🇾🇪 जय जवान 🇾🇪 जय किसान का नारा देने वाले स्व० लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें शत शत नमन
स्व० शास्त्री एक_परिचय :-
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। गोविंद बल्लभ पंत के मंत्रीमंडल में आपको पुलिस एवं यातायात मंत्रालय सौंपा गया। परिवहन मंत्री के अपने कार्यकाल में आपने महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की। पुलिस मंत्री होने पर आपने भीड़ को नियंत्रित रखने के लिये लाठी की अपेक्षा पानी की बौछार का प्रयोग लागू करवाया।
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी, 1965 को देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘जय जवान, जय किसान' का नारा दिया। यह नारा आज भी भारतवर्ष में लोकप्रिय है।
लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बनने वाले ऐसे सरल और साधारण व्यक्ति थे जिनके जीवन का आदर्श प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वही रहा। भारत में बहुत कम लोग ऐसे हुए हैं जिन्होंने समाज के बेहद साधारण वर्ग से अपना जीवन शुरू कर देश के सबसे पड़े पद को प्राप्त किया। शास्त्री जी को अपने देशवासियों से बहुत प्रेम था और उनके इसी देशप्रेम से सम्बंधित उनके जीवन से जुडी हुई एक और प्रेरक घटना है।
ललिता शास्त्री ने तुरंत जवाब दिया कि- ये राशि उनके लिए काफी है। वो तो सिर्फ 40 रुपये ख़र्च कर रही हैं और हर महीने 10 रुपये बचा रही हैं।
लाल बहादुर शास्त्री ने तुरंत सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी को पत्र लिखकर कहा कि- उनके परिवार का गुज़ारा 40 रुपये में हो जा रहा है, इसलिए उनकी आर्थिक सहायता घटाकर 40 रुपए कर दी जाए और बाकी के 10 रुपए किसी और जरूरतमंद को दे दिए जाएं।
आज हम एक ऐसे सच्चे देशभक्त की चर्चा करने जा रहे जिनकी आज जन्मदिन है। जिन्हे आज सारी दुनिया नम आँखो से याद करती है I जिन्होंने जय जवान- जय किसान का नारा पुरे विश्व को दिया था। जी हाँ! हम बात कर रहे है एक सादगी प्रिय, राष्ट्रभक्त देश के द्वितीय प्रधानमन्त्री स्व० लाल बहादुर शास्त्री जी की। जिनकी ताशकन्द समझोते के दौरान एक साजिश पूर्ण तरीके से हत्या की गयी। लेकिन अब तक उनके हत्यारों का पता भारत की सरकार नही लगा पायी। आज यह कायस्थ वीर हम सबके बीच मे ना होकर भी हम सबके दिलो पे राज करता है I
स्व० शास्त्री एक_परिचय :-
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश के एक सामान्य निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। इनका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। शास्त्री जी के पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे व बाद में उन्होंने भारत सरकार के राजस्व विभाग में क्लर्क के पद पर कार्य किया।
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। गोविंद बल्लभ पंत के मंत्रीमंडल में आपको पुलिस एवं यातायात मंत्रालय सौंपा गया। परिवहन मंत्री के अपने कार्यकाल में आपने महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की। पुलिस मंत्री होने पर आपने भीड़ को नियंत्रित रखने के लिये लाठी की अपेक्षा पानी की बौछार का प्रयोग लागू करवाया।
1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में इन्हे अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किए गया । 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से विजय का श्रेय आपके अथक परिश्रम व प्रयास का परिणाम था। इनकी प्रतिभा और निष्ठा को देखते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात कांग्रेस पार्टी ने 1964 में लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद का उत्तरदायित्व सौंपा। आपने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया।
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी, 1965 को देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘जय जवान, जय किसान' का नारा दिया। यह नारा आज भी भारतवर्ष में लोकप्रिय है।
1965 भारत-पाक युद्ध तो याद ही होगा ना जब भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री जी थे और इस लडाई मे देश के लिये इन्होने खाना, सेलरी, नौकर चाकर सबका त्याग कर दिया था I तब उस समय भारत मे गेहूँ ना के बराबर होता था और सडा घुला गेंहू अमेरिका से आता था, अमेरिका ने भारत को तब धमकी दी की पाकिस्तान से लडाई बन्द कर दो वरना गेहुँ बन्द कर दुंगा तब शास्त्री जी ने पलटवार करते हुये कहा था कि हम भूखे रह लेंगे पर देश की शान ना जाने देंगे I तब जाकर पाकिस्तान की करारी हार हुई पर इसी सिलसिले मे जब ये ताशकंद समझौते के लिये गये तो भारत वापस नही आये, बल्कि वापस आई इनके मौत की खबर और देश से छिन गया एक सच्चा कायस्थ वीर । वो 11 जनवरी 1966 की काली रात हम कैसे भूल सकते हैं जब शास्त्री जी जैसे एक सच्चे देश भक्त का निधन हुआ था I
लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बनने वाले ऐसे सरल और साधारण व्यक्ति थे जिनके जीवन का आदर्श प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वही रहा। भारत में बहुत कम लोग ऐसे हुए हैं जिन्होंने समाज के बेहद साधारण वर्ग से अपना जीवन शुरू कर देश के सबसे पड़े पद को प्राप्त किया। शास्त्री जी को अपने देशवासियों से बहुत प्रेम था और उनके इसी देशप्रेम से सम्बंधित उनके जीवन से जुडी हुई एक और प्रेरक घटना है।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाला लाजपतराय ने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को आर्थिक सहायता प्रदान करवाना था।
आर्थिक सहायता पाने वालों में लाल बहादुर शास्त्री भी थे। उनको घर का खर्चा चलाने के लिए सोसाइटी की तरफ से 50 रुपए प्रति माह दिए जाते थे। एक बार उन्होंने जेल से अपनी पत्नी ललिता को पत्र लिखकर पूछा कि- क्या उन्हें ये 50 रुपए समय से मिल रहे हैं और क्या ये घर का खर्च चलाने के लिए पर्याप्त हैं ?
ललिता शास्त्री ने तुरंत जवाब दिया कि- ये राशि उनके लिए काफी है। वो तो सिर्फ 40 रुपये ख़र्च कर रही हैं और हर महीने 10 रुपये बचा रही हैं।
लाल बहादुर शास्त्री ने तुरंत सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी को पत्र लिखकर कहा कि- उनके परिवार का गुज़ारा 40 रुपये में हो जा रहा है, इसलिए उनकी आर्थिक सहायता घटाकर 40 रुपए कर दी जाए और बाकी के 10 रुपए किसी और जरूरतमंद को दे दिए जाएं।
आज भले ही हमारे बीच शास्त्री जी नही हैं पर इनकी कुर्बानी दुनियां सदा ही याद रखेगी I भारत सरकार को चाहिये की इनकी हत्या की जाँच करवाये और दोषियों को कटघरे मे खडा करे Iऐसा सच्चे राष्ट्रभक्त को सादर नमन
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