रविवार, 29 नवंबर 2015

क्षणिकाएँ : अपना बना ले मुझे

क्षणिकाएँ:

  " अपना बना ले मुझे "



छोटी सी बात पर
नाराज मत होना
भूल हो गयी हो तो
 माफ़ कर देना।
नाराज तब होना
मेरे दोस्त .....
जब रिश्ता तोड़ देंगे-
और यह तो तब ही होगा
जब हम दुनिया छोड़ देंगें।

गुस्से को थूक कर
फिर से अपना ले मुझे
छोटी सी जिंदगी है...
मेरे दोस्त .....
एक बार फिर से
अपने गले लगा ले मुझे।

क्षणिकाएँ : किस्मत

क्षणिकाएँ :

"किस्मत"

किस्मत पे एतबार किसको है
मिल जाये खुशी इनकार किसको हैं
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी  मेरे दोस्त -
वरना जुदाई से प्यार किसको है।

बुधवार, 25 नवंबर 2015

क्षणिकाएँ :- ऊंचाई किस काम की

क्षणिकाएँ :-

ऊंचाई किस काम की

जंहा याद न आये तेरी
वो तन्हाई किस काम की
बिगड़े रिश्तों को बना न पाये जो
वो खुदाई किस काम की
बेशक ऊँची मंजिल की तलाश में
दूर तलक जाना हो हमें
लेकिन जंहा से अपने न दिखे
वो ऊंचाई किस काम की।


क्षणिकाएं :- हादसा

क्षणिकाएं :-

हादसा

हादसा बन के बाजार में आ जायेगा
जो घटित हुआ न हो-
वह भी अखबार में आ जायेगा।
चोर उचक्कों की करो कद्र,
न जाने कब कौन -
किस सरकार में आ जायेगा।

कविता :- हाय रे आमीर

कविता:-

हाय रे आमीर !

हाय रे आमीर !
 तूने यह क्या कह डाला
कहने को तो  कह डाला, अब-
छीन जायेगा तेरा -निवाला ।
किरण के पल्लू में छिप कर
तब  तुम रोना दिन वो रात
नही आएगा कोई उस वक्त
अपना तुझको देने साथ
अश्रुधार बहा बहा कर -भिंगोते
रहना फिर किरण का दुशाला
नही आएगा फिर भी
 कोई आँशु पोछने वाला।
हाय रे आमीर!
यह तूने क्या कह डाला।।