लॉकडाउन की बहाने मजदूर अधिकारों पर मोदी सरकार कर रही हमला : एक्टू
गिरिडीह : लॉकडाउन के बहाने मोदी शासन में श्रम अधिकारों पर हमले जारी हैं। पूंजीपतियों को मदद करने के लिए मजदूरों के काम के घंटे 8 को बढ़ाकर 12 घण्टे कर सप्ताह में 72 घंटे काम करने का नियम बनाना इसका ताजा उदाहरण है। सरकार मजदूरों के अधिकारों को खत्म कर उन्हें फिर से 'दासता के युग' में धकेल देना चाहती है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उपरोक्त बातें मंगलवार को एआईसीसीटीयू (एक्टू) के राष्ट्रीय पार्षद एवं माले नेता राजेश कु0 यादव ने यूनियन द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आहूत दो दिवसीय प्रतिवाद कार्यक्रम में शामिल होते हुए कही। वहीं, माले नेता राजेश सिन्हा तथा जिप सदस्य मनोवर हसन बंटी ने कहा कि एक तरफ देश जहां कोरोना से लड़ रहा है तो इसी बीच भाजपा की सरकारें मौके का फायदा उठाकर मजदूरों के खिलाफ निर्णय ले रही हैं। देश लॉकडाउन में है इसलिए वे इसके विरोध में किसी बड़े आंदोलन से बेफिक्र हैं। लेकिन उनका यह कदम देश के मेहनतकश मजदूर वर्ग के साथ एक बड़ी गद्दारी है।
नेताओं ने कहा कि यही नहीं बल्कि भाजपा सरकार इस समय का इस्तेमाल मेहनतकशों को सांप्रदायिकता के आधार पर बांटने के लिए भी कर रही है। ऐसी परिस्थिति में घरों में रहकर भी जन जागरण जरूरी है। सरकार के मजदूर विरोधी निर्णयों का प्रतिकार भी जरूरी है। यही कारण है कि देश भर के मेहनतकश मजदूरों का तबका सोशल डिस्टेंसिंग में रहकर सरकार के इन निर्णयों का विरोध करते हुए मजदूरों के खिलाफ श्रम कानूनों में किए गए सभी संशोधन वापस लेने की मांग कर रहा है।
यूनियन कार्यालय में आयोजित प्रतिवाद कार्यक्रम में राजेश कु0 यादव, राजेश सिन्हा, मनोवर हसन बंटी, अशोक कुमार तुरी आदि ने भाग लिया।
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