मंगलवार, 25 सितंबर 2018

मधुबन : डोली मजदूर और बाइक सवार में हिंसक झड़प, फूंकी बाइक

जैन तीर्थस्थल मधुबन में डोली मजदूरों और बाइक सवार में हिंसक झड़प, बाइक को किया आग के हवाले



गिरिडीह: विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थस्थल सम्मेदशिखर पारसनाथ (मधुबन) में डोली मजदूरों और बाइक सवारों के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। यह तनाव दिनानुदिन हिंसक होती जा रही है। इसी कड़ी में एक बाइक को आग के हवाले कर दिया गया। जिससे बाइक चालकों और डोली मजदूरों के बीच पनपी तनाव और बढ़ गया है। हालाँकि पुलिस ने घटना की तहकीकात शुरू कर दी है। लेकिन अब तक कोई खास सुराग पुलिस के हाथ नही लग पाया है।

कैसे हुई घटना

जानकार बताते हैं कि सोमवार को संदीप चौरसिया नामक व्यक्ति अपने किसी रिश्तेदार को लेकर बाइक से पारसनाथ पर्वत की चढ़ाई कर रहा था। तभी क्षेत्रपाल के ऊपर काफी संख्या में डोली मजदूरों ने उसपर हमला बोल दिया। इतना ही नही बाइक सवार और डोली मजदूरों के बीच इस दौरान हिंसक झड़प भी हो गयी। इसी बीच किसी ने संदीप के बाइक को आग के हवाले कर दिया। और, देखते ही देखते बाइक पूरी तरह से जल गयी। विदित हो कि इस घटना के पूर्व भी मधुबन में यात्रियों को पर्वत वंदना कराने को लेकर डोली मजदूरों और स्थानीय बाइक सवारों के बीच कई बार झड़प हो चुकी है।

प्रतिबंध के बावजूद पर्वत पर बाइकों का संचालन जारी

पारसनाथ पहाड़ पर जैन यात्रियों को मंदिर तक ले जाने और लाने के लिए सैकड़ों की संख्या में डोली मजदूर सालों से यहां कार्यरत हैं। ये सभी स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोग है। वजन के हिसाब से ये गरीब मजदूर जैन यात्रियों को डोली पर बैठा कर काफी मेहनत से पर्वत वंदना कराते हैं। इसी से इनकी रोजी-रोटी चलती है। लेकिन कुछ महीनों से इस काम में कुछ स्थानीय युवा बाइक से यात्रियों को पहाड़ पर ऊपर तक ले जाने के काम में जुटे हुए हैं। इसके कारण डोली मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।

डोली मजदूरों ने कई बार किया है शिकायत

डोली मजदूरों ने इसका विरोध करते हुए पुलिस और प्रशासन से कई बार लिखित शिकायत किया है और पारसनाथ पहाड़ पर बाइक के जाने पर रोक लगाने की मांग भी की है। डोली मजदूरों ने संगठित होकर इसका विरोध करना शुरू किया। 
गौरतलब है कि सूबे के मुख्यमंत्री ने भी पर्वत पर बाइक के संचालन पर रोक लगाने का आदेश दिया था। बावजूद इसके पारसनाथ पर मोटरसाइकिल का संचालन नहीं रूका। कुछ दिनों पूर्व भी बाइक संचालकों और डोली मजदूरों के बीच जबरदस्त मारपीट हुई थी। जिसमें दर्जनों घायल हो गए थे।

पुलिस प्रशासन की लापरवाही उजागर

पुलिस प्रशासन की लापरवाही से फिर यह घटना सामने आयी है। अगर समय रहते गिरिडीह के आला अधिकारी इस मसले को हल नहीं करते हैं, तो डोली मजदूरों और बाइक संचालकों का तनाव और भी गंभीर रूप अख्तियार कर सकता है।

विधायक ने दिया बीच का रास्ता निकालने का आश्वासन 


घटना के बाद मधुबन के युवाओं का एक दल मंगलवार को विधायक निर्भय शाहाबादी से मुलाक़ात कर अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। विधायक श्री शाहाबादी ने इस बावत मुख्यमंत्री से बात कर कोई बीच का रास्ता निकालने का आश्वासन उन युवाओं को दिया।

जन्मदिन पर याद किये गये दीनदयाल उपाध्याय

भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ ने मनाया दीनदयाल उपाध्याय का जन्म दिवस, लिया उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प

गिरिडीह : बोडो स्थित चौधरी कंपलेक्स में भारतीय जनता पार्टी की प्रबुद्ध प्रकोष्ठ द्वारा मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म दिवस मनाया गया l

भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के जिला संयोजक सत्येंद्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर तथा पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया।

वक्ताओं ने मौके पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह महान चिंतक, संगठनकर्ता और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष थेl
                    विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अनेक गुणों के स्वामी भारतीय राजनीतिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य ने भारत वर्ष में "समतामूलक राजनीति विचारधारा" का प्रचार एवं प्रोत्साहन किया l
               पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक महान दार्शनिक ,पत्रकार एवं लेखक थेl उन्हें जनसंघ के आर्थिक नीति का रचनाकार कहा जाता है l

उन्होंने कहा था कि - "भारत में रहने वाला और इसके प्रति ममत्त्व की भावना रखने वाला मानव समूह एक जन है उनकी जीवन प्रणाली कला साहित्य दर्शन सब भारतीय संस्कृति है इसलिए भारतीय राष्ट्रवाद का आधार या संस्कृति है इस संस्कृति में निष्ठा रहे तभी यह एकात्म रहेगाl"

वक्ताओं ने कहा कि वह समाज के अंतिम छोर के लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने में विश्वास रखते थेI
मौके पर उपस्थित लोगों ने एक स्वर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बताए मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प लिया।


कार्यक्रम में  भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉक्टर शैलेंद्र कुमार चौधरी, प्रभात कुमार, संजीत सिंह, नितेश नंदन, गंगाधर दास, रोहित श्रीवास्तव, हिमांशु सिन्हा, अंशु ,प्रतीक ,सत्यम सहित काफी लोग मौजूद थे।

पितृपक्ष में कब और कैसे करें पिंडदान ? आइये जाने पितृपक्ष के महत्व को

पितृपक्ष में पूर्वजों को पिंडदान और तर्पण, कब और कैसे करें ?


  • 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चलेगा पितृपक्ष मेला
  • महालय अमावस्या के साथ समाप्त हो जाएगा पितृपक्ष
  • जिन्हें पूर्वजों की तिथि की नहीं होती है जानकारी वो महालय को करते हैं दान
  • पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण या पिंडदान कराना अनिवार्य है
  • जो नहीं कराते तर्पण या पिंडदान उन्हें पितृदोष लगता है
  • पितृपक्ष में कर्मकांड का विधि व विधान अलग-अलग है
  • श्रद्धालु 1, 3, 7, 15 दिन और 17 दिन का करते हैं कर्मकांड

पितृपक्ष की शुरुआत हो गई। देश-दुनिया से लोग यहां पिंडदान और तर्पण के लिए लोग आने लगे हैं। इस वर्ष 24 सितंबर से पितृपक्ष मेला की शुरुआत हो चुकी है, जो 8 अक्टूबर तक चलेगी। इस खास मौके पर अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए लोग पिंडदान और तर्पण के लिए यहां आते हैं और पिंडदान करते हैं। कहा जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या यानी महालय अमावस्या के साथ खत्म हो जाएगा। महालय अमावस्या के दिन खासतौर से वह लोग जो अपने मृत पूर्वजों की तिथि नहीं जानते, वह इस दिन तर्पण कराते हैं। भाद्रपद के कृष्णपक्ष के 15 दिन पितृपक्ष कहलाता है। पितृ ऋण से मुक्ति पाने का यह श्रेष्ठ समय माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो इस अवसर पर अपने पूर्वजों के लिए किए जाने वाले पिंडदान सीधे उनके पूर्वजों तक स्वर्गलोक तक लेकर जाता है।

अपने मृत पूर्वजों का श्राद्ध करने का सबसे उत्तम समय अमावस्या या पितृपक्ष माना जाता है। पिंड शब्द का मूल अर्थ किसी वस्तु का गोलाकार रूप होता है। प्रतिकात्मक रूप में शरीर को भी पिंड ही माना जाता है। पिंडदान के लिए पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलाकर एक पिंड को तैयार किया जाता है। वही पिंड अपने पूर्वजों अर्पित कर दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत व्यक्ति अपने पुत्र और पौत्र से पिंडदान की उम्मीद रखते हैं।


जब तक हम जीवन जीते हैं रिश्तों की खास अहमियत होती है। वो रिश्ते चलते रहते हैं मगर एक वक्त ऐसा भी आता है जब हम एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं। मृत्यु के पश्चात खुद के सगे-संबंधी तक उन्हें अधिक दिनों तक याद नहीं रख पाते हैं। दुनिया में इंसान भले ही अकेले आता है, परंतु सांसारिक मोह में बंधकर रिश्तों की एक कड़ी बन जाती है। भले ही मरने के साथ इंसान खत्म हो जाता है लेकिन उसकी आत्मा समाप्त नहीं होती है। मृतक की आत्मा अपने आगे के सफर को तभी तय कर पाती है जब उसके सारे कर्मों का सारा हिसाब किताब हो जाता है। इन सभी बंधनों से मुक्ति के लिए हिन्दू धर्म में कर्मकांडों की व्यवस्था की गई है, जिसके तहत श्राद्ध और पिंडदान करने की परंपरा है। इसीलिए अपने पित्रों को तर्पण और निमित अर्पण करना उनकी आत्मा की शांति के लिए सबसे अहम माना गया है।


पिंडदान कैसे बनता है:
  1. पिंडदान में दूध, शहद, तुलसी पत्ता, तिल आदि  महत्वपूर्ण होता है।
  2. पिंडदान में सोना, चांदी, तांबे, कांसे या पत्तल के पात्र का ही प्रयोग करना चाहिए।
  3. कुत्ता, कौआ और गायों को पितृपक्ष के दौरान भोजन जरूर कराएं. ऐसी मान्यता है कि कुत्ता और कौआ पित्रों के करीब होते हैं और गाएं उन्हें वैतरणी पार कराती हैं।
  4. श्राद्ध के लिए गया, बद्रीनाथ, हरिद्वार, गंगासागर, पुश्कर, जगन्नाथपुरी, काशी, कुरुक्षेत्र, आदि को सबसे उत्तम स्थान माना जाता है।
  5. पिंडदान के लिए यह जरूरी नहीं कि आप किसी श्रेष्ठ जगह ही जाएं या किसी बड़े पंडित को ही बुलाएं. सरल विधि के द्वारा आप घर पर भी श्राद्ध कार्य को कर सकते हैं।
कैसे किया जाता है पिंडदानः

1.सबसे पहले पिंडदान के समय मृतक के घरवाले जौ या चावल के आंटे में दूध और तिल मिलाकर गूथ लें और उसका गोला बना लें।
2. तर्पण करते समय पीतल की थाली या बर्तन में साफ जल भरकर उसमें थोड़े सा काला तिल व दूध डालकर अपने सामने रख लें और अपने सामने एक दूसरा खाली बर्तन रख लें।
3. दोनों हाथों को एकसाथ मिलाकर उस मृत व्यक्ति का नाम लेकर तृप्यन्ताम कहते हुये अंजली में भरे हुये जल को दूसरे खाली पात्र में छोड़ दें।
4. जल में काले तिल, जौ, कुशा एवं सफेद फूल मिलकार उस जल से विधिपूर्वक तर्पण किया जाता है, इससे पितर तृप्त होते हैं।
5. इसके बाद श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर यथाशक्ति दान दिया जाता है.

सीता जी ने दिया फल्गू नदी को श्राप ? जानिए क्यों

फल्गू नदी के तट पर राजा दशरथ को पिंडदान करने के बाद सीता जी ने दिया फल्गू नदी को श्राप?



वनवास के दौरान भगवान राम लक्ष्मण और सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे। वहां श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने हेतु राम और लक्ष्मण नगर की ओर चल दिए। उधर दोपहर हो गई थी। पिंडदान का समय निकलता जा रहा था और सीता जी की व्यग्रता बढती जा रही थी। अपराहन में तभी दशरथ की आत्मा ने पिंडदान की मांग कर दी। गया जीके आगे फल्गू नदी पर अकेली सीता जी असमंजस में पड़ गई। उन्होंने फल्गू नदी के साथ वटवृक्ष केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर स्वर्गीय राजा दशरथ के निमित्त पिंडदान दे दिया।

थोडी देर में भगवान राम और लक्ष्मण लौटे तो सीता जी ने कहा कि समय निकल जाने के कारण मैंने स्वयं पिंडदान कर दिया। 

बिना सामग्री के पिंडदान कैसे हो सकता है, इसके लिए राम ने सीता से प्रमाण मांगा।


तब सीता जी ने कहा कि यह फल्गू नदी की रेत केतकी के फूल, गाय और वटवृक्ष मेरे द्वारा किए गए श्राद्धकर्म की गवाही दे सकते हैं। इतने में फल्गू नदी, गाय और केतकी के फूल तीनों इस बात से मुकर गए। सिर्फ वटवृक्ष ने सही बात कही। तब सीता जी ने दशरथ का ध्यान करके उनसे ही गवाही देने की प्रार्थना की।


दशरथ जी ने सीता जी की प्रार्थना स्वीकार कर घोषणा की कि ऐन वक्त पर सीता ने ही मुझे पिंडदान दिया। इस पर राम आश्वस्त हुए लेकिन तीनों गवाहों द्वारा झूठ बोलने पर सीता जी ने उनको क्रोधित होकर श्राप दिया कि 
         फल्गू नदी- जा तू सिर्फ नाम की नदी रहेगी, तुझमें पानी नहीं रहेगा। इस कारण फल्गू नदी आज भी गया में सूखी रहती है। गाय को श्राप दिया कि तू पूज्य होकर भी लोगों का जूठा खाएगी और, केतकी के फूल को श्राप दिया कि तुझे पूजा में कभी नहीं चढाया जाएगा। 
           वटवृक्ष को सीता जी का आर्शीवाद मिला कि उसे लंबी आयु प्राप्त होगी और वह दूसरों को छाया प्रदान करेगा तथा पतिव्रता स्त्री तेरा स्मरण करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करेगी।

यही कारण है कि गाय को आज भी जूठा खाना पड़ता है, केतकी के फूल को पूजा पाठ में वर्जित रखा गया है और फल्गू नदी के तट पर सीताकुंड में पानी के अभाव में आज भी सिर्फ बालू या रेत से पिंडदान दिया जाता है।

वाल्मिकी रामायण में सीता द्वारा पिंडदान देकर दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिलने का संदर्भ आता है।


धार्मिक दृष्टि से गया न सिर्फ हिन्दूओं के लिए बल्कि बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए भी आदरणीय है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महात्मा बुद्ध का ज्ञान क्षेत्र मानते हैं जबकि हिन्दू गया को मुक्तिक्षेत्र और मोक्ष प्राप्ति का स्थान मानते हूं। इसलिए हर दिन देश के अलग-अलग भागों से नहीं बल्कि विदेशों में भी बसने वाले हिन्दू आकर गया में आकर अपने परिवार के मृत व्यकित की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना से श्राद्ध, तर्पण और पिण्डदान करते दिख जाते हैं।

गुरुवार, 13 सितंबर 2018

जिस वाहन से दुर्घटना हो , उसे बेच दिया जाय मुआवजा : सुप्रीम कोर्ट

जिस वाहन से दुर्घटना हो, उसे बेचकर दिया जाए मुआवज़ा
नॉन-इंश्योर्ड वाहन मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

बिना इंश्योरेंस वाली वाहन से होने वाली दुर्घटना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि दुर्घटना में शामिल बिना इंश्योरेंस वाली  वाहन को बेचा जाए और उस राशि से पीड़ित को मुआवजा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को 12 हफ्ते में इस नियम को लागू करने का निर्देश भी दिया।
 गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे (बिना इंश्योरेंस वाली) वाहन अब दुर्घटना के बाद जब्त होंगे और एमएसीटी कोर्ट इन वाहनों को बेचेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में एक बिना इंश्योरेंस वाली वाहन से घटित हुई हादसे के एक मामले की सुनवायी के दौरान यह निर्देश जारी किया हैं।

याचिकाकर्ता ऊषा देवी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इस तरह का नियम दिल्ली MACT एक्ट में बनाया गया है, लेकिन बाकी राज्यों में ये नियम नहीं है। ऐसे में यदि किसी वाहन का बीमा नहीं है और दुर्घटना हो जाती है तो उससे पीड़ित या उसके परिवार को वित्तीय मदद नहीं मिलती। ऐसे में ये नियम सभी राज्यों के लिए होने चाहिए। 
विदित हो कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में आदेश दिया था कि नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य होगा। वंही सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर से नए चार पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराते समय तीन सालों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिर्वाय किया। दो पहिया वाहनों के लिए पांच साल तक के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिर्वाय किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है।

मंगलवार, 11 सितंबर 2018

गणेश चतुर्थी 13 सितम्बर को, अनन्त चतुर्दशी तक मनेगा दस दिवसीय उत्सव

             13 सितंबर को स्वाति नक्षत्र के साथ ब्रह्म योग में  मनेगी – गणेश चतुर्थी

भगवान श्री गणेश सिद्ध विनायक के नाम से भी जाने जाते हैं। जिनकी उपासना से हर काम सिद्ध हो जाता है I भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक हर्षो-उल्लास के साथ गणेश उत्सव का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 13 सितंबर दिन गुरुवार को स्वाति नक्षत्र से युक्त ब्रह्म योग में शुरू होकर अनंत चतुर्दशी यानि 23 सितंबर दिन रविवार को शतभिषा नक्षत्र तक मनाया जायेगा I  किवन्दिति है कि काम सिद्धि के लिए गणेश की उपासना आवश्यक है I
बिहार में खासकर मिथिला संस्कृति में प्रचलित चौथचंदा का पर्व भी गुरुवार को ही मनाया जाएगा I इस पर्व के अवसर पर गणेश की उपासना से हर कार्य सिद्ध हो सकते है I भगवान नारायण के वराह अवतार भी इसी दिन हुआ था I लोकाचार में डेलहिया चौथ के नाम से जाना जाने वाला इस चौथ के दिन चन्द्रदर्शन निषेध होता है।

भादो मास का प्रमुख पर्व
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानि पुरे 10 दिनों तक चलती है I इस बार 11 दिन तक चलेगी I चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी लेकिन उपासना इससे आगे 10 दिनों तक चलेगी। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है I इनकी उपासना के लिए भाद्रपद का ये महीना काफी शुभ फलदायी होता है I इस वर्ष काफी उत्तम संयोग है जो मंगल मूर्ति की आराधना 10 के बजाय 11 दिन की है I

          चन्द्र दर्शन दोष से बचाव
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि गुरुवार की रात में चंद्रदर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है I जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते है उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है I ऐसा शास्त्रों का निर्देश व अनुभूत है I कलंक के डर से मान्यता बन गई है जिससे लोग इस तिथि पर चंद्र दर्शन नहीं करते है I

           पर्व को लेकर प्रचलित कथा
इस पर्व को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है I कथा के अनुसार शिव ने क्रोध में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था I इसके बाद पार्वती के नाराज होने पर उन्होंने गणेश को नया रूप दिया I बाद में गणेश प्रथम पूज्य देवता बने I शास्त्रों में गणेश की उपासना के कई विधान और शुभ फलदायक बताया गया है I गणपति की पूजा- अर्चना से हर काम पूरा होता है तथा भादो माह में उनकी पूरे देश में उपासना धूमधाम से की जाती है I

पूजन का शुभ मुहूर्त
सिद्धि विनायक गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसीलिए इसी काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा का मुहूर्त प्रात: 6:55 बजे से पुरे दिन तक है I
अभिजीत मुहूर्त :- दोपहर 11:21 बजे से 12:10 बजे
गुली काल मुहूर्त :- सुबह 8:40 बजे से 10:13 बजे

व्यंग : लोकतंत्र का महापर्व "भारत बन्द"

                      व्यंग :

                     लोकतंत्र का महापर्व "भारत बन्द" पर  निबंध


             भारत बन्द हमारा राष्ट्रीय त्योहार है। देश के सभी राज्यों में मनाया जाता है। बंगाल,बिहार,उत्तर प्रदेश, केरल,मध्यप्रदेश,राजस्थान,हरियाणा आदि राज्यों में बरसों से पारम्परिक तरीकों से मनाया जाता रहा है।आजकल गुजरात,महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी जोर शोर से मनाया जाने लगा है।

              जिस तरह होली दीवाली पंडित जी द्वारा पतरा देखके,ईद-मोहर्रम इमाम साहेब द्वारा टेलीस्कोप से चांद देखकर,क्रिसमस जॉर्जियन कलेंडर देखकर मनाया जाता है,उसी तरह भारतबन्द का त्योहार नेतागणों द्वारा चुनाव आने का समय देखकर मनाया जाता है। यह लोकतंत्र का धार्मिक उत्सव है।

              नेताओं के नवयुवा समर्पित चमचे लोग सुबह-सुबह डंडा लेकर सड़क पर निकलते हैं। सड़क पर टायर जलाकर खुशियां मनाते हैं। गाड़ियों और दुकानों का शीशा फोड़ना,स्कूटर, रिक्शा आदि के टायरों से हवा निकालना आदि भारत बन्द त्योहार के पारंपरिक रीति रिवाज हैं। गाली गलौज मारपीट इस महान पर्व की शोभा में चार चांद लगाते हैं।

               भारत बन्द का त्योहार अभिव्यक्ति की आजादी के विजय का प्रतीक है। यह त्योहार इंसान के अंदर के जानवर को आदर के साथ बाहर लाता है। पशुता के प्रहसन के माध्यम से लोकशाही की श्रेष्ठता का जनजागरण होता है। उन्माद और विवाद की पराकाष्ठा पर पहुंचने में संवेग और उदवेग दोनों का सहारा लिया जाता है।

                भारत बन्द में नेता लोग सड़कों पर अपनी पारम्परिक भेषभूषा जैसे पजामा कुर्ता और अपनी पार्टी का गमछा पहनकर निकलते हैं। आम चमचे लुंगी, बनियान और गमछी में झंडा-डंडा लेकर ही निकलते हैं।आजकल नवयुवक बरमुडा टी शर्ट में भी निकलने लगे है। हाथ में व्यक्ति से लगभग 6" लम्बा डंडा होना अत्यंत आवश्यक है। फाड़े में कट्टा हो तो सोने पर सुहागा।

               चाय,पकोड़े,पेप्सी,कोला और शराब कबाब का इंतजाम सड़क पर ही होता है। पहले भारत बन्द मनाने वाले लोग स्वयं ही इन व्यंजनों का लुत्फ उठाते थे। जब से मीडिया भी इस त्योहार में कलम-कैमरे के साथ हिस्सा लेने लगी है और शक्ति प्रदर्शन की सेल्फी का डिमांड बढ़ा है,बन्द कराते लोग काफी सभ्य होने का प्रदर्शन करने लगे हैं। बंद पीड़ितों को भी चाय नाश्ता दवा-दारू दिया जाता है,एम्बुलेंसों को रास्ता देने का सद्कर्म भी किया जाने लगा है,जिसे पशुता पर मानवता की विजय कह कर छापा और दिखाया जाने लगा है। मानवीय गुणों का यह प्रदर्शन निश्चय ही सराहनीय है।

                    भारत-बन्द आलसी लोगों के लिए लोकतंत्र का अनमोल वरदान है। सोमवार से लेकर शुक्रवार तक किए जाने वाला बन्द श्रेष्ठतम लोकोपकार का है। स्कूलों कालेजों को बन्द कराने में बाल कल्याण की भावना छुपी है। सोमवार और शुक्रवार का भारतबन्द सबसे पावन बन्द है।मंगलवार से वृहस्पतिवार तक का बन्द मध्यम आनंददायी होता है। रविवार को या शनिवार को आहूत बन्द निकृष्ट कोटि के बन्द की श्रेणी में आता है।

                     इस भाग दौड़ की तनाव भरी जिंदगी में भारतबन्द का त्यौहार हमें परिवार के साथ वक्त बिताने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। अब तो इंटरनेट के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को बढ़ाने का मौका भी मिलता है। कभी-कभी बन्दकर्तागणों के अति उत्साह की वजह से इंटरनेट बन्द हो जाता है,जो निश्चय ही परिहार्य है।

                     आजकल हर पर्व त्योहार के विरोध का फैशन बन गया है।निश्चय ही कुछ लोग इस भारतबन्द पर्व पर भी ऊँगली उठाएंगे!लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। बस इतना ध्यान रखें कि बन्द का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से करें। उत्सव में रंग में भंग न डालें!भावनाओं को आहत न करें। पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि बन्द को शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जाने में सप्रेम अपना डंडा सहित योगदान दें। आंसू गैस के गोले से लोगों को भावुक होने में मदद करें! आंखों के रास्ते मन का मैल धुलबाने का आजमाया हुआ अंग्रेजी तरीका है।

                       भारत-बन्द के इस महान पर्व के शुभ अवसर पर हम बन्द के समर्थक और विपक्षी दोनों पक्षों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं समर्पित करते हैं। लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर ज्यादा प्रवाह आपके विसर्जन का हो! इसी मंगलकामना के साथ अपने निबंध को पूर्णविराम देता हूँ।      

                //कबीरा खड़ा बजार में, दियो टायर दहकाय //                                           //नेता अपनी रोटियां, सेंक-सेंक ले जाय //


तीज त्यौहार पर करें यह उपाय, मिलेगी मुसीबतों से छुटकारा

तीज व्रत पर करें यह उपाय, मिलेगी मुसीबतो से छुटकारा



भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। खास कर इस दिन माता पार्वती और शिवजी की पूजा की जाती है। इस व्रत से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। 


     ये व्रत 12 सितंबर, बुधवार को है। इस व्रत के मौके पर सात प्रकार विशेष उपाय किए जाएं तो माता पार्वती आपकी हर मुसीबत दूर कर सकती हैं…
हरितालिका तीज पर ग्यारह उन लड़कियों की जिनकी शादी हाल ही में हुई हो उनको सुहाग की सामग्री जैसे-सिंदूर, मेहंदी, चूड़ी, काजल, लाल चुनरी उपहार में दें।
        किसी कुंवारी ब्राह्मण कन्या को उसके पसंद के कपड़े दिलवाएं और साथ में कुछ उपहार भी दें।
यदि किसी लड़की के विवाह का योग नहीं बन रहा हो तो हरितालिका तीज पर माता पा‌र्वती को साबूत हल्दी की 11 गठान अर्पित करें।
           माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी, लाल, चूड़ियां, मेहंदी, गुलाब के फूल आदि सुहाग की चीजें चढ़ाएं।


हरितालिका तीज पर माता पार्वती का अभिषेक दूध में केसर मिलाकर करें। इससे भी पति-पत्नी में प्रेम बना रहता है।
इस दिन पति-पत्नी सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शिव-पार्वती मंदिर में जाएं और लाल फूल अर्पित करें।
हरितालिका तीज पर पत्नी चावल की खीर बनाएं और इसका भोग माता पार्वती को लगाएं। पति-पत्नी साथ बैठकर ये खीर खाएं। माता पार्वती हर मुसीबतों से छुटकारा दिलाएंगी।


पति के दीर्घायु का व्रत "हरितालिका तीज" 12 सितम्बर को

हरतालिका तीज व्रत 12 सितम्बर यानि कल ,   जाने पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त




हरतालिका तीज व्रत 12 सितम्बर को, जाने पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व है. इस बार कैलेंडर के अनुसार यह व्रत 12 सितंबर को पड़ा है.  हरतालिका तीज सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. ये व्रत बहुत कठिन होता है , इस दिन महिलाएं पानी का एक बूंद तक मुंह में नहीं रखती हैं.

हरतालिका तीज व्रत के नियम
हरतालिका तीज का विशेष महत्व हिन्दू धर्म मानने वाली महिलाओं में होता है. इस दिन गौरी और शंकर जी की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है.
         माना जाता है कि ये व्रत महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए रखती हैं, तो वहीं कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर के लिए इस व्रत को करती हैं.
          मुख्य रूप से हरतालिका तीज को बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. तमिलनाड्डू कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में हरतालिका तीज को गौरी हिब्बा कहा जाता है. 
           कब है हरतालिका तीज ?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार देखा जाए तो हरतालिका तीज व्रत भादो माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी भाद्रपद को रखी जाती है. इस बार ये व्रत 12 सितंबर को कैलेंडर के अनुसार पड़ा है.
           हरितालिका तीज का महत्व :
हिंदू धर्म में चार तीज मनाई जाती है जिसमें से सबसे ज्यादा हरितालिका तीज का महत्व होता है.
  दो शब्दों से मिलकर हरतालिका तीज बना है- हरत और आलिका.
          बता देंं हरत का मतलब होता है अपहरण और आलिका का मतलब होता है सहेली. प्राचीन मान्यता कि तरफ ध्यान दें तो माना जाता है कि मां पार्वती की सहेली घने जंगल में ले जाकर उन्हें छुपा देती है, जिससे उनके विवाह भगवान विष्णु से ना हो सके . क्योंकि माता पार्वती के पिता विष्णु से उनका विवाह करवाना चाहते थे.
हरतालिका तीज में सुहागिनों की गहरी आस्था होती है. इस दिन सुहागिने निर्जला व्रत अपने पति के लंबी उम्र के लिए रखती हैं. ऐसा कहा जाता है कि सुहागिने इस व्रत को रखती है तो शिव और पार्वती उन्हें अखण्ड सौभाग्य होने का वरदान देते हैं. वहीं अगर कुंवारी लड़किया रखती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है.
हरितालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त:
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11 सितंबर 2018 को शाम 6 बजकर 4 मिनट
तृतीया तिथि समाप्त : 12 सितंबर 2018 शाम 4 बजकर 7 मिनट
प्रात: काल हरतालिका पूजा का मुहूर्त: 12 सितंबर 2018 की सुबह 6 बजकर 15 मनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक
          कैसे करें हरतालिका तीज का व्रत ?
हरतालिका तीज के व्रत को बहुत ही ज्यादा कठिन व्रत कहा जाता है. इस दिन सुहागिने निर्जल व्रत रखती हैं, पारण से पहले अपने मुंह में पानी की एक बूंद तक नहीं डालती . हरतालिका तीज वाले दिन स्नान आदि करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का जाप करते हुए अपने व्रत को आरंभ करती हैं.
           हरतालिका तीज व्रत के नियम:
1. सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्यांए हरतालिका तीज को करती हैं. लेकिन एक बार इस व्रत को जो भी रख लेता है मान्यता है कि उसे ताउम्र इस व्रत को रखना पड़ता है.
2. महिला कभी अगर ज्यादा बिमार हो जाती है, तो उसके बदले में उसका पति या फिर घर की कोई और महिला भी इस व्रत को रख सकती है.
3. हरतालिका तीज के व्रत में सोने पर पाबंदी होती है. दिन में ही नहीं बल्कि इस दिन रात में भी सोना वर्जित माना जाता है. पूरी रात इस दिन भजन और कीर्तन होता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी इस व्रत को रखता है और रात में सो जाता है तो वो अगले जन्म में अगर के रूप में पैदा होता है.
4. हरतालिका तीज के दिन अगर महिलाएं गलती से भी कुछ खा लेती हैं , तो अगले जन्म में बंदर बन जाती हैं.
5. अगर हरतालिका तीज के दिन महिला दूध का सेवन कर लेती है तो अगले जन्म में उसका जन्म सर्प योनि में होता है। उसका जन्म सर्प योनि में होता है।

फ़िल्म "हम बदला लेंगे" में धमाल मचायेगा गिरिडीह का मिथुन

             भोजपुरी फ़िल्म "हम बदला लेंगे" में धमाल मचायेगा गिरिडीह का मिथुन



हरिप्रिया श्री प्रोडक्शन के बैनर तले बनी कंट्रोवर्सी क्‍वीन गार्गी पंडित की फिल्‍म ‘हम बदला लेंगे’ मे गिरिडीह के मिथुन यादव धमाल मचयेंगे।
इस भोजपुरी फ़िल्म की शूटिंग मुंबई में पुरी हो चुकी है। फिलहाल फिल्‍म के पोस्‍ट प्रोडक्‍शन का काम जोर-शोर से मुंबई में चल रहा है। छठ पर्व के अवसर पर फिल्म रिलीज होगी। 

 मोहम्मद हबीब के निर्देशन में बनी इस रिवेंज बेस्‍ड एक्‍शन थ्रिलर फिल्‍म ‘हम बदला लेंगे’ में गार्गी पंडित के अपोजिट भोजपुरी स्‍क्रीन पर अभिनेता प्रिंस अग्रवाल अपनी पारी की शुरूआत कर रहे हैं। 

फिल्म के बावत निर्देशक मोहम्‍मद हबीब ने बताया कि फ़िल्म की कहानी ऐसी है जो आज त‍क भोजपुरी पर्दे पर कभी नहीं दिखी है। दर्शक फ़िल्म की कहानी का भरपूर लुत्फ़ उठाएंगे।  बताया कि अभी हाल ही में फिल्‍म की एक बेहद खूबसूरत और आकर्षक आईटम नंबर ‘देख कर गोरा गाल सब माल माल चिल्लाएं’ को शूट किया गया है। इंदु सोनाली के गाये इस गाने पर  प्रसून यादव कोरियोग्राफी में आइटम गर्ल ग्लोरी मोहन्ता ने ठुमके लगाये हैं, जो भोजपुरिया दर्शकों को मदहोश करने वाला साबित होगा।

उन्होंने बताया कि फिल्‍म में कुल 11 गाने हैं। जिसे दामोदर राव ने अपने संगीत से सजाया है। फिल्‍म छठ पर्व के मौके पर बिहार में रिलीज हो इस दिशा में प्रयास जारी है।


गौरतलब है कि फिल्‍म ‘हम बदला लेंगे’ में प्रिंस अग्रवाल (नवोदित) और गार्गी पंडित के साथ ग्लोरी मोहन्ता, संजय पांडेय, मिथुन यादव, पंकज मेहता, मनीष चतुर्वेदी, असलम वाडकर, हिमायत अली,शशि सागर, मजहर, अनवर कवीस, फारुक, शेष नाथ, सैय्यद सिराज, ज्योती सिन्हा, शशि कला यादव भी नजर आयेंगी। फिल्‍म के लेखक एस.आर.सागर हैं। पटकथा एस .बी .मोहन, गीत  राजेश मिश्रा, मुन्ना दुबे, एस. आर. सागर का है। जबकि इसे संगीत से सजाया है दामोदर राव ने। फ़िल्म का छायांकन डी.के. शर्मा, डांस मास्टर प्रसून खरका और पीआरओ संजय भूषण पटियाला हैं।

सोमवार, 10 सितंबर 2018

विपक्षी दलों के भारत बन्द का रहा गिरिडीह में मिश्रित असर

विपक्षी दलों के भारत बन्द का गिरिडीह में रहा मिश्रित असर

गिरिडीह : पेट्रोल डीजल के मूल्य में बेतहासा बढ़ोतरी, आसमान छूती जा रही महंगाई, राफेल डील समेत अन्य कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस समेत संयुक्त विपक्ष द्वारा आहूत भारत बंद का गिरिडीह जिले में मिश्रित असर रहा।

 बंद के दौरान जंहा राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से  प्रभावित रहा वंही सरकारी और गैर सरकारी स्कूल बंद रहे। सड़कों पर लम्बी दूरी की कोई भी वाहन का परिचालन नही हुआ। हालांकि शहरी व ग्रामीण इलाकों में इक्के दुक्के चारपहिया वाहनों का परिचालन होते देखा गया। जबकि अधिकांश वाहन तोड़फोड़ की आशंका से ग्रामीण इलाकों से शहर नहीं पहुंची।  

बंद समर्थक गिरिडीह मधुपुर सवारी गाड़ी को रोकने का प्रयास किया। लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस - प्रशासन के कडे रूख देख बन्द समर्थक कोई विरोध भी नहीं कर पाए और नारेबाजी करते स्टेशन के बाहर ही बैठ गए। 

इस दौरान ट्रेन के यात्रियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई और न ही बन्द समर्थकों के कारण ट्रेन लेट हुई। यात्री बेरोकटोक स्टेशन पहुंचे और ट्रेन में सवार हाेकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए।

गौरतलब है कि जिला पुलिस महकमा बन्द के दौरान उपद्रवियों से निपटने के लिए पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद थी। इसी कड़ी में पुलिस जवानों की तैनाती स्टेशन परिसर व रेलवे ट्रैक पर अहले सुबह से ही कर दी गई थी। जिसके कारण ट्रेन बेरोकटोक मधुपुर से गिरिडीह पहुंची और अपनी टाइमिंग के अनुसार गिरिडीह से मधुपुर के लिए रवाना हुई।

बाज़ारों में भी बंदी का खासा असर देखने को मिला। शहर की तमाम दुकाने स्वतःस्फूर्त बंद रही। जिससे बंद समर्थको को ज़्यादा मस्सकत नही करनी पड़ी। 

 बन्द की सफलता को लेकर अहले सुबह से ही कांग्रेस, जेभीएम, जेएमएम, माले आदि विपक्षी दलों के नेता सड़कों पर उतर गये थे।  बन्द समर्थक मोटरसाइकिल जुलुस निकाल कर भी बन्द की सफलता को तैनात रहे। वंही जगह जगह सड़क को जाम कर इन नेताओं ने जोरदार ढंग से सरकार विरोधी नारे लगाए और महंगाई व राफेल डील पर मोदी सरकार को खरी खोटी सुनाई। 

उधर बंद के दौरान सुरक्षा को लेकर जिला पुलिस प्रशासन द्वारा चाक चौबंद व्यस्था की गई थी। इस दौरान एसडीओ राजेश प्रजापति, एसडीपीओ जितवाहन उरांव, डीएसपी नवीन कुमार सिंह व डीएसपी संतोष मिश्रा भारी संख्या में पुलिस बल के साथ जगह जगह मोर्चा संभालते नजर आए। 

प्रखण्डों में भी रहा बन्द का व्यापक असर

बन्द के दौरान एनएच 2 स्थित बगोदर में माले समर्थको ने राष्ट्रीय राजमार्ग को 3 घंटे तक जाम किया तो बेंगाबाद में संयुक्त विपक्ष सड़क पर उतर कर सुबह से आवागमन बाधित कर दिया।  जबकि सरिया में स्वतःस्फूर्त बन्द रहा। अन्य प्रखण्डों डुमरी, पीरटांड़, गांडेय, जमुआ, बिरनी, राजधनवार, गांवा, तीसरी, देवरी में भी विपक्षी दलों की एकजुटता से बंदी सफल रही। हर जगह बंद के दौरान हुड़दंगियों से निबटने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा चाक चौबंद सुरक्षा व्यस्था की गयी थी।

डॉलर के मुकाबले फिर लुढ़का रुपया, बढ़ेंगे डीजल-पेट्रोल के दाम

               फिर गिरा रूपया, 93 पैसे की गिरावट के साथ 72.66 का हुआ एक डॉलर

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है। सोमवार को रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर खुला है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 93 पैसे टूटकर 72.66 के स्तर पर जा पहुंचा है। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपए ने 72.18 प्रति डॉलर पर शुरुआत की थी और इसमें 93 पैसे की भारी गिरावट आई है। जबकि पिछले हफ्ते रुपया 71.73 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
वहीं, सेंसेक्स में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है और ये 276 अंक फिसलकर 38,113.79 पर पहुंच गया है। जबकि निफ्टी 49.35 अंक कमजोर होकर 11,539.75 पर था। पिछले कारोबारी दिन सेंसेक्स 37,837.79 पर बंद हुआ था।
वहीं, रुपए की गिरावट की वजह से तेल कंपनियों को विदेशों से तेल आयात करने के लिए ज्यादा लागत चुकानी पड़ रही है, जबकि इसके कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और भी बढ़ोत्तरी होने की आशंका जताई जा रही है। बैंकिंग, ऑटो, एफएमसीजी, रियल्टी, ऑयल एंड गैस और पावर सेक्टर के शेयरों में भी गिरावट देखी जारी है।
रुपए की गिरावट की वजह से तेल कंपनियों को विदेशों से तेल आयात करने के लिए ज्यादा लागत चुकानी पड़ रही है, जबकि इसके कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और भी बढ़ोत्तरी होने की आशंका जताई जा रही है।