सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

गिरिडीह सेंट्रल जेल से 19 बन्दी भेजे गये कोडरमा जेल

गिरिडीह सेंट्रल जेल से 19 बन्दी भेजे गये कोडरमा जेल
क्षमता से अधिक बंदी होने के कारण सजायाफ्ता चार महिला समेत 19 बन्दियों को किया गया शिफ्ट

गिरिडीह :  गिरिडीह सेंट्रल जेल में क्षमता से अधिक बंदियों के रहने पर चिता जताते हुए उन्हें दूसरे जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया गया था।  चार महिला समेत 19 सजायाफ्ता बंदियों को कोडरमा जेल भेजा गया।  कारा विभाग से जेल अधीक्षक को भेजे पत्र में सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते कहा गया है कि बंदियों को हर हाल में सुरक्षित रखा जाना चाहिए। सेंट्रल जेल में अभी क्षमता से करीब दो सौ बंदी अधिक हैं। इनके रहने और अन्य सुविधाएं जो मिलनी चाहिए मापदण्ड के अनुरूप नही है। ऐसे में बंदियों को दूसरे जेल में शिफ्ट करना जरूरी है।

कारा विभाग का पत्र सेंट्रल जेल में मिलते ही हरकत में आ गया। जेल अधीक्षक ने बंदियो को कोडरमा जेल ले जाने के लिए एसपी से सुरक्षा व्यवस्था की मांग की। सुरक्षा के लिए पुलिस फोर्स मिलते ही रविवार को बंदियों को कोडरमा भेजा गया।

सेंट्रल जेल से वैसे बंदियों को दूसरे जेल में शिफ्ट करने में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि उन बंदियों का गिरिडीह न्यायालय में कोई दूसरा मामला लंबित नहीं हो। सजा पाने वालों की अधिकतम सजा दस साल तक ही हुई हो। जेल प्रशासन ने पहली खेप में 19 बंदियों को चिन्हित कर कोडरमा मंडल कारा भेजा।

दुष्कर्म,अपहरण और डाका कांड के सर्वाधिक बंदी भेजे गए : 

सेंट्रल जेल गिरिडीह से जिन 19 बंदियों को कोडरमा जेल शिफ्ट किया गया। उनमे दुष्कर्म, अपहरण, हत्या के प्रयास, दहेज हत्या, डाका आदि में सजा पाए बंदी शामिल हैं। इन बंदियों में सीताराम सिंह, समसुद्दीन अंसारी, सुनील कुमार बर्णवाल, पिटू सिंह, अभिषेक शर्मा, मो.अकबर, अयूब अंसारी, खजीरा खातून, सुकर महतो, सुदामा साव, सऱफराज मियां, इस्माइल अंसारी, अब्दुल हन्नान, रजिया खातून, सुरेश साव, देवाशीष घटक, परमेश्वर महतो, ठकुरी देवी और खेमिया देवी शामिल हैं। इन सभी बंदियों को कड़ी सुरक्षा में कोडरमा ले जाया गया।

सेंट्रल जेल बने हुए दो साल नहीं बना नया भवन : 

17 जनवरी 2018 को मंडल कारा से अपग्रेड कर गिरिडीह को सेंट्रल जेल बनाया गया था। करीब दो साल से अधिक समय बीत जाने पर भी सेंट्रल जेल में कोई नया भवन नहीं बनाया गया। सेंट्रल जेल के लिए जितनी जमीन की जरूरत थी, जो जेल से सटे उपलब्ध है। अब तक अधिग्रहण नहीं किया गया है। हालांकि जमीन अधिग्रहण से लेकर नए भवन बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। गिरिडीह को सेंट्रल जेल बनाने का उद्देश्य दूसरे सेंट्रल जेल में बंदियो का भार कम करना था। गिरिडीह के अलावा धनबाद, तेनुघाट समेत अन्य जेल से सजायाफ्ता को रखने की बात कही गई थी। नए भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में अब तक संभव नहीं हो सका है।


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