कोयल नदी का पानी पीयेंगे रांची के लोग, शीघ्र डीपीआर बनाने का निर्देश
रांची । गुमला के दक्षिणी कोयल नदी का पानी रांची के लोग पीएंगे। इस नदी से हटिया डैम में पानी लाने की योजना बनाने का निर्देश पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथलेश कुमार ठाकुर ने विभागीय सचिव को दिया है। मंत्री ने डैम का निरीक्षण करने के बाद वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए जल्द डीपीआर बनाने को कहा है।
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जलस्तर गिरना चिंताजनक
जानकारी हो कि श्री ठाकुर ने 24 फरवरी को धुर्वा डैम का निरीक्षण किया था। इस क्रम में मिली जानकारी से सचिव को अवगत कराया है। विभागीय मंत्री ने कहा कि हटिया डैम का जलस्तर काफी नीचे गिरता जा रहा है। यह चिंता का विषय है। इसके विपरीत रूक्का डैम एवं अन्य जलाशयों की स्थिति बेहतर है।
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उन्होंने कहा कि हटिया डैम का कैचमेट एरिया निकट के प्रखंड कर्रा, बेड़ो एवं लापुंग का क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में बारिश कम होती है, तो निश्चित रूप से डैम का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है।पेयजल के लिए डैम पर निर्भर
मंत्री ने कहा है कि मार्च 2017 में जलस्तर 2183 फीट था, जो आज 3 वर्षों के बाद 2174 फीट हो गया है। अभी जिस तरह से रांची शहर का विस्तार हो रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में हटिया डैम बहुत ही महत्वपूर्ण जलस्रोत साबित होगा। स्मार्ट सिटी, नई विधानसभा, उच्च न्यायालय एवं आवासीय कॉलोनी सभी धुर्वा डैम के आसपास के क्षेत्रों में विकसित हो रहे हैं। इन क्षेत्रों के लोग पेयजल के लिए पूर्ण रूप से हटिया डैम पर ही निर्भर रहेंगे।
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50 साल की योजना बनानी होगी
मंत्री ने कहा है कि इस परिपेक्ष्य में अगले 50 सालों को ध्यान में रखते हुये विस्तृत कार्य योजनायें बनानी होंगी। लोगों को बेहतर पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिये हटिया डैम के जलस्तर एवं जलस्रोतों को बढ़ाना होगा। गुमला जिले के सिसई प्रखंड अंतर्गत नागफेनी से दक्षिणी कोयल नदी का प्रवाह है। यह बारहमासी नदी है। इसमें सालों भर पानी रहता है। यह एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। अगर इस नदी के पानी को धुर्वा डैम में लाने की योजना बनाई जाती है, तो आने वाले दिनों में डैम का जलस्तर हमेशा बना रहेगा। रांची शहर की एक बड़ी आबादी को निरंतर पानी मिलता रहेगा। इसके अलावे भी अन्य निकटतम जलस्रोत की भी संभावनाओं को तलाशने की आवश्यकता पर बल दिया है।
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जल्द डीपीआर बनायें
श्री ठाकुर ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव को निर्देश दिया कि वे अपने अभियंताओं और जल संसाधन विभाग के सचिव एवं अभियंता के साथ बैठक कर जल्द से जल्द डीपीआर तैयार करें। ताकि इस कार्य योजना को अगले वित्तीय वर्ष में अमलीजामा पहनाया जा सके।
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