बुधवार, 22 जुलाई 2020

सर्पदंश का करावें उपचार, झाड़फूंक और ओझागुणी के चक्कर मे न पड़ें

सर्पदंश का करावें उपचार,  झाड़फूंक और ओझागुणी के चक्कर मे न पड़ें



[राजेश कुमार]

दुनिया में प्रतिवर्ष एक लाख लोगों की मौत सर्पदंश के कारण होती है। इसमें करीब आधे लोग भारत के होते हैं। सर्पदंश से मृत्यु का मुख्य कारण समय से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जाना है। इसके कई कारण हो सकते हैं। सर्पदंश में प्राथमिक उपचार की जानकारी का अभाव, ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल की दूरी व अंधविश्वास के कारण झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ना आदि।

दुनिया में कोई तीन हजार प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। भारत में करीब 300 प्रकार के सांप पाए जाते हैं। इनमें केवल 15 प्रजाति के साँप ही जहरीले होते हैं। नाग (कोबरा), करैत, रसेल्स वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर के काटने के सर्वाधिक मामले सामने आते हैं। आमतौर पर भोजन की तलाश में ये साँप खेतों व रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं। बरसात के दिनों में गहरे क्षेत्रों में पानी भर जाने के कारण भी सांप आवासीय क्षेत्रों में आ जाते हैं। यही कारण है कि भारत में बरसात के दिनों जून से सितंबर तक सर्वाधिक सर्पदंश के लोग शिकार होते हैं। [रिपोर्ट :राजेश कुमार की]

लक्षण:- साँप के काटने के स्थान पर खरोच के निशान, खून निकलना, काटे जगह पर दर्द, सूजन व लालीपन, धड़कने तेज होना, पसीना आना, मितली आदि लक्षण है।

बचाव:- सावधानी बचाव के सर्वोत्तम उपाय हैं। घर के आसपास की सफाई रखें। जंगल-झाड़ी व जलजमाव नहीं होने दें। चूहों को नियंत्रित रखें। अंधेरे में टॉर्च का प्रयोग करें। बिल-छेद में हाथ ना डालें। जूता पहनने से पहले अच्छी तरह देख लें।

उपचार:- सर्पदंश में एकमात्र उपचार विषरोधक दवा (Anti Anak Venom ASV) का प्रयोग है। यह दवा सरकारी अस्पतालों में प्रायः निःशुल्क उपलब्ध हैं। आवश्यकता यह है किे मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए जिससे उसे समय रहते इलाज मिल सके।

सर्पदंश की अवस्था में मरीज को घबराना नहीं चाहिए। काटे गए स्थान को स्थिर रखें। घबराने से व अंग को हिलाने-डुलाने से रक्त संचार बढ़ जाता है। जिस कारण विष फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

सर्पदंश के संस्थान से ऊपर रस्सी से बांध दें जिससे विष का प्रसार हृदय की ओर न हो। रस्सी को टाइट न बांधे। इससे अंगों को समुचित रक्त नहीं मिलने के कारण उत्तक के क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहती हैं। दंश के स्थान पर ब्लेड से चिड़ा भी लगाया जा सकता है। परंतु कई बार गहरा चिरा लगने से अत्यधिक रक्तस्राव के कारण भी बात बिगड़ जाती हैं।अतः आवश्यकता है कि मरीज को समय बर्बाद किए बगैर अस्पताल पहुंचाएं। कई बार झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर भी समय बर्बाद कर दिया जाता है।[रिपोर्ट : राजेश कुमार की]

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