आलेख -
’’ शिक्षित नारी,
देश की प्यारी ’’
आज से कुछ वर्ष
पूर्व एक ऐसा समय था, जब स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराना लोग पसंद नहीं करते
थे। लेकिन आज हम यह महसूस कर रहे हैं कि स्त्रियों को तालिम दिलाना अति आवश्यक है।
क्येांकि आज का युग नारी जागृति का युग है। आज की नारियां जीवन के सभी क्षेत्रों
मे पुरूषों से प्रतिद्वन्दिता करने को प्रत्यन कर रही है। आज भी बहुत से नारी
शिक्षा का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्त्रियों को उचित क्षेत्र घर की
दहलीज है न कि पाठशाला मे जाकिर तालिम लेना। इसिलिये वे इस बात पर तर्क भी
प्रस्तुत करते हैं कि स़्त्री शिक्षा पर रूपये खर्च करना रूपये की बर्बादी है।
लेकिन मेरा मानना
है कि वैसे लोग प्रकृति की जडता, रूढता, और पुरतनता पर विश्वास रख
कर स्त्री शिक्षा पर रोक लगाते हैं, वो सरासर गलत करते हैं क्योंकि आज समाज मे यदि
कोई शांतिपूर्ण क्रांति ला सकती है तो वो है स्त्री! और, इसके लिये उन्हें शिक्षित होना अनिवार्य है।
स्त्री शिक्षा के
अनेकानेक लाभ हैः-
1-शिक्षित स्त्रियां अपने
देश के विकास मे महत्वपूर्ण सहयोग दे सकती हैं।
2-वे जीवन के विभिन्न
क्षेत्रों मे पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उन्हे हर कामों मे हाथ बंटा सकती
है।
3-वे शिक्षिका, अधिवक्ता, चिकित्सिका,
लेखिका, वैज्ञानिक ,प्रशासक के रूप मे समाज
की सेवा की सेवा कर सकती है। सही ही-
4- वह युद्ध के समय मे
महत्वपूर्ण कार्य भी कर सकती है।
अर्थिक कठिनाईयों
वाले इस युग मे स्त्री शिक्षा एक वरदान है। प्रचुरता और उन्नति के दिन बीत चुक है।
आज कल मध्यमवर्गीय परिवार के लिये अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिये प्रर्याप्त
पैसे कमाना कठिन है। शिक्षित स्त्रियां अपने पतियों की आमदनी को स्वयं अर्थोपार्जन
कर बढा सकती है। यदि कोई स्त्री शिक्षित है तो अपने पति के मरणोपरान्त अपने परिवार
के भरण-पोषण के लिये पैसे कमा सकती है। परन्तु वह स्त्री यदि अक्षिक्षित है तो दर
दर की ठोकरें खाती फिरेगी, लेकिन कहीं भी उन्हें दो जून खाना भी नसीब होगा
या नहीं पता नहीं।
आज के इस दौर मे
हर इंसान चाहता है कि उसके घर मे हमेशा खुशियां छायी रहे तो इसके लिये स्त्री
शिक्षा की आवश्यकता है। जिस घर में पत्नियां, और माताएं सुशिक्षित है
उनका घरेलू जीवन काफी सुव्यवस्थित और सुन्दर है। कभी भी आपस मे द्वेष की संभावनाएं
वहां नहीं रहती। आज लडाई झगडे उन्हीं घरों
मे हाती है जिस घर की महिलाएं शिक्षित न हों सभी अशिक्षित ही हों। परन्तु जहां सभी
शिक्षित होते है वहां ऐसी बातें नहीं पायी जाती हैं। आज यदि महिलाएं शिक्षित रहे
तो अपने बच्चों का पालन पोषण ठीक ढंग से कर सकती है और, साथ ही अपने देश का भविष्य भी उज्जवल कर सकती हैं। शिक्षा महिलाओं के विचारों
की स्वतंत्रता प्रदान करती है। यह उनका दृष्टिकोण उदार बनाता है और उनके कर्तव्यों
और दायित्वों को ज्ञान कराती है।
’’ स्त्रियों को डिग्रियां
प्राप्त करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये। ’’ आज भी बहुत से लोग ऐसा
कहते फिरते हैं। लेकिन उनका यह कथन सरासर गलत है- क्योंकि महिलाओं ने जीवन के सभी
क्षेत्रों मे अपना महत्व प्रदर्शित कर दिया है। कोई कारण नहीं है कि महिलाओं को
वैसी शिक्षा नहीं मिलनी चाहिये जो पुरूषों को मिलती है। लेकिन साथ साथ महिलाओं को
अपने घर की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिये। इसिलिये आज की नारी के लिये अनेक प्रकार
की शिक्षा की व्यवस्था की गयी है। जसै - गृह विज्ञान और बाल मनोविज्ञान। गृह
विज्ञान मे घर कीउन तमाम बातों की जानकारी दी जाती है जो एक गृहणी के लिये आवश्यक
है और बाल मनोविज्ञान मे, यह बताया जाता है कि स्त्री जो मां बनती है तो
उनका क्या क्या कर्तव्य होता है। अपने
लिये, अपने परिवार के लिये और अपने बच्चो के लिये। अतः स्त्रीको इसका ज्ञान होना
आवश्यक है।
किसी भी देश की
प्रगति आज स्त्री शिक्षा पर ही निर्भर है, क्योंकि पढी लिखी स्त्री
यह समझ सकती है कि स्त्री का सही रूप क्या है। वह कभी न कहेगी या मानेगी कि ’’ स्त्री सिर्फ बच्चा पैदा करने वाली मशीन मात्र है ’’ बल्कि और भी बहुत सारी समस्याओं का समाधान कर सकती है। परन्तु यदि स्त्री पढी
लिखी न होगी तो वह कुछ भी नहीं कर सकती है और वह सिर्फ बच्चा पैदा करने वाली मशीन
बन कर घर मे बैठी रहेगी ओर अपने पति देव के इशारे पर नाचती रहेगी।
आज तमाम
स्त्रियों को शिक्षित होना इसीलिय आवश्यक है तथा इसके लिये सबों को चाहिये कि वह
स्त्रियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करें। ताकि स्त्री, शिक्षा प्राप्ति की ओर अग्रसर रहें।
:- समाप्त :-
सम्पर्क सूत्र:-राजेश
कुमार, पत्रकार, राजेन्द्र नगर, बरवाडीह, गिरिडीह 815301 झारखंड
मो- 9308097830 /9431366404
ई-मेल -patrakarrajesh@gmail.com
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