कविता:-
हाय रे आमीर !
हाय रे आमीर !
तूने यह क्या कह डाला
कहने को तो कह डाला, अब-
छीन जायेगा तेरा -निवाला ।
किरण के पल्लू में छिप कर
तब तुम रोना दिन वो रात
नही आएगा कोई उस वक्त
अपना तुझको देने साथ
अश्रुधार बहा बहा कर -भिंगोते
रहना फिर किरण का दुशाला
नही आएगा फिर भी
कोई आँशु पोछने वाला।
हाय रे आमीर!
यह तूने क्या कह डाला।।
हाय रे आमीर !
हाय रे आमीर !
तूने यह क्या कह डाला
कहने को तो कह डाला, अब-
छीन जायेगा तेरा -निवाला ।
किरण के पल्लू में छिप कर
तब तुम रोना दिन वो रात
नही आएगा कोई उस वक्त
अपना तुझको देने साथ
अश्रुधार बहा बहा कर -भिंगोते
रहना फिर किरण का दुशाला
नही आएगा फिर भी
कोई आँशु पोछने वाला।
हाय रे आमीर!
यह तूने क्या कह डाला।।
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