बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

छत्रपति शिवाजी के आदर्शो से राष्ट्रधर्म की मिलती है प्रेरणा

छत्रपति शिवाजी के आदर्शो से राष्ट्रधर्म की मिलती है प्रेरणा 
       जयंती पर याद किये गये छत्रपति शिवाजी

जमुआ (गिरीडीह) : जमुआ प्रखण्ड के पी डी पब्लिक स्कूल पोबी में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के तत्वावधान में छत्रपति शिवाजी  की जयंती बुधवार को समारोह पूर्वक मनाई गई। 

ब्यूरो के जिला संयुक्त सचिव योगेश कुमार पाण्डेय ने इस अवसर पर उनकी जीवनी का वर्णन करते हुए कहा कि भारत के बहादुर शासकों में से एक  छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को  शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। 

मराठा साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय छत्रपति शिवाजी को जाता है।  बहादुरी और रणनीतियों के लिए जाना जाता है। जिससे उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई युद्धों को जीता। छत्रपति शिवाजी स्वराज और मराठा विरासत के लिए जाना जाता हैं। शिवाजी महाराज का विवाह 14 मई, 1640 को सइबाई निम्बालकर के साथ हुआ था। 
शिवाजी सभी धर्मों का सम्मान आदर करते  थे। उनकी सेना में कई मुस्लिम सिपाही भी थे। गुरिल्ला युद्ध मे सभी पारंगत थे। उनका मुख्य लक्ष्य मुगल सेना को हराकर मराठा साम्राज्य स्थापित कर  हिंदुस्तान से मुगल साम्राज्य का अंत करना था। क्रूर औरंगजेब का छक्के छुड़ा दिये।

शिवाजी महिलाओं को भी सम्मान करते थे। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई हिंसाओ, शोषण और अपमान का विरोध किया। महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करने पर उनके राज्य में कठोर सजा मिलती थी। उनके नजर में राष्ट्रधर्म ही सर्वश्रेष्ठ धर्म था। 

कार्यक्रम का मंच संचालन पीएलवी सुबोध कुमार साव ने किया। मौके पर उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया। जलसहिया स्मिता सिन्हा, पिनांकल स्कूल नीमाडीह के निदेशक प्रभातचंद्र, प्रतापचन्द्र, मुरलीधर पाण्डेय, विवेकानंद प्रसाद ने इस अवसर पर कहा कि बर्तमान समय में शिवाजी के आदर्श की महत्ता और उसकी  प्रासंगिकता काफी बढ़ गई है। जिससे राष्ट्र नवनिर्माण के लिए उत्प्रेरित होते है। उक्त अवसर पर विद्यालय की छात्र- छात्राएं व अभिभावक मौजूद थे।


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