लोकसभा चुनाव : तीन आदिवासी पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दाव पर
झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक ने कोडरमा लोकसभा सीट से सूबे के प्रथम मुख्यमंत्री सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी को मैदान में उतारा है। नवंबर 2000 में राज्य बनने के बाद वह झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे। तब उन्होंने राज्य में भाजपा सरकार का नेतृत्व किया था।
हालांकि, बाबूलाल मरांडी ने 2006 में भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी और झारखंड विकास मोर्चा के नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली। वर्तमान चुनावी माहौल में झाविमो यूपीए महागठबंधन में शामिल है। इस गठबंधन में कांग्रेस और झामुमो के अलावा राजद भी शामिल है। हालांकि, टिकट बंटवारे से नाखुश राजद ने न केवल पलामू सीट के अलावा चतरा से भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। बल्कि चुनाव में अकेले दम पर सभी 14 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
बकौल बाबूलाल मरांडी लोग केंद्र की नरेंद्र मोदी और राज्य की रघुवर दास सरकार दोनों से तंग आ चुके हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में महागठबंधन झारखंड में बड़ी जीत दर्ज करेगा। मरांडी पहली बार भाजपा के टिकट पर 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। हालांकि, वह 2014 का लोकसभा चुनाव हार गए।
जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा को पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष और खूंटी सीट से निवर्तमान सांसद कडि़या मुंडा के स्थान पर उतारा है। जहां उन्होंने कडि़या मुंडा से आशीर्वाद लेकर चुनावी अभियान का आगाज किया है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पहली बार 2009 में जमशेदपुर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने 2010 में झारखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसद के रूप में यह सीट छोड़ दी थी।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि एक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता के रूप में मैंने पार्टी के फैसले को स्वीकार किया है। मुझे विश्वास है कि लोग यह सुनिश्चित करने के लिए मतदान करेंगे कि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें।
झारखंड में चार चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव होना है। आसन्न लोकसभा चुनाव में प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री भी किस्मत आजमा रहे हैं। खूंटी, कोडरमा और दुमका लोकसभा सीटों के लिए चुनाव में इस बार क्रमश: अर्जुन मुंडा (भाजपा), बाबूलाल मरांडी (झाविमो) और शिबू सोरेन (झामुमो) चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।
खास बात यह है कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्री आदिवासी समुदाय से हैं। अर्जुन मुंडा और शिबू सोरेन जहां आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों खूंटी और दुमका से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं बाबूलाल मरांडी सामान्य श्रेणी की सीट कोडरमा से चुनाव लड़ रहे हैं।
झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक ने कोडरमा लोकसभा सीट से सूबे के प्रथम मुख्यमंत्री सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी को मैदान में उतारा है। नवंबर 2000 में राज्य बनने के बाद वह झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे। तब उन्होंने राज्य में भाजपा सरकार का नेतृत्व किया था।
हालांकि, बाबूलाल मरांडी ने 2006 में भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी और झारखंड विकास मोर्चा के नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली। वर्तमान चुनावी माहौल में झाविमो यूपीए महागठबंधन में शामिल है। इस गठबंधन में कांग्रेस और झामुमो के अलावा राजद भी शामिल है। हालांकि, टिकट बंटवारे से नाखुश राजद ने न केवल पलामू सीट के अलावा चतरा से भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। बल्कि चुनाव में अकेले दम पर सभी 14 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
बकौल बाबूलाल मरांडी लोग केंद्र की नरेंद्र मोदी और राज्य की रघुवर दास सरकार दोनों से तंग आ चुके हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में महागठबंधन झारखंड में बड़ी जीत दर्ज करेगा। मरांडी पहली बार भाजपा के टिकट पर 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। हालांकि, वह 2014 का लोकसभा चुनाव हार गए।
वंही झारखण्ड आंदोलन के प्रणेता सह झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन इस बार के लोकसभा चुनाव में पुनः दुमका लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। दिशम गुरु के नाम से प्रख्यात शिबू सोरेन अब तक तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने है और सात बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। झामुमो ने उन्हें लगातार आठवीं बार दुमका सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
शिबू सोरेन के अनुसार क्षेत्र की जनता केंद्र व राज्य की सरकारों के तुगलकी फरमानों से आजीज आ चुकी है। जनता आसन्न चुनाव में बदलाव का पक्षधर है।
जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा को पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष और खूंटी सीट से निवर्तमान सांसद कडि़या मुंडा के स्थान पर उतारा है। जहां उन्होंने कडि़या मुंडा से आशीर्वाद लेकर चुनावी अभियान का आगाज किया है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पहली बार 2009 में जमशेदपुर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने 2010 में झारखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसद के रूप में यह सीट छोड़ दी थी।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि एक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता के रूप में मैंने पार्टी के फैसले को स्वीकार किया है। मुझे विश्वास है कि लोग यह सुनिश्चित करने के लिए मतदान करेंगे कि नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें।
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