बलात्कारी को दस वर्ष की सश्रम कारावास की सजा
गिरिडीह : जिला जज छह अजय श्रीवास्तव की अदालत ने गुरुवार को दुष्कर्म मामले में दोषी पाए गए मो.आलम को दस साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 25 हजार रुपये आर्थिक जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर छह माह अतिरिक्त कारावास की सजा काटने की बात कही।
घटना ताराटांड़ थाना क्षेत्र की है। गांव की एक युवती
कांड की परिवादी सह पीड़िता ने न्यायालय में परिवाद पत्र दायर कर कहा था कि 27 मार्च 2016 को वह घर में अकेली सोई हुई थी। गर्मी के कारण दरवाजा खुला हुआ था। रात 11 बजे मो.आलम घर में घुस गया। जब तक कुछ समझ पाती उसके दुपट्टे से उसका मुह बंद कर दिया व चाकू का भय दिखाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद उसने शादी करने की बात कही और लगातार यौन शोषण करता रहा। इस बीच वह गर्भवती हो गई। आलम ने उसे मधुपुर ले जाकर गर्भपात कराया और गांव के बगीचे में छोड़ गया।
24 सितंबर 2016 की शाम सात बजे वह अपनी चचेरी बहन के साथ शौच के लिए गई थी तो आलम ने उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने सारी घटना की जानकारी अपने पिता को दी। जब उसके घरवाले आलम के घर इस बात को पूछने गए तो उसके घरवालों ने उनके साथ मारपीट की। घटना को लेकर पीड़िता ताराटांड़ थाना गई। लेकिन थानेदार ने प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया। तब पीड़िता ने न्यायालय में परिवाद पत्र दायर किया था।
गुरुवार को सजा के बिदु पर सुनवाई के दौरान बहस करते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रकाश और दीपक कुमार ने उसे न्यूनतम सजा देने की अपील की। कहा कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। उसे कम सजा देकर अच्छा नागरिक बनने का मौका दिया जाना चाहिए। पीड़िता के अधिवक्ता दिगंबर मोहन सिन्हा ने उसे कड़ी सजा देने की अपील की। न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनने के बाद सजा सुनाई।
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