलते ही बेंगाबाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंच शव को अपनी अभिरक्षा में ले पोस्टमार्टम हेतु गिरिडीह सदर अस्पताल भेज दिया है।

मृतक युवक की पहचान गांव के 38 वर्षीय विजय शर्मा के रूप में हुई है।  बताया जाता है कि युवक मंगलवार की रात अपने घर से खेतों में पानी पटाने की बात कह निकला था। लेकिन काफी रात गये तक वह घर वापस नहीं लौटा तो परिजन उसकी तलाश में जुट गये।
काफी खोजबीन करने पर बुधवार को युवक का शव लहूलुहान स्थिति में तालाब के किनारे पड़ा मिला। लाश देख परिजनों के बीच कोहराम मच गया। वंही इस घटना से पुरे गांव में सनसनी फैल गयी है। शव की स्थिति को देख परिजन व स्थानीय ग्रामीण इसे हत्या का मामला बता रहे हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि अपराधियों ने युवक की हत्या कर शव को तालाब किनारे लाकर फेंक दिया है। मृतक के शरीर पर कई स्थानों पर गहरे जख्म के निशान मिले हैं।
बहरहाल बेंगाबाद पुलिस ने इस बावत एक कांड दर्ज़ कर मामले की अनुसंधान में जुट गयी है।

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

मधुबन : डोली मजदूर और बाइक सवार में हिंसक झड़प, फूंकी बाइक

जैन तीर्थस्थल मधुबन में डोली मजदूरों और बाइक सवार में हिंसक झड़प, बाइक को किया आग के हवाले



गिरिडीह: विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थस्थल सम्मेदशिखर पारसनाथ (मधुबन) में डोली मजदूरों और बाइक सवारों के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। यह तनाव दिनानुदिन हिंसक होती जा रही है। इसी कड़ी में एक बाइक को आग के हवाले कर दिया गया। जिससे बाइक चालकों और डोली मजदूरों के बीच पनपी तनाव और बढ़ गया है। हालाँकि पुलिस ने घटना की तहकीकात शुरू कर दी है। लेकिन अब तक कोई खास सुराग पुलिस के हाथ नही लग पाया है।

कैसे हुई घटना

जानकार बताते हैं कि सोमवार को संदीप चौरसिया नामक व्यक्ति अपने किसी रिश्तेदार को लेकर बाइक से पारसनाथ पर्वत की चढ़ाई कर रहा था। तभी क्षेत्रपाल के ऊपर काफी संख्या में डोली मजदूरों ने उसपर हमला बोल दिया। इतना ही नही बाइक सवार और डोली मजदूरों के बीच इस दौरान हिंसक झड़प भी हो गयी। इसी बीच किसी ने संदीप के बाइक को आग के हवाले कर दिया। और, देखते ही देखते बाइक पूरी तरह से जल गयी। विदित हो कि इस घटना के पूर्व भी मधुबन में यात्रियों को पर्वत वंदना कराने को लेकर डोली मजदूरों और स्थानीय बाइक सवारों के बीच कई बार झड़प हो चुकी है।

प्रतिबंध के बावजूद पर्वत पर बाइकों का संचालन जारी

पारसनाथ पहाड़ पर जैन यात्रियों को मंदिर तक ले जाने और लाने के लिए सैकड़ों की संख्या में डोली मजदूर सालों से यहां कार्यरत हैं। ये सभी स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोग है। वजन के हिसाब से ये गरीब मजदूर जैन यात्रियों को डोली पर बैठा कर काफी मेहनत से पर्वत वंदना कराते हैं। इसी से इनकी रोजी-रोटी चलती है। लेकिन कुछ महीनों से इस काम में कुछ स्थानीय युवा बाइक से यात्रियों को पहाड़ पर ऊपर तक ले जाने के काम में जुटे हुए हैं। इसके कारण डोली मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।

डोली मजदूरों ने कई बार किया है शिकायत

डोली मजदूरों ने इसका विरोध करते हुए पुलिस और प्रशासन से कई बार लिखित शिकायत किया है और पारसनाथ पहाड़ पर बाइक के जाने पर रोक लगाने की मांग भी की है। डोली मजदूरों ने संगठित होकर इसका विरोध करना शुरू किया। 
गौरतलब है कि सूबे के मुख्यमंत्री ने भी पर्वत पर बाइक के संचालन पर रोक लगाने का आदेश दिया था। बावजूद इसके पारसनाथ पर मोटरसाइकिल का संचालन नहीं रूका। कुछ दिनों पूर्व भी बाइक संचालकों और डोली मजदूरों के बीच जबरदस्त मारपीट हुई थी। जिसमें दर्जनों घायल हो गए थे।

पुलिस प्रशासन की लापरवाही उजागर

पुलिस प्रशासन की लापरवाही से फिर यह घटना सामने आयी है। अगर समय रहते गिरिडीह के आला अधिकारी इस मसले को हल नहीं करते हैं, तो डोली मजदूरों और बाइक संचालकों का तनाव और भी गंभीर रूप अख्तियार कर सकता है।

विधायक ने दिया बीच का रास्ता निकालने का आश्वासन 


घटना के बाद मधुबन के युवाओं का एक दल मंगलवार को विधायक निर्भय शाहाबादी से मुलाक़ात कर अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। विधायक श्री शाहाबादी ने इस बावत मुख्यमंत्री से बात कर कोई बीच का रास्ता निकालने का आश्वासन उन युवाओं को दिया।

जन्मदिन पर याद किये गये दीनदयाल उपाध्याय

भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ ने मनाया दीनदयाल उपाध्याय का जन्म दिवस, लिया उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प

गिरिडीह : बोडो स्थित चौधरी कंपलेक्स में भारतीय जनता पार्टी की प्रबुद्ध प्रकोष्ठ द्वारा मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म दिवस मनाया गया l

भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के जिला संयोजक सत्येंद्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर तथा पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया।

वक्ताओं ने मौके पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह महान चिंतक, संगठनकर्ता और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष थेl
                    विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अनेक गुणों के स्वामी भारतीय राजनीतिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य ने भारत वर्ष में "समतामूलक राजनीति विचारधारा" का प्रचार एवं प्रोत्साहन किया l
               पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक महान दार्शनिक ,पत्रकार एवं लेखक थेl उन्हें जनसंघ के आर्थिक नीति का रचनाकार कहा जाता है l

उन्होंने कहा था कि - "भारत में रहने वाला और इसके प्रति ममत्त्व की भावना रखने वाला मानव समूह एक जन है उनकी जीवन प्रणाली कला साहित्य दर्शन सब भारतीय संस्कृति है इसलिए भारतीय राष्ट्रवाद का आधार या संस्कृति है इस संस्कृति में निष्ठा रहे तभी यह एकात्म रहेगाl"

वक्ताओं ने कहा कि वह समाज के अंतिम छोर के लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने में विश्वास रखते थेI
मौके पर उपस्थित लोगों ने एक स्वर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बताए मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प लिया।


कार्यक्रम में  भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉक्टर शैलेंद्र कुमार चौधरी, प्रभात कुमार, संजीत सिंह, नितेश नंदन, गंगाधर दास, रोहित श्रीवास्तव, हिमांशु सिन्हा, अंशु ,प्रतीक ,सत्यम सहित काफी लोग मौजूद थे।

पितृपक्ष में कब और कैसे करें पिंडदान ? आइये जाने पितृपक्ष के महत्व को

पितृपक्ष में पूर्वजों को पिंडदान और तर्पण, कब और कैसे करें ?


  • 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चलेगा पितृपक्ष मेला
  • महालय अमावस्या के साथ समाप्त हो जाएगा पितृपक्ष
  • जिन्हें पूर्वजों की तिथि की नहीं होती है जानकारी वो महालय को करते हैं दान
  • पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण या पिंडदान कराना अनिवार्य है
  • जो नहीं कराते तर्पण या पिंडदान उन्हें पितृदोष लगता है
  • पितृपक्ष में कर्मकांड का विधि व विधान अलग-अलग है
  • श्रद्धालु 1, 3, 7, 15 दिन और 17 दिन का करते हैं कर्मकांड

पितृपक्ष की शुरुआत हो गई। देश-दुनिया से लोग यहां पिंडदान और तर्पण के लिए लोग आने लगे हैं। इस वर्ष 24 सितंबर से पितृपक्ष मेला की शुरुआत हो चुकी है, जो 8 अक्टूबर तक चलेगी। इस खास मौके पर अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए लोग पिंडदान और तर्पण के लिए यहां आते हैं और पिंडदान करते हैं। कहा जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या यानी महालय अमावस्या के साथ खत्म हो जाएगा। महालय अमावस्या के दिन खासतौर से वह लोग जो अपने मृत पूर्वजों की तिथि नहीं जानते, वह इस दिन तर्पण कराते हैं। भाद्रपद के कृष्णपक्ष के 15 दिन पितृपक्ष कहलाता है। पितृ ऋण से मुक्ति पाने का यह श्रेष्ठ समय माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो इस अवसर पर अपने पूर्वजों के लिए किए जाने वाले पिंडदान सीधे उनके पूर्वजों तक स्वर्गलोक तक लेकर जाता है।

अपने मृत पूर्वजों का श्राद्ध करने का सबसे उत्तम समय अमावस्या या पितृपक्ष माना जाता है। पिंड शब्द का मूल अर्थ किसी वस्तु का गोलाकार रूप होता है। प्रतिकात्मक रूप में शरीर को भी पिंड ही माना जाता है। पिंडदान के लिए पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलाकर एक पिंड को तैयार किया जाता है। वही पिंड अपने पूर्वजों अर्पित कर दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत व्यक्ति अपने पुत्र और पौत्र से पिंडदान की उम्मीद रखते हैं।


जब तक हम जीवन जीते हैं रिश्तों की खास अहमियत होती है। वो रिश्ते चलते रहते हैं मगर एक वक्त ऐसा भी आता है जब हम एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं। मृत्यु के पश्चात खुद के सगे-संबंधी तक उन्हें अधिक दिनों तक याद नहीं रख पाते हैं। दुनिया में इंसान भले ही अकेले आता है, परंतु सांसारिक मोह में बंधकर रिश्तों की एक कड़ी बन जाती है। भले ही मरने के साथ इंसान खत्म हो जाता है लेकिन उसकी आत्मा समाप्त नहीं होती है। मृतक की आत्मा अपने आगे के सफर को तभी तय कर पाती है जब उसके सारे कर्मों का सारा हिसाब किताब हो जाता है। इन सभी बंधनों से मुक्ति के लिए हिन्दू धर्म में कर्मकांडों की व्यवस्था की गई है, जिसके तहत श्राद्ध और पिंडदान करने की परंपरा है। इसीलिए अपने पित्रों को तर्पण और निमित अर्पण करना उनकी आत्मा की शांति के लिए सबसे अहम माना गया है।


पिंडदान कैसे बनता है:
  1. पिंडदान में दूध, शहद, तुलसी पत्ता, तिल आदि  महत्वपूर्ण होता है।
  2. पिंडदान में सोना, चांदी, तांबे, कांसे या पत्तल के पात्र का ही प्रयोग करना चाहिए।
  3. कुत्ता, कौआ और गायों को पितृपक्ष के दौरान भोजन जरूर कराएं. ऐसी मान्यता है कि कुत्ता और कौआ पित्रों के करीब होते हैं और गाएं उन्हें वैतरणी पार कराती हैं।
  4. श्राद्ध के लिए गया, बद्रीनाथ, हरिद्वार, गंगासागर, पुश्कर, जगन्नाथपुरी, काशी, कुरुक्षेत्र, आदि को सबसे उत्तम स्थान माना जाता है।
  5. पिंडदान के लिए यह जरूरी नहीं कि आप किसी श्रेष्ठ जगह ही जाएं या किसी बड़े पंडित को ही बुलाएं. सरल विधि के द्वारा आप घर पर भी श्राद्ध कार्य को कर सकते हैं।
कैसे किया जाता है पिंडदानः

1.सबसे पहले पिंडदान के समय मृतक के घरवाले जौ या चावल के आंटे में दूध और तिल मिलाकर गूथ लें और उसका गोला बना लें।
2. तर्पण करते समय पीतल की थाली या बर्तन में साफ जल भरकर उसमें थोड़े सा काला तिल व दूध डालकर अपने सामने रख लें और अपने सामने एक दूसरा खाली बर्तन रख लें।
3. दोनों हाथों को एकसाथ मिलाकर उस मृत व्यक्ति का नाम लेकर तृप्यन्ताम कहते हुये अंजली में भरे हुये जल को दूसरे खाली पात्र में छोड़ दें।
4. जल में काले तिल, जौ, कुशा एवं सफेद फूल मिलकार उस जल से विधिपूर्वक तर्पण किया जाता है, इससे पितर तृप्त होते हैं।
5. इसके बाद श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर यथाशक्ति दान दिया जाता है.

सीता जी ने दिया फल्गू नदी को श्राप ? जानिए क्यों

फल्गू नदी के तट पर राजा दशरथ को पिंडदान करने के बाद सीता जी ने दिया फल्गू नदी को श्राप?



वनवास के दौरान भगवान राम लक्ष्मण और सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे। वहां श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने हेतु राम और लक्ष्मण नगर की ओर चल दिए। उधर दोपहर हो गई थी। पिंडदान का समय निकलता जा रहा था और सीता जी की व्यग्रता बढती जा रही थी। अपराहन में तभी दशरथ की आत्मा ने पिंडदान की मांग कर दी। गया जीके आगे फल्गू नदी पर अकेली सीता जी असमंजस में पड़ गई। उन्होंने फल्गू नदी के साथ वटवृक्ष केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर स्वर्गीय राजा दशरथ के निमित्त पिंडदान दे दिया।

थोडी देर में भगवान राम और लक्ष्मण लौटे तो सीता जी ने कहा कि समय निकल जाने के कारण मैंने स्वयं पिंडदान कर दिया। 

बिना सामग्री के पिंडदान कैसे हो सकता है, इसके लिए राम ने सीता से प्रमाण मांगा।


तब सीता जी ने कहा कि यह फल्गू नदी की रेत केतकी के फूल, गाय और वटवृक्ष मेरे द्वारा किए गए श्राद्धकर्म की गवाही दे सकते हैं। इतने में फल्गू नदी, गाय और केतकी के फूल तीनों इस बात से मुकर गए। सिर्फ वटवृक्ष ने सही बात कही। तब सीता जी ने दशरथ का ध्यान करके उनसे ही गवाही देने की प्रार्थना की।


दशरथ जी ने सीता जी की प्रार्थना स्वीकार कर घोषणा की कि ऐन वक्त पर सीता ने ही मुझे पिंडदान दिया। इस पर राम आश्वस्त हुए लेकिन तीनों गवाहों द्वारा झूठ बोलने पर सीता जी ने उनको क्रोधित होकर श्राप दिया कि 
         फल्गू नदी- जा तू सिर्फ नाम की नदी रहेगी, तुझमें पानी नहीं रहेगा। इस कारण फल्गू नदी आज भी गया में सूखी रहती है। गाय को श्राप दिया कि तू पूज्य होकर भी लोगों का जूठा खाएगी और, केतकी के फूल को श्राप दिया कि तुझे पूजा में कभी नहीं चढाया जाएगा। 
           वटवृक्ष को सीता जी का आर्शीवाद मिला कि उसे लंबी आयु प्राप्त होगी और वह दूसरों को छाया प्रदान करेगा तथा पतिव्रता स्त्री तेरा स्मरण करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करेगी।

यही कारण है कि गाय को आज भी जूठा खाना पड़ता है, केतकी के फूल को पूजा पाठ में वर्जित रखा गया है और फल्गू नदी के तट पर सीताकुंड में पानी के अभाव में आज भी सिर्फ बालू या रेत से पिंडदान दिया जाता है।

वाल्मिकी रामायण में सीता द्वारा पिंडदान देकर दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिलने का संदर्भ आता है।


धार्मिक दृष्टि से गया न सिर्फ हिन्दूओं के लिए बल्कि बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए भी आदरणीय है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महात्मा बुद्ध का ज्ञान क्षेत्र मानते हैं जबकि हिन्दू गया को मुक्तिक्षेत्र और मोक्ष प्राप्ति का स्थान मानते हूं। इसलिए हर दिन देश के अलग-अलग भागों से नहीं बल्कि विदेशों में भी बसने वाले हिन्दू आकर गया में आकर अपने परिवार के मृत व्यकित की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना से श्राद्ध, तर्पण और पिण्डदान करते दिख जाते हैं।

गुरुवार, 13 सितंबर 2018

जिस वाहन से दुर्घटना हो , उसे बेच दिया जाय मुआवजा : सुप्रीम कोर्ट

जिस वाहन से दुर्घटना हो, उसे बेचकर दिया जाए मुआवज़ा
नॉन-इंश्योर्ड वाहन मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

बिना इंश्योरेंस वाली वाहन से होने वाली दुर्घटना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि दुर्घटना में शामिल बिना इंश्योरेंस वाली  वाहन को बेचा जाए और उस राशि से पीड़ित को मुआवजा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को 12 हफ्ते में इस नियम को लागू करने का निर्देश भी दिया।
 गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे (बिना इंश्योरेंस वाली) वाहन अब दुर्घटना के बाद जब्त होंगे और एमएसीटी कोर्ट इन वाहनों को बेचेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में एक बिना इंश्योरेंस वाली वाहन से घटित हुई हादसे के एक मामले की सुनवायी के दौरान यह निर्देश जारी किया हैं।

याचिकाकर्ता ऊषा देवी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इस तरह का नियम दिल्ली MACT एक्ट में बनाया गया है, लेकिन बाकी राज्यों में ये नियम नहीं है। ऐसे में यदि किसी वाहन का बीमा नहीं है और दुर्घटना हो जाती है तो उससे पीड़ित या उसके परिवार को वित्तीय मदद नहीं मिलती। ऐसे में ये नियम सभी राज्यों के लिए होने चाहिए। 
विदित हो कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में आदेश दिया था कि नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य होगा। वंही सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर से नए चार पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराते समय तीन सालों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिर्वाय किया। दो पहिया वाहनों के लिए पांच साल तक के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिर्वाय किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है।

मंगलवार, 11 सितंबर 2018

गणेश चतुर्थी 13 सितम्बर को, अनन्त चतुर्दशी तक मनेगा दस दिवसीय उत्सव

             13 सितंबर को स्वाति नक्षत्र के साथ ब्रह्म योग में  मनेगी – गणेश चतुर्थी

भगवान श्री गणेश सिद्ध विनायक के नाम से भी जाने जाते हैं। जिनकी उपासना से हर काम सिद्ध हो जाता है I भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक हर्षो-उल्लास के साथ गणेश उत्सव का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 13 सितंबर दिन गुरुवार को स्वाति नक्षत्र से युक्त ब्रह्म योग में शुरू होकर अनंत चतुर्दशी यानि 23 सितंबर दिन रविवार को शतभिषा नक्षत्र तक मनाया जायेगा I  किवन्दिति है कि काम सिद्धि के लिए गणेश की उपासना आवश्यक है I
बिहार में खासकर मिथिला संस्कृति में प्रचलित चौथचंदा का पर्व भी गुरुवार को ही मनाया जाएगा I इस पर्व के अवसर पर गणेश की उपासना से हर कार्य सिद्ध हो सकते है I भगवान नारायण के वराह अवतार भी इसी दिन हुआ था I लोकाचार में डेलहिया चौथ के नाम से जाना जाने वाला इस चौथ के दिन चन्द्रदर्शन निषेध होता है।

भादो मास का प्रमुख पर्व
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक चलती है I इस बार 11 दिन तक चलेगी I चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी लेकिन उपासना इससे आगे 10 दिनों तक चलेगी। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है I इनकी उपासना के लिए भाद्रपद का ये महीना काफी शुभ फलदायी होता है I इस वर्ष काफी उत्तम संयोग है जो मंगल मूर्ति की आराधना 10 के बजाय 11 दिन की है I

          चन्द्र दर्शन दोष से बचाव
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि गुरुवार की रात में चंद्रदर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है I जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते है उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है I ऐसा शास्त्रों का निर्देश व अनुभूत है I कलंक के डर से मान्यता बन गई है जिससे लोग इस तिथि पर चंद्र दर्शन नहीं करते है I

           पर्व को लेकर प्रचलित कथा
इस पर्व को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है I कथा के अनुसार शिव ने क्रोध में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था I इसके बाद पार्वती के नाराज होने पर उन्होंने गणेश को नया रूप दिया I बाद में गणेश प्रथम पूज्य देवता बने I शास्त्रों में गणेश की उपासना के कई विधान और शुभ फलदायक बताया गया है I गणपति की पूजा- अर्चना से हर काम पूरा होता है तथा भादो माह में उनकी पूरे देश में उपासना धूमधाम से की जाती है I

पूजन का शुभ मुहूर्त
सिद्धि विनायक गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसीलिए इसी काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा का मुहूर्त प्रात: 6:55 बजे से पुरे दिन तक है I
अभिजीत मुहूर्त :- दोपहर 11:21 बजे से 12:10 बजे
गुली काल मुहूर्त :- सुबह 8:40 बजे से 10:13 बजे