गिरिडीह। 5161 वें गीता जयंती के अवसर पर दो दिवसीय आयोजन का शुभारम्भ बुधवार से कबीर ज्ञान मंदिर में हुआ। आयोजन के पहले दिन आज सदगुरु मां ज्ञान ने श्रीमद्भगवतगीता के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। मंगलाचरण उद्बोधन के साथ माँ ज्ञान ने 1001 व्रतियों के साथ सम्पूर्ण गीता का सस्वर अखंड पाठ की। इस दौरान भव्य पूजन कार्यक्रम भी आयोजित हुआ।
मौके पर अपने उद्बोधन में मां ज्ञान ने कहा कि गीता साकार और निराकार का संगम है। गीता जयंती के अवसर पर गीता का अखंड पाठ कर व्यक्ति ग्रहदोष, पितृदोष आदि अनेकानेक ताप-दुःखों से मुक्त होकर परम सौभाग्य को प्राप्त कर सकता है। कहा कि आज मानव- जीवन अशांति और अज्ञान का पर्याय बन गया है। ऐसे में गीता वह संजीवनी बूटी है, जो मानव को दुःखों से निकालकर सुख और शांति प्रदान करने की क्षमता रखती है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के समान कोई ग्रंथ नहीं, गीता ज्ञान के समान कोई पंथ नहीं, गीता वाणी के समान कोई मंत्र नहीं, गीता उपदेश में वह सब कुछ है, जो मानव समुदाय को शांत, सुखी, संतृप्त बना सकता है।
गीता जयंती के अवसर पर आयोजित इस दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन काफी संख्या में कबीर के अनुयायी, सनातनी समुदाय से जुड़े महिला व पुरुष उपस्थित होकर इस आयोजन को सफल बनाया।
वहीं कार्यक्रम के दूसरे कल गुरुवार को गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन होगा, ततपश्चात आरती हवन उपरांत प्रसाद वितरण कर इस दो दिवसीय आयोजन का समापन होगा।
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