बुधवार, 12 फ़रवरी 2025

डाक विभाग द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की उड़ाई जा रही धज्जियां

गिरिडीह(Giridih)। गिरिडीह के जाने-माने सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुनील कुमार खंडेलवाल का कहना है कि डाक विभाग द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है। साथ ही इस कानून की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है। खंडेलवाल ने बताया कि उनके द्वारा दिनांक 30 नवंबर 2022 को केंद्रीय लोक सूचना पदाधिकारी, डाकघर अधीक्षक का कार्यालय, गिरिडीह को ऑनलाइन भेजा गया था। जिसमें उन्होंने तीन बिंदुओं पर सूचनाएं मांगी थी। प्रावधानुसार उन्हें उक्त सूचना का जवाब 35 दिनों के भीतर मिलना चाहिए था लेकिन उस अवधि में उन्हें जवाब नहीं मिला।

11 फरवरी 2025 को डाक विभाग द्वारा एक पत्र प्रेषित कर कहा गया है कि उनके द्वारा दिनांक 30 नवंबर 2022 को भेजे गए सूचना आवेदन 6 फरवरी 2025 को प्राप्त हुआ है। पत्र में यह भी कहा गया है कि इंडिया पोस्ट की वेबसाइट में किसी भी सामग्री को मात्र 90 दिनों की अवधि तक ही खोजा जा सकता है। विभाग द्वारा भौतिक रूप से किसी भी सामग्री को मात्र 18 माह तक ही अभिलेखों में संधारित रखा जाता है। 


खंडेलवाल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में यह स्पष्ट  प्रावधानित है कि किसी भी लोक प्राधिकार को दस्तावेजो को 20 वर्षों तक संधारित किया जाना आवश्यक है, लेकिन डाक विभाग के द्वारा मात्र 18 माह तक ही दस्तावेजों का संधारण किया जाना सरासर गलत एवं सूचना कानून का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है।

खंडेलवाल ने डाक विभाग को एक पत्र प्रेषित कर कहा है कि डाक विभाग को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का अक्षरशः पालन करने और दस्तावेज (POD) प्रूफ आफ डिलीवरी जो 20 वर्षों तक संधारित नहीं रखे जाते, उन्हें भविष्य में 20 वर्षों तक संधारित रखने को कहा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि प्रूफ आफ डिलीवरी एक अत्यंत ही आवश्यक दस्तावेज होता है। जिसे संबंधित न्यायालय अथवा कार्यालय में समय-समय पर प्रस्तुत किया जाना आवश्यक हो जाता है।  


खंडेलवाल के पत्र को रुपेश पाल (ADG PG) कमरा संख्या 236 H1, डाक भवन, पार्लियामेंट स्ट्रीट, नई दिल्ली को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेज दिया गया है। खंडेलवाल ने भरोसा जताया है कि उनकी शिकायत पर डाक विभाग द्वारा जल्द ही संज्ञान लिया जाएगा जिससे देश की करोड़ों जनता को लाभ मिल सकेगा।

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