गिरिडीह : पौष पूर्णिमा लंगटा बाबा समाधि पर्व के अवसर पर जिले के खरगडीहा स्थित लंगटा बाबा के समाधि पर शुक्रवार को भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह चार बजे से ही समाधि स्थल पर चादर चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ, वह देर रात तक जारी रहा।
भीड़ इतनी थी कि चादरपोशी के लिए भक्तों की लंबी कतार लग गयी। घंटों कतार में खड़े रहकर लोगों ने लंगेश्वरी बाबा के समक्ष शीश झुकाया और मन्नतें मांगीं। सुबह आठ बजे के बाद बाबा के भक्तों की संख्या इतनी बढ़ गयी कि करीब दो किमी तक लंबी कतार लग गयी। जिस कारण जमुआ-देवघर मुख्य मार्ग पूरी तरह जाम हो गया।
वहीं मंदिर परिसर एवं मेले में पहुंची भारी भीड़ पर नियंत्रण करने हेतु प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। थाना प्रभारी पप्पू कुमार के नेतृत्व में पुलिस के जवान विधि-व्यवस्था बनाए रखने में जुटे रहे।
पॉकेटमारों की रही चांदी : पौष पूर्णिमा के अवसर पर लंगटा बाबा के समाधि पर्व पर उनके समाधि स्थल पर पूजा-अर्चना को पहुंचे कई भक्तों की जेबें कटी वहीं दर्जनाधिक लोगों के पर्स उड़ा लिए गये। दर्जनभर मोबाइल भी भीड़ के कारण गुम हो गया। हालांकि प्रशासनिक महकमा द्वारा मेले की निगरानी हेतु मेला स्थल के विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे थे। बावजूद इसके पॉकेटमारों ने हाथ साफ कर लिया।
मजहबी आस्था का केंद्र खरगडीहा : मजहबी आस्था का केन्द्र है खरगडीहा। पौष पूर्णिमा के मौके पर विख्यात लंगटा बाबा के यहां स्थित समाधि स्थल पर चादरपोशी करने के लिए उमड़े हजारों हिन्दू-मुस्लिम धर्मावलंबियों के हुजूम से यह बात स्वत: सिद्ध होती है। झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा अलग-अलग प्रदेशों से भी बाबा के भक्तों ने हाजिरी देते हुए समाधि पर चादरपोशी की और मन्नतें मांगीं। यहाँ पधारे हरेक भक्तों द्वारा बाबा की महत्ता का गुणगान करते सुना गया। दया की प्रतिभूर्ति थे लंगटा बाबा। यही वजह है कि बाबा के अनन्य भक्त मिर्जागंज निवासी मोहन साव के सौजन्य से यहां के मेले में अलग-अलग जगहों पर टी-स्टाल की व्यवस्था की गयी।
जलीय सूर्यमंदिर में उमड़ी भीड़ : पौष पूर्णिमा के मौके पर शुक्रवार को मिर्जागंज स्थित जलीय सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से शाम तक लगी रही। भक्तों ने बारी-बारी से मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर भगवान भास्कर से निरोग होने की मन्नतें मांगीं। खरगडीहा स्थित लंगटा बाबा की समाधि पर चादरपोशी करने वाले श्रद्धालुओं ने यहां आकर भगवान भास्कर के समक्ष भी माथा टेका। यहां भी दिनभर मेले जैसा माहौल रहा। समाधि स्थल और मंदिर में दर्जनों की संख्या में पधारे साधु, संत एवं साधकों से धार्मिक आस्था का माहौल जीवंत हो उठा।
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