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गुरुवार, 23 जुलाई 2020
गिरिडीह का साइबर थाना सींल, दो साइबर अपराधी पाये गये कोरोना संक्रमित

गिरिडीह पुलिस ने चार साइबर अपराधियों को धर दबौचा, भेजा जेल
गिरिडीह पुलिस ने चार साइबर अपराधियों को धर दबौचा, भेजा जेल
गिरिडीह : गिरिडीह की साइबर थाना पुलिस ने निमियांघाट थाना क्षेत्र के नगरी गांव से चार साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। साइबर पुलिस निरीक्षक सहदेव प्रसाद ने बताया कि गिरफ्तार अपराधियों में राहुल मंडल, विजय मंडल, सुनील मंडल, विनोद मंडल, वीरेन्द्र मंडल, दिनेश मंडल शामिल हैं।
पुलिस निरीक्षक सहदेव प्रसाद ने बताया कि गिरफ्तार अपराधियों में विजय मंडल, डुमरी थाना क्षेत्र के भावानंद गांव का रहने वाला है जबकि वीरेन्द्र और दिनेश जीतकुंडी का राहुल और विनोद मंडल गांडेय थाना क्षेत्र के मरगोमुंडा का तथा सुनील मंडल डुमरी थाना क्षेत्र के नावाडीह के कुहटी गांव के रहने वाले हैं।
इन अपराधियों के खिलाफ नगरी गांव निवासी रामेश्वर टुडु ने केस दर्ज कराया है। रामेश्वर टुडु ने थाने को दिये आवेदन में बताया है कि एक दिन उसके खाते में 54 हजार रुपये जमा होने का एक मैसेज उन्हें प्राप्त हुआ। उसके खाते में किस ने पैसे जमा किये इसकी उसे कोई जानकारी नहीं है। इसी बीच बीते मंगलवार को विनोद मंडल ने फोन कर उससे सारे रुपये अर्थात 54 हजार मांगे। बाद में दो बाइक से पांच अपराधी उससे मिले और बैंक खाते के सारे पैसे देने का दबाव दिया। नहीं देने पर अपराधियों ने रामेश्वर टुडु को जान से मारने की धमकी भी दी।
जिसके बाद भुक्तभोगी ने मामले की जानकारी साइबर थाना पुलिस को दी। अपराधियों में शामिल गांव के पिंटू मंडल से उसकी पहचान थी। पिंटू मंडल ने धोखे से उससे उसका एटीएम कार्ड लिया और खाते से 16 हजार रुपया निकाल लिये। पिंटू मंडल को गिरफ्तार अपराधियों को साथी बताते हुए भुक्तभोगी ने पिंटू मंडल समेत छह के खिलाफ केस दर्ज कराया। जिसमें पांच अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार गुरुवार को जेल भेज दिया।

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सेनादोनी में शुरू हुए पौधारोपण कार्यों का बीपीओ ने किया निरीक्षण
सेनादोनी में शुरू हुए पौधारोपण कार्यों का बीपीओ ने किया निरीक्षण
गिरिडीह : उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा के निर्देश पर गरीब कल्याण रोजगार अभियान एवं मनरेगा के अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं तथा विभागीय योजनाओं के तहत प्रवासी श्रमिकों को रोज़गार उपलब्ध कराकर उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है।
इसी कड़ी में गुरुवार को सदर प्रखंड के सेनादोनी पंचायत में पौधारोपण का पिट भरने का कार्य शुरू किया गया। ग्रामीण स्तर पर इन योजनाओं के शुरू होने से काफी श्रमिकों को रोजगार मुहैया हो रहा है। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मजबूत होने की प्रबल संभावना है। वंही जल एवं मृदा संरक्षण कार्यों से गांव का पानी गांव में एवं खेत का पानी खेत में ही रोका जा सकेगा ताकि जल संरक्षण व शुद्ध वातावरण के साथ साथ श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर व सशक्त बनाना जा सके।
सेनादोनी पंचायत में शुरू किए गए इस पौधारोपण कार्यों का गुरुवार को बीपीओ ने अवलोकन किया तथा ग्रामीणों को कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार को देखते हुए सुरक्षा के दृष्टिकोण से सावधानी बरतने, मास्क का उपयोग करने तथा सामाजिक दूरी का पालन करने की लोगों को सलाह दी।

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बुधवार, 22 जुलाई 2020
सर्पदंश का करावें उपचार, झाड़फूंक और ओझागुणी के चक्कर मे न पड़ें
सर्पदंश का करावें उपचार, झाड़फूंक और ओझागुणी के चक्कर मे न पड़ें
[राजेश कुमार]
दुनिया में प्रतिवर्ष एक लाख लोगों की मौत सर्पदंश के कारण होती है। इसमें करीब आधे लोग भारत के होते हैं। सर्पदंश से मृत्यु का मुख्य कारण समय से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जाना है। इसके कई कारण हो सकते हैं। सर्पदंश में प्राथमिक उपचार की जानकारी का अभाव, ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल की दूरी व अंधविश्वास के कारण झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ना आदि।
दुनिया में कोई तीन हजार प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। भारत में करीब 300 प्रकार के सांप पाए जाते हैं। इनमें केवल 15 प्रजाति के साँप ही जहरीले होते हैं। नाग (कोबरा), करैत, रसेल्स वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर के काटने के सर्वाधिक मामले सामने आते हैं। आमतौर पर भोजन की तलाश में ये साँप खेतों व रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं। बरसात के दिनों में गहरे क्षेत्रों में पानी भर जाने के कारण भी सांप आवासीय क्षेत्रों में आ जाते हैं। यही कारण है कि भारत में बरसात के दिनों जून से सितंबर तक सर्वाधिक सर्पदंश के लोग शिकार होते हैं। [रिपोर्ट :राजेश कुमार की]
लक्षण:- साँप के काटने के स्थान पर खरोच के निशान, खून निकलना, काटे जगह पर दर्द, सूजन व लालीपन, धड़कने तेज होना, पसीना आना, मितली आदि लक्षण है।
बचाव:- सावधानी बचाव के सर्वोत्तम उपाय हैं। घर के आसपास की सफाई रखें। जंगल-झाड़ी व जलजमाव नहीं होने दें। चूहों को नियंत्रित रखें। अंधेरे में टॉर्च का प्रयोग करें। बिल-छेद में हाथ ना डालें। जूता पहनने से पहले अच्छी तरह देख लें।
उपचार:- सर्पदंश में एकमात्र उपचार विषरोधक दवा (Anti Anak Venom ASV) का प्रयोग है। यह दवा सरकारी अस्पतालों में प्रायः निःशुल्क उपलब्ध हैं। आवश्यकता यह है किे मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए जिससे उसे समय रहते इलाज मिल सके।
सर्पदंश की अवस्था में मरीज को घबराना नहीं चाहिए। काटे गए स्थान को स्थिर रखें। घबराने से व अंग को हिलाने-डुलाने से रक्त संचार बढ़ जाता है। जिस कारण विष फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
सर्पदंश के संस्थान से ऊपर रस्सी से बांध दें जिससे विष का प्रसार हृदय की ओर न हो। रस्सी को टाइट न बांधे। इससे अंगों को समुचित रक्त नहीं मिलने के कारण उत्तक के क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहती हैं। दंश के स्थान पर ब्लेड से चिड़ा भी लगाया जा सकता है। परंतु कई बार गहरा चिरा लगने से अत्यधिक रक्तस्राव के कारण भी बात बिगड़ जाती हैं।अतः आवश्यकता है कि मरीज को समय बर्बाद किए बगैर अस्पताल पहुंचाएं। कई बार झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर भी समय बर्बाद कर दिया जाता है।[रिपोर्ट : राजेश कुमार की]

दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष सुरसा की भांति मुंह फैलाये खड़ी है बेरोजगारी
दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष सुरसा की भांति मुंह फैलाये खड़ी है बेरोजगारी
फाइल फोटोगिरिडीह : एक तो कोरोना बीमारी का भय उपर से बेरोजगारी की चिंता इनदिनों कईयों के लिए एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई की स्थिति हो गई है। लोग बेहाल हैं और सबकी नज़रे अब सरकार के रहमों करम पर टिकी हुई है। महामारी से बचाव को लेकर लगे लॉकडाउन ने अच्छों अच्छों की कमर तोड़ कर रख दी है। इसमें सबसे ज्यादा बुरा हाल है दिहाड़ी मजदूरों का। जो रोज़ाना सुबह काम की तलाश में चौक चौराहों पर खड़ा होते हैं वहीं काम नहीं मिलने पर मायूस होकर घर लौट जाते हैं। उन दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष सुरसा की भांति मुंह बाए खड़ी है बेरोजगारी। जिसका दंश झेलने को वह विवश हैं।
गौरतलब है कोरोना से बचाव को लेकर कंस्ट्रक्शन का काम पूरी तरह से ठप पड़ गया है। ऐसे में राजमिस्त्री और दिहाड़ी मजदूरों के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। वहीं अगर थोड़ा बहुत काम होता और मजदूरों को रोजगार मिलता तो एनजीटी के आदेश पर बालू उठाव पर रोक है इस कारण कंस्ट्रक्शन के काम पर ब्रेक सा लग गया है। ऐसे में मजदूर वर्ग के सामने परिवार का भरण पोषन करना चुनौती बनता जा रहा है।
राजमिस्त्री और दिहाड़ी मजदूरों ने बताया कि “तीन महीना त लॉकडाउन जैसे तैसे बीत गलो बाबू अब सोचलिये कि काम करवे ता बीमारियों बढ़ते जा रहल है और कहीं काम भी न मिल रहल है। सरकार के हमीन खातिर कुछ करना चाही”
बहरहाल, वाकई समस्या गंभीर है हालांकि मनरेगा के जरिये मजदूरों के लिए रोजगार तो उपलब्ध करवाया जा रहा है मगर वो नाकाफ़ी साबित हो रहा है। ऐसे में इस दिशा में बड़े कदम उठाने की दरकार है। लॉकडाउन में काफी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं। जिनमें से कई मजदूर ऐसे हैं जिनके लिए मनरेगा योजना में काम नहीं है। सभी अलग अलग सेक्टर के हैं। जिससे सभी बेरोजगार हो गए हैं और अब सरकार से रोजगार की मांग कर रहे हैं।

चोरों के हमले से दो सीसीएल कर्मी घायल, एक गम्भीर, किया गया ढोरी सेंट्रल हॉस्पिटल रेफर
