जमीन विवाद में सामूहिक नरसंहार मामले में अदालत ने दो अभियुक्तों को सुनायी फांसी की सजा
16 साल बाद आया फैसला, एक आरोपी को पहले हो चुका है आजीवन कारावास
*कोडरमा कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, सतगावां के डुमरी गांव की बहुचर्चित सामुहिक नरसंहार मामले में चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दो अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई।
सतगांवा थाना कांड संख्या 34/2004, ST No. 75/2016, में custody accused 1.रामवृक्ष प्रसाद यादव एवं 2.संजय यादव को बहुचर्चित कांड (नरसंहार ) मामले में धारा- 302/147/148/149/458 भा0द0वि0 में चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय से कोडरमा जिला में पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई।
कोडरमा बाजार जिले के सुदूरवर्ती सतगावां प्रखंड के डुमरी गांव में वर्ष 2004 में हुए सामूहिक नरसंहार के मामले में बुधवार को स्थानीय अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ विश्वनाथ शुक्ला की अदालत ने इस कांड में दोषी करार दिये गये दो दोषियों को फांसी की सजा सुनायी. जिन दोषियों की सजा मुकर्रर की गयी है उसमें संजय प्रसाद यादव, पिता बाल कृष्ण महतो निवासी खाब और रामवृक्ष यादव पिता वजीर राउत निवासी डुमरी सतगांवा शामिल हैं.
व्यवहार न्यायालय कोडरमा के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी हत्याकांड के आरोपियों को फांसी की सजा सुनायी गयी है.
जानकारी के अनुसार जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सतगांवा थाना कांड संख्या 34/04 की सुनवाई करते हुए कांड के आरोपी संजय प्रसाद यादव व रामवृक्ष यादव को धारा 147, 148, 149, 458 व 302 भादवि में पहले ही दोषी करार दिया था. साथ ही सजा को लेकर बुधवार की तिथि निर्धारित की थी. घटना के वक्त 25 सितंबर 2004 को सूचक सुरेश कुमार, पिता कपिलदेव प्रसाद यादव डुमरी सतगांवा के बयान पर मामला दर्ज किया गया था.
सूचक सुरेश कुमार ने अपने पिता सेवानिवृत्त शिक्षक कपिलदेव प्रसाद यादव, भाई नीरज कुमार उर्फ सुधीर कुमार, अनोज कुमार व सकलदेव यादव की नृशंस हत्या करने का आरोप उक्त दोनों आरोपियों के अलावा 16 लोगों पर लगाया था. उक्त मामले को लेकर पूर्व में ही एक आरोपी सुनील यादव को न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनायी जा चुकी है. हालांकि, जिस वक्त यह मामला दर्ज किया गया था उस समय नरसंहार में नक्सलियों का सहयोग लेने का भी आरोप था, पर बाद में मामले की हुई सीआईडी जांच में नक्सली घटना की बात सामने नहीं आने पर धारा 17 सीएलए एक्ट को हटा दिया गया था. पुलिस ने अनुसंधान के बाद न्यायालय में सात आरोपियों के विरुद्व आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें से एक की बाद में मौत हो गयी थी. अनुसंधान में जमीन विवाद व पुरानी रंजिश की बात भी सामने आयी थी. दर्ज केस के चार आरोपी अब तक फरार हैं.