रविवार, 24 फ़रवरी 2019

25 फरवरी से कोडरमा- गिरिडीह रेलखण्ड पर दौड़ेगी ट्रेन, होगी गिरिडीह वासियों की वर्षों की सपना पूर्ण

गिरिडीह वासियों की वर्षों का सपना होगा पूर्ण

25 फ़रवरी से गिरिडीह- कोडरमा रेलखण्ड पर दौड़ेगी एकजोड़ी ट्रेन

मिलेगी गिरिडीह से मधुपुर के लिए एक नयी ट्रेन की सौगात

25 फ़रवरी से एक ट्रेन मधुपुर तक और दूसरी ट्रेन इस रेलखण्ड पर महेशमुण्डा तक दौड़ेगी।

कोडरमा-मधुपुर ट्रेन कोडरमा से दोपहर 2:30 बजे खुलेगी और शाम 5:18 बजे न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन पहुंचेगी।

और, 5:19 बजे न्यू गिरिडीह से खुलकर 6:35 बजे मधुपुर जंक्शन पहुंचेगी।

वंही यह ट्रेन शाम 7:00 बजे मधुपुर जंक्शन से खुलकर 8:07 बजे न्यू गिरिडीह स्टेशन पहुंचेगी और 8:08 बजे न्यू गिरिडीह से खुलकर रात्रि 11:25 बजे कोडरमा पहुंचेगी।

वंही कोडरमा-महेशमुंडा पैसेंजर ट्रेन कोडरमा से सुबह 5:45 बजे खुलेगी और 8:24 बजे न्यू गिरिडीह पहुंचेगी।
8:25 बजे न्यू गिरिडीह से खुलकर 8:45 बजे महेशमुण्डा जंक्सन पहुंचेगी।

जबकि 9:15 बजे महेशमुण्डा से खुलकर यह ट्रेन 9:25 बजे न्यू गिरिडीह और दोपहर 12:25 बजे कोडरमा पहुंचेगी।

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

पुण्यतिथि पर कायस्थ शिरोमणि शास्त्री जी को शत शत नमन

देश के दूसरे प्रधानमंत्री भारत रत्न कायस्थकुल भूषण लाल बहादुर शास्त्री की पूण्यतिथि आज
पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रधांजलि व शत शत नमन

शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कई संकटों से उबारा. साफ-सुथरी छवि के कारण उनका बहुत सम्मान किया जाता था.
1964 में जब वह* *प्रधानमंत्री बने तब देश में खाने कई चीजें आयात करनी पड़ती थी.1965 में पाकिस्तान से जंग के दौरान देश में भयंकर सूखा पड़ा. तब उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की. उन्होंने कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए जय जवान जय किसान' का नारा दिया.
नेहरू के देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया।उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया।उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तानको करारी शिकस्त दी।
इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी।
जिस रात शास्त्री की मौत हुई, उस रात खाना उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं, बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था. खाना खाकर शास्त्री सोने चले गए थे. उनकी मौत के बाद शरीर के नीला पड़ने पर लोगों ने आशंका जताई थी कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था. उनकी मौत 10-11 जनवरी की आधी रात को हुई थी.

उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

देश के उस वीर सपुत को शत शत नमन व भावपूर्ण श्रद्धांजलि

मंगलवार, 8 जनवरी 2019

देश के 202 रेलवे स्टेशनों पर होगी हाई सिक्युरिटी, यात्रियों को गहन जांच प्रक्रिया से होगा गुजरना

202 स्टेशनों पर ट्रेन पकड़ने 20 मिनट पहले पहुंचना होगा जरूरी, आंतरिक सुरक्षा होगी चुस्त-दुरुस्त


देश के 202 रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को ट्रेन पकड़ने के लिए 20 मिनट पहले पहुंचना होगा. क्योंकि अब एयरपोर्ट के तर्ज पर ही रेलवे स्टेशनों पर भी जांच की प्रक्रिया जाएगी. बता दें कि रेलवे ने 26/11 मुंबई हमले के बाद एक रेलवे समिति बनाई थी, जो ये बता सके कि स्टेशनों की आंतरिक सुरक्षा कैसे हो? उसी रिपोर्ट के आधार पर रेलवे ने 202 स्टेशन का चयन किया है, जहां हाई लेवल सिक्योरिटी इक्विपमेंट लगेंगे और गलत तरीके से खोले गए एंट्री-एग्जिट प्वाइंट बंद किए जाएंगे.

उन रेलवे स्टेशनों की लिस्ट इस प्रकार है:


सेंट्रल रेलवेः भुसावल, नासिक रोड, मनमाड़, जलगांव, अकोला, मुर्तजापुर, बाड़नेरा, नागपुर, पुणे, मिराज, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, दादर, कुर्ला, लोकमान्य तिलक टर्मिनल, ठाणे, कल्याण

ईस्टर्न रेलवेः मालदा, वर्धमान, आसनसोल, दुर्गापुर, सियालदाह, कोलकाता, दमदम, हावड़ा

कोलकाता मेट्रोः दमदम जंक्शन, गिरीश पार्क, महात्मा गांधी रोड, सेंट्रल, चांदनी चौक, पार्क स्ट्रीट, मेडन, रबीन्द्र सदन, नेताजी भवन, जतिनदास पार्क, कालीघाट, रबीन्द्र सरोबर

ईस्टर्न सेंट्रेल रेलवेः धनबाद, मुगलसराय, पटना जंक्शन, राजेन्द्र नगर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, रक्सॉल

ईस्ट कॉल्ट रेलवेः पुरी, कटक, भुवनेश्वर, विशाखापटनम

नॉर्दन रेलवेः नई दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, फैजाबाद, अयोध्या, श्रीनगर, बड़गाम, अनंतनाग, जम्मू-तवी, ऊधमपुर, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, अंबाला, सहारनपुर, कालका, भटिंडा, चंडीगढ़, पटियाला, बरेली, मुरादाबाद, हरिद्वार, पंजगांव, अवंतीपुर, काकापुर, दिल्ली कैंट, निजामुद्दीन, आनंदविहार, गाजियाबाद

नॉर्थ सेंट्रल रेलवेः आगरा, मथुरा, झांसी, कानपुर, प्रयागराज

नॉर्थ ईस्टर्न रेलवेः लखनऊ, गोरखपुर, छपरा

नॉर्थ फ्रंटियर रेलवेः गुवाहटी, दीमापुर, न्यू जलपाईगुड़ी, लम्डिंग, मेबॉन्ग, कटिहार, किशनगंज, सिलीगुड़ी, कोकराझार, डिब्रूगढ़, जोरहट टाउन

नॉर्थ वेस्टर्न रेलवेः जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर

सदर्न रेलवेः त्रिवेंद्रम, एर्नाकुलम, कोयंबटूर, मदुरै, कालीकट, तिरुचरापल्ली, मैंगलोर, चेन्नई सेंट्रल, चेन्नई, बीच, मांबालम, टंबारम, बेसिन ब्रिज, त्रिवल्लूर

साउथ सेंट्रल रेलवेः सिकंद्राबाद, हैदराबाद, तिरुपति

साउथ ईस्टर्न रेलवेः खड़गपुर, रांची, टाटानगर, राउरकेला, बोकारो, पुरुलिया, अदरा, मुरी, मिदनापुर

साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवेः बिलासपुर, रायपुर, गोन्डिया

साउथ वेस्टर्न रेलवेः बैंगलुरु, यशवंतपुर, मैसूर

वेस्ट सेंट्रल रेलवेः भोपाल और इटारसी

वेस्टर्न रेलवेः सूरत, वडोदरा, गोधरा, अहमदाबाद, उज्जैन, चर्चगेट, मरीन ड्राइव, चर्नी रोड, ग्रांट रोड, मुंबई सेंट्रल, महालक्ष्मी, लोअर परेल, प्रभादेवी, दादर, माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, बाद्रा टर्मिनल, खार रोड, सांताक्रूज, विले पार्ले, अंधेरी, जोगेश्वरी, गोरेगांव, मालाड, कांदिबली, दहिसर, मीरा रोड, भायंदर, नयागांव, वसई रोड, नाला सोपारा, विरार, पालघर, बोइसर.


सोमवार, 7 जनवरी 2019

महज़ जुमलेबाजी बनकर ना रह जाये सवर्ण आरक्षण बिल

सवर्ण आरक्षण बिल को पारित करने के लिए मोदी सरकार के पास है सिर्फ एक दिन

महज़ जुमलेबाजी बनकर ना रह जाये सवर्ण आरक्षण बिल। क्योंकि मोदी सरकार के पास सवर्णों को आरक्षण देने का विधेयक पारित करने के लिए सिर्फ एक दिन का समय है। कल यानी आठ जनवरी को संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है। सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के कैबिनेट में लिए गए फैसले को कानूनी जामा पहनाने के लिए कल का ही वक्त सरकार के पास है। ऐसे में संसद खुलते ही सरकार को लोकसभा में आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के लिए संशोधन विधेयक पेश करना होगा।

लोकसभा में बहुमत है तो सरकार कुछ ही समय में विधेयक पास करा ले जाएगी। फिर क्या यह विधेयक राज्यसभा में भी उसी दिन पास हो पाएगा? वह भी तब, जबकि सरकार के पास उच्च सदन में बहुमत नहीं है। इस प्रस्ताव को संविधान सभा को भेजने की विपक्ष मांग उठा सकता है। जिससे देरी लग सकती है। हालांकि सियासी जानकार बताते हैं कि कांग्रेस सहित कई दल चुनावी सीजन में इसका सपोर्ट भी कर सकते हैं, क्योंकि अगड़ी जातियों को वे भी नाराज नहीं कर सकते।

फिर भी संसद के एक ही कार्यदिवस में इतने बड़े प्रस्ताव के पास होने की उम्मीद कम है। इसके लिए या तो कल चर्चा के दौरान संसद को देर शाम तक गतिशील किया जा सकता है या फिर 11 दिसंबर से आठ जनवरी के शीतकालीन सत्र को दो से तीन दिन बढ़ाने का फैसला हो सकता है। इसके अलावा सरकार के पास कोई चारा नहीं है।


लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सरकार को याद आये सवर्ण

सरकार ने लिया बड़ा फैसला, आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण

केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक खेला है! मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि वह सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देगी। सोमवार को मोदी कैबिनेट की हुई बैठक में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगाई गई। कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में मंगलवार को मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है। सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार संविधान में संशोधन के लिए बिल ला सकती है।

सरकार के इस बड़े फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलना चाहिए. पीएम मोदी की नीति है कि सबका साथ सबका विकास। सरकार ने सवर्णों को उनका हक दिया है। पीएम मोदी देश की जनता के लिए काम कर रहे हैं।

मालूम हो कि करीब दो महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। हाल ही में संपन्न हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार हुई थी। इस हार के पीछे सवर्णों की नाराजगी को अहम वजह बताया जा रहा है।

रविवार, 16 दिसंबर 2018

पूंजीपतियों की पक्षधर है मोदी सरकार

मोदी सरकार गरीबों की नहीं पूंजीतियों की है पक्षधर  

 गरीब कर रहे हैं त्राहि-त्राहि 


यह मोदी सरकार पूंजीपतियों का पालक और पोषक है।इसके कई उदाहरण है।मेरी यह बात अंधभक्तों को नागवार गुजरेगी।कोई बात नहीं
अंधभक्तों जरा मेरे इस तथ्य पर गौर जरूर करेंगे। उसके बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देंगे।

यह सरकार पूंजीपतियों का पोषक है ? कैसे।
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पूर्व की सभी सरकारों ने गरीब के हित को ध्यान में रखा। कभी भी उसे फजीहत में नही डाला। यँहा तक की अटल_बिहारी_बाजपेयी_की_सरकार_ने_भी।
                 लेकिन मोदी सरकार ने कभी भी गरीबों का ध्यान नहीं रखा। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा रही है। बीते साढ़े चार वर्षों में गरीबों पर पहाड़ तोड़ कर रख दिया है।

              सुदूर ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्र में जितनी भी मोबाइल कम्पनियां कार्यरत है उसका नेटवर्क भगवान भरोसे चल रहा है। उन सभी मोबाइल कम्पनियो के मालिक पूंजीपति है।
BSNL (सरकारी) की स्थिति भी ठीक नहीं है।
नतीजतन उपभोक्ता एक या दो कम्पनियो का ग्राहक बन गया है। ताकि एक कम्पनी के नेटवर्क की खराबी के बाद भी उनका सम्पर्क देश दुनियां से बना रहे।
     पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में इसके लिए उपभोक्ताओं को इसके लिए कोई अत्यधिक बोझ उठाना नही पड़ता था।

लेकिन मोदी_राज में स्थिति काफी विपरीत हो गयी है।

1. मोबाइल कम्पनियों ने 30 दिनों के बदले 28 दिन का महीना बना दिया।
2. अब हर अलग-अलग नेटवर्क कम्पनियों के नम्बर की वेलिडिटी मात्र 28 दिनों की हो गयी है। जबकि पूर्व में ऐसा नहीं था।
3. हर नेटवर्क के नम्बर की जीवित रखने के लिए अब कम से कम 35/-₹ या उससे अधिक की राशि प्रति नम्बर हर 28 दिनों के लिए देना अनिवार्य हो गया है।
                             यदि आप यह राशि नहीं देते है। तो आपके नम्बर पर न तो कोई आउटगोइंग की और न ही इनकमिंग की सुविधा रहेगी। जबकि पहले ऐसा नहीं था।

#अंधभक्तों_जरा_गौर_करेंगे!!!!!!
           अभी भी काफी संख्या में ऐसे मोबाइल धारक है। जो सिर्फ अपने काम से मतलब रखने के लिए मोबाइल का उपयोग करते है।
          कई ऐसे उपभोक्ता है जो सिर्फ मिस कॉल करके ही अपना काम चला लेते थे।
           कई उपभोक्ता अब भी ऐसे है जो महीने में एक या दो बार ही मोबाइल का उपयोग करते हैं। बाकी समय वह अपने निजी कामों में व्यस्त रहते हैं। लेकिन देश-दुनियां-परिवार-समाज के सम्पर्क में बने रहने के लिए मोबाइल का प्रयोग करते है।

जिनपर #मोदी_सरकार ने अतिभार लगा दिया है।

यह तो महज एक बानगी मात्र है। और भी मुद्दे हैं।
 जिस कारण मोदी_राज_में_आम_गरीब_त्राहि_त्राहि_कर रहे हैं।
जिसके दर्द को समझने की जरूरत है।



बुधवार, 5 दिसंबर 2018

ट्रेन के हर डिब्बे पर लिखे नम्बर में छिपा है एक रहस्य


ट्रेन के हर डिब्बों पर लिखे  5 अंकों के नंबरों का मतलब क्या होता है .. आइये जाने

       हमारे देश में ट्रेनें यातायात का मुख्य साधन है। भारत में हर रोज लाखों लोग ट्रेन में सफर करने है यहां गरीब से लेकर अमिर तक बच्चों से लेकर बुड्ढों तक इस में हर वर्ग के लोग रेल के सफर का आनंद लेते हैं दरअसल रेल की यात्रा अपने आप में बहुत रोमांचक होती है।

आपने भी कभी ना कभी रेल में यात्रा की ही होगी लेकिन क्या आपने ट्रेन पर लिखी कुछ जानकारियां को नोटिस किया है, आपको बता दें कि सभी ट्रेनों पर कई सारी महत्वपूर्ण जानकारियां लिखी होती हैं जो बहुत काम की होती हैं लेकिन इन पर लोग बहुत कम ध्यान देते हैं और इन से अभी तक बहुत लोग अंजान है। ट्रेन के सफर के दौरान आपने देखा होगा कि हर रेल पर 5 नंबर लिखे होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इन नंबरों के लिखने के पीछे क्या कारण है, दरअसल ये नंबर एक बहुत ही खास वजह से लिखे जाते हैं जिनसे हम उस ट्रेन के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आज हम आपको ट्रेन पर लिखें जाने वाले इन्हीं नंबरों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आईये जानते हैं।

जो ट्रेन 0 नंबर से शुरू होती है वह ट्रेन स्पेशल होती है। दरअसल यह ट्रेन किसी खास मौके या किसी बड़े त्यौहार जैसे होली या दिवाली के समय चलाई जाती है। इसके अलावा किसी पूजा स्थल पर श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के लिए ये ट्रेन चलती हैं। जो ट्रेन 1 नंबर से शुरू होती है वह लम्बे रूट के लिए चलाई जाती है, जो की एक्सप्रेस ट्रेन होती है और इसको छोटे स्टेशनों पर नहीं रोका जाता यह सिर्फ बड़े शहरों में रूकती है।

जो ट्रेन 2 नंबर से शुरू होती है वह भी लंबी दूरी की ट्रेन को दर्शाता है। इसलिए 1 और 2 नंबर से शुरू होने वाली दोनों ही ट्रेन लंबे रूट के लिए जानी जाती है जो ट्रेन 3 नंबर से शुरू होती है वह कोलकाता सब अर्बन ट्रेन के बारे में जानकारी देती है। 4 नबंर से शुरू होने वाली ट्रेनें चेन्नई, नई दिल्ली, सिकंदराबाद सहित जो अन्य मेट्रो सिटीज है उनको दर्शाती है।

नंबर 5 से शुरू होने वाली ट्रेन कन्वेंशनल कोच वाली पैसेंजर ट्रेन होती है। नंबर 6 वाली ट्रेनें मेमू ट्रेन होती है। नंबर 7 से शुरू होने वाली ट्रेन डूएमयू और रेलकार सर्विस के लिए होती है। नंबर 8 से शुरू होने वाली ट्रेनें हमें मौजूदा समय में आरक्षित स्थिति के बारे में जानकारी देती है। नंबर 9 से शुरू होने वाली ट्रेनें मुंबई क्षेत्र की सब-अर्बन ट्रेनों के बारे में बताती है।

तो आपको अब पता लग गया होगा की ट्रेनों पर ये नंबर क्यों लिखे होते हैं अगली बार आप जब कभी अपने परिवार या मित्रों के साथ ट्रेन में सफर करने के लिए जाएं तो आप इन नंबरों को देखकर आसानी से पता लगा सकेंगे की कौन सी ट्रेन किस से संबंधित हैं और अपने दोस्तों को भी इस बारे में बताकर उनके सामने स्मार्ट बन सकते हो। आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी जरूर करें ताकी और लोगों को भी इस बारे में पता लग सके।

मंगलवार, 27 नवंबर 2018

रसोई गैस की सब्सिडी राशि भुगतान मामले में होगा बदलाव

     रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को देखते हुए गैस सब्सिडी की राशि मामले में सरकार ने लिया अहम फैसला

* सब्सिडी राशि खाते में जमा करने की व्यवस्था में बदलाव करने का सरकार ने लिया फैसला 



नई दिल्ली: रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने सब्सिडी की राशि खाते में जमा करने की व्यवस्था में बदलाव करने का फैसला किया है। सरकार ने यह फैसला कई ग्राहकों को एकमुश्त राशि चुकाने में आ रही दिक्कतों को देखकर लिया है।

अब उपभोक्ताओं को सब्सिडी की कीमत में ही गैस सिलिंडर मिलेगा और सब्सिडी की राशि का भुगतान सरकार ग्राहकों को करने  के बजाय सीधे पेट्रोलिम कंपनियों को करेगी।

जानकारी के अनुसार पेट्रोलियम मंत्रालय गैस सिलिंडर की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सब्सिडी देने के लिए जल्द नया तरीका अपनाने की तैयारी में है। इसके लिए गैस सब्सिडी का नया सॉफ्टवेर बनाया जा रहा है। इसके तहत गैस उपभोक्ताओं को सिलिंडर की सिर्फ सब्सिडी कीमत ही देनी होगी।

 वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि डीबीटी के नए तरीके में गैस बुक होने के बाद उपभोक्ता के मोबाइल पर एसएमएस के जरिए एक कोड भेजा जाएगा।  गैस सिलिंडर आने पर उपभोक्ता को वह कोड दिखाना होगा।  इसके बाद सरकार सब्सिडी की राशि सीधे कंपनी को भुगतान करेगी।  ऐसे में उपभोक्ता को सिर्फ गैस सिलिंडर के सब्सिडी के दाम ही चुकाने होंगे।

मालूम हो कि सरकार पहले ही उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 14.2 किलो के सिलिंडर के बजाय सुविधानुसार पांच किलो के सिलिंडर बुक करने का विकल्प दिया है। इस बदलाव के कारण पहले जहां गैस उपभोक्ताओं को दिल्ली में 942.50 रूपए चुकाने होते थे। वहीं अब 507.42 रूपए चुकाने होंगे।

साथ ही डीबीटी के इस नए तरीके से गैस एजेंसियों और उपभोक्ता की मिलीभगत पर भी लगाम लगेगी। इसकी शुरुआत उज्ज्वला योजना के तहत की जाएगी।

शनिवार, 17 नवंबर 2018

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर चंद पंक्तियाँ पत्रकार के नाम

"पत्रकार" कहलाता हूँ..!! 

खबर  रोज बनाता हूँ..,
कलम और कैमरा से लोगों का हाल बताता हूँ..,,
गमगीन हूँ, हालात से लड़ता हूँ..,
दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा बनाता हूँ..,
दो लफ्ज़ लिखकर दुनिया बदलने की कोशिश करता हूँ..,,
फिर भी लोगों की नज़र में खटकता हूँ..,
शायद कुछ नही हूँ..,,
पर चार अक्षर का नाम हैं मेरा..,
"पत्रकार" कहलाता हूँ..!!

न कलम बिकती हैं न कलमकार बिकता है
खबरों के गुलदस्ते से अखबार बिकता है।।
क्यो सोंच की तंग गलियों से निकलते नही
सराफत के बाजार में हाल चाल बिकता है।।
दुनिया ने कभी पलट कर पूछा हो तो बताओ
बस कह कर रह जाते हो पत्रकार बिकता है।।
कितना जलकर देते हैं दुनिया भर की खबर
कलेजे वाला इंसान ही अखबार और टीवी चैनल में टिकता है.

राजेश कुमार
   "पत्रकार"
गिरिडीह।(झारखण्ड)

शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

अक्षय फल देनेवाली है अक्षय नवमी

"अक्षय फल देनेवाली है अक्षय नवमी"

भारतीय सनातन पद्धति में पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा आँवला नवमी की पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर पुण्य फलदायी होती है। जिसके चलते कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आँवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।

आँवला नवमी को अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है। अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है | इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व  है | पूजन में कर्पूर या घी के दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए तथा निम्न मंत्र बोलते हुये इस वृक्ष की प्रदक्षिणा करने का भी विधान है ।

प्रदक्षिणा मंत्र :
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च |तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ||

इसके बाद आँवले के वृक्ष के नीचे पवित्र ब्राम्हणों व सच्चे साधक-भक्तों को भोजन कराके फिर स्वयं भी करना चाहिए | घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगा के अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष के नीचे पूजन कर सकते है | कई आश्रमों में आँवले के वृक्ष लगे हुये हैं | इस पुण्यस्थलों में जाकर भी आप भजन-पूजन का मंगलकारी लाभ ले सकते हैं |

इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। कहा जाता है कि आंवला भगवान विष्णु का पसंदीदा फल है। आंवले के वृक्ष में समस्त देवी-देवताओं का निवास होता है। इसलिए इसकी पूजा करने का विशेष महत्व होता है।


आँवला नवमी की कथा:-

पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए आँवला पूजा के महत्व के विषय में प्रचलित कथा के अनुसार एक युग में किसी वैश्य की पत्नी को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही थी। अपनी पड़ोसन के कहे अनुसार उसने एक बच्चे की बलि भैरव देव को दे दी। इसका फल उसे उल्टा मिला। महिला कुष्ट की रोगी हो गई।

इसका वह पश्चाताप करने लगे और रोग मुक्त होने के लिए गंगा की शरण में गई। तब गंगा ने उसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आँवला के वृक्ष की पूजा कर आँवले के सेवन करने की सलाह दी थी।

जिस पर महिला ने गंगा के बताए अनुसार इस तिथि को आँवला की पूजा कर आँवला ग्रहण किया था, और वह रोगमुक्त हो गई थी। इस व्रत व पूजन के प्रभाव से कुछ दिनों बाद उसे दिव्य शरीर व पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, तभी से हिंदुओं में इस व्रत को करने का प्रचलन बढ़ा। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है।

व्रत की पूजा का विधान:-


नवमी के दिन महिलाएं सुबह से ही स्नान ध्यान कर आँवला के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में मुंह करके बैठती हैं।इसके बाद वृक्ष की जड़ों को दूध से सींच कर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटा जाता है।तत्पश्चात रोली, चावल, धूप दीप से वृक्ष की पूजा की जाती है।महिलाएं आँवले के वृक्ष की १०८ परिक्रमाएं करके ही भोजन करती हैं।



गुरुवार, 15 नवंबर 2018

अपना कोई नहीं

एक कविता :
              "अपना कोई नहीं"


"अपना कोई नहीं"

जो लेख लिखे हमारे कर्मों ने
उस लेख के आगे कोई नहीं।

केवल कर्म ही अपना संगी है
मुसीबत में अपना कोई नहीं।

सीता के रखवाले राम थे
जब हरण हुआ तब कोई नहीं।

द्रौपदी के पाँच पाण्डव थे
जब चीर हरा तब कोई नहीं।

दशरथ के चार दुलारे थे
जब प्राण तजे तब कोई नहीं।

रावण भी शक्तिशाली थे
जब लंका जली तब कोई नहीं।

श्री कृष्ण सुदर्शनधारी थे
जब तीर लगा तब कोई नही।

लक्ष्मण भी भारी योद्धा थे
जब शक्ति लगी तब कोई नहीं।

शरशैय्या पर पड़े पितामह
पीड़ा का सांझी कोई नहीं।

अभिमन्यु राजदुलारे थे
पर चक्रव्यूह में कोई नहीं।

सच यही है दुनिया वालो
सँसार में अपना कोई नहीं।

कुलदेवता और कुलदेवी की पुजा जरूरी क्यों ? जानिये।

कुलदेवता, कुलदेवी की पुजा करना क्यों जरूरी है ?


भारत में हिन्दू पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुलदेवता / कुलदेवी का स्थान सदैव से रहा है। प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं। जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है, बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया। 

विभिन्न कर्म करने के लिए, जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गया और जाति कहा जाने लगा। हर जाति वर्ग, किसी न किसी ऋषि की संतान है और उन मूल ऋषि से उत्पन्न संतान के लिए वे ऋषि या ऋषि पत्नी कुलदेव / कुलदेवी के रूप में पूज्य भी हैं। जीवन में कुलदेवता का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। आर्थिक सुबत्ता, कौटुंबिक सौख्य और शांती तथा आरोग्य के विषय में कुलदेवी की कृपा का निकटतम संबंध पाया गया है।

पूर्व के हमारे कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था, ताकि एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहे जिससे उनकी नकारात्मक शक्तियों - ऊर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह उन्नति करते रहें।

कुलदेवी - देवता दरअसल कुल या वंश की रक्षक देवी देवता होते है। ये घर परिवार या वंश परम्परा की प्रथम पूज्य तथा मूल अधिकारी देव होते है। सर्वाधिक आत्मीयता के अधिकारी इन देवो की स्थिति घर के बुजुर्ग सदस्यों जैसी महत्वपूर्ण होती है। अत: इनकी उपासना या महत्त्व दिए बगैर सारी पूजा एवं अन्य कार्य व्यर्थ हो सकते है।

 इनका प्रभाव इतना महत्वपूर्ण होता है की यदि ये रुष्ट हो जाए तो अन्य कोई देवी देवता दुष्प्रभाव या हानि कम नही कर सकता या रोक नही लगा सकता। इसे यूं समझे – यदि घर का मुखिया पिताजी - माताजी आपसे नाराज हो तो पड़ोस के या बाहर का कोई भी आपके भले के लिये, आपके घर में प्रवेश नही कर सकता क्योकि वे “बाहरी” होते है। खासकर सांसारिक लोगो को कुलदेवी देवता की उपासना इष्ट देवी देवता की तरह रोजाना करना ही चाहिये।

ऐसे अनेक परिवार देखने मे आते है जिन्हें अपने कुल देवी देवता के बारे में कुछ भी नही मालूम नही होता है। किन्तु कुलदेवी - देवता को भुला देने मात्र से वे हट नही जाते, वे अभी भी वही रहेंगे।

यदि मालूम न हो तो अपने परिवार या गोत्र के बुजुर्गो से कुलदेवता - देवी के बारे में जानकारी लेवें, यह जानने की कोशिश करे की झडूला - मुण्डन संस्कार आपके गोत्र परम्परानुसार कहा होता है, या “जात” कहा दी जाती है, या विवाह के बाद एक अंतिम फेरा (५,६,७ वां) कहा होता है। हर गोत्र - धर्म के अनुसार भिन्नता होती है. सामान्यत: ये कर्म कुलदेवी / कुलदेवता के सामने होते है और यही इनकी पहचान है।

समय क्रम में परिवारों के एक दुसरे स्थानों पर स्थानांतरित होने, धर्म परिवर्तन करने, आक्रान्ताओं के भय से विस्थापित होने, जानकार व्यक्ति के असमय मृत होने, संस्कारों के क्षय होने, विजातीयता पनपने, इनके पीछे के कारण को न समझ पाने आदि के कारण बहुत से परिवार अपने कुल देवता / देवी को भूल गए अथवा उन्हें मालूम ही नहीं रहा की उनके कुल देवता / देवी कौन हैं या किस प्रकार उनकी पूजा की जाती है। इनमें पीढ़ियों से शहरों में रहने वाले परिवार अधिक हैं, कुछ स्वयंभू आधुनिक मानने वाले और हर बात में वैज्ञानिकता खोजने वालों ने भी अपने ज्ञान के गर्व में अथवा अपनी वर्त्तमान अच्छी स्थिति के गर्व में इन्हें छोड़ दिया या इन पर ध्यान नहीं दिया।

कुल देवता / देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई ख़ास अंतर नहीं समझ में आता, किन्तु उसके बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं, नकारात्मक ऊर्जा, वायव्य बाधाओं का बेरोक - टोक प्रवेश शुरू हो जाता है, उन्नति रुकने लगती है, पीढ़िया अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाती, संस्कारों का क्षय, नैतिक पतन, कलह, उपद्रव, अशांति शुरू हो जाती हैं, व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है, कारण जल्दी नहीं पता चलता क्योकि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इनका बहुत मतलब नहीं होता है, अतः ज्योतिष आदि से इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है, भाग्य कुछ कहता है और व्यक्ति के साथ कुछ और घटता है।

कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा, नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं, यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय समय पर सचेत करते रहते हैं, यही किसी भी ईष्ट को दी जाने वाली पूजा को इष्ट तक पहुचाते हैं, यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है तो यह नाराज भी हो सकते हैं और निर्लिप्त भी हो सकते हैं, ऐसे में आप किसी भी इष्ट की आराधना करे वह उस इष्ट तक नहीं पहुँचता, क्योकि सेतु कार्य करना बंद कर देता है, बाहरी बाधाये, अभिचार आदि, नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा व्यक्ति तक पहुचने लगती है, कभी कभी व्यक्ति या परिवारों द्वारा दी जा रही इष्ट की पूजा कोई अन्य बाहरी वायव्य शक्ति लेने लगती है, अर्थात पूजा न इष्ट तक जाती है न उसका लाभ मिलता है।


 ऐसा कुलदेवता की निर्लिप्तता अथवा उनके कम शशक्त होने से होता है। कुलदेव परम्परा भी लुप्तप्राय हो गयी है, जिन घरो में प्राय: कलह रहती है, वंशावली आगे नही बढ रही है, निर्वंशी हो रहे हों, आर्थिक उन्नति नही हो रही है, विकृत संताने हो रही हो अथवा अकाल मौते हो रही हो, उन परिवारों में विशेष ध्यान देना चाहिए।

कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति के पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं और पूजा पद्धति, उलटफेर, विधर्मीय क्रियाओं अथवा पूजाओं से रुष्ट हो सकते हैं, सामान्यतया इनकी पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर होती है, यह परिवार के अनुसार भिन्न समय होता है और भिन्न विशिष्ट पद्धति होती है, शादी - विवाह, संतानोत्पत्ति आदि होने पर इन्हें विशिष्ट पूजाएँ भी दी जाती हैं, यदि यह सब बंद हो जाए तो या तो यह नाराज होते हैं या कोई मतलब न रख मूकदर्शक हो जाते हैं और परिवार बिना किसी सुरक्षा आवरण के पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है, परिवार में विभिन्न तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं, अतः प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को अपने कुल देवता या देवी को जानना चाहिए तथा यथायोग्य उन्हें पूजा प्रदान करनी चाहिए, जिससे परिवार की सुरक्षा - उन्नति होती रहे।

अक्सर कुलदेवी, देवता और इष्ट देवी देवता एक ही हो सकते है, इनकी उपासना भी सहज और तामझाम से परे होती है। जैसे नियमित दीप व् अगरबत्ती जलाकर देवो का नाम पुकारना या याद करना, विशिष्ट दिनों में विशेष पूजा करना, घर में कोई पकवान आदि बनाए तो पहले उन्हें अर्पित करना फिर घर के लोग खाए, हर मांगलिक कार्य या शुभ कार्य में उन्हें निमन्त्रण देना या आज्ञा मांगकर कार्य करना आदि। इस कुल परम्परा की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की यदि आपने अपना धर्म बदल लिया हो या इष्ट बदल लिया हो तब भी कुलदेवी देवता नही बदलेंगे, क्योकि इनका सम्बन्ध आपके वंश परिवार से है।

किन्तु धर्म या पंथ बदलने सके साथ साथ यदि कुलदेवी - देवता का भी त्याग कर दिया तो जीवन में अनेक कष्टों का सामना करना पद सकता है जैसे धन नाश, दरिद्रता, बीमारिया, दुर्घटना, गृह कलह, अकाल मौते आदि। वही इन उपास्य देवो की वजह से दुर्घटना बीमारी आदि से सुरक्षा होते हुवे भी देखा गया है।

ऐसे अनेक परिवार भी मैंने देखा है जिन्हें अपने कुल देवी देवता के बारे में कुछ भी नही मालूम। एक और बात ध्यान देने योग्य है - किसी महिला का विवाह होने के बाद ससुराल की कुलदेवी / देवता ही उसके उपास्य हो जायेंगे न की मायके के। इसी प्रकार कोई बालक किसी अन्य परिवार में गोद में चला जाए तो गोद गये परिवार के कुल देव उपास्य होंगे।

कुलदेवी / कुलदेवता के पूजन की सरल विधि :-

1. जब भी आप घर में कुलदेवी की पूजा करे तो सबसे जरूरी चीज होती है पूजा की सामग्री। पूजा की सामग्री इस प्रकार ही होना चाहिये - ४ पानी वाले नारियल, लाल वस्त्र, 10 सुपारिया, 8 या 16 श्रंगार कि वस्तुये, पान के 10 पत्ते, घी का दीपक, कुंकुम, हल्दी, सिंदूर, मौली, पांच प्रकार की मिठाई, पूरी, हलवा, खीर, भिगोया चना, बताशा, कपूर, जनेऊ, पंचमेवा।

2. ध्यान रखे जहा सिन्दूर वाला नारियल है वहां सिर्फ सिंदूर ही चढ़े बाकि हल्दी कुंकुम नहीं। जहाँ कुमकुम से रंग नारियल है वहां सिर्फ कुमकुम चढ़े सिन्दूर नहीं।

3. बिना रंगे नारियल पर सिन्दूर न चढ़ाएं, हल्दी - रोली चढ़ा सकते हैं, यहाँ जनेऊ चढ़ाएं, जबकि अन्य जगह जनेऊ न चढ़ाए।

4. पांच प्रकार की मिठाई ही इनके सामने अर्पित करें। साथ ही घर में बनी पूरी - हलवा - खीर इन्हें अर्पित करें।

5. ध्यान रहे की साधना समाप्ति के बाद प्रसाद घर में ही वितरित करें, बाहरी को न दें।

6. इस पूजा में चाहें तो दुर्गा अथवा काली का मंत्र जप भी कर सकते हैं, किन्तु साथ में तब शिव मंत्र का जप भी अवश्य करें।

7, सामान्यतय पारंपरिक रूप से कुलदेवता / कुलदेवी की पूजा में घर की कुँवारी कन्याओं को शामिल नहीं किया जाता। इसलिए उन्हें इससे अलग ही रखना चाहिये।

विशेष दिन और त्यौहार पर शुद्ध लाल कपड़े के आसान पर कुलदेवी / कुलदेवता का चित्र स्थापित करके घी या तेल का दीपक लगाकर गूगल की धुप देकर घी या तेल से हवन करकर चूरमा बाटी का भोग लगाना चाहिए, अगरबत्ती, नारियल, सतबनी मिठाई, मखाने दाने, इत्र, हर-फूल आदि श्रद्धानुसार।

नवरात्री में पूजा अठवाई के साथ परम्परानुसार करनी चाहिए।

पितृ देवता के पूजन की सरल विधि :-

शुद्ध सफेद कपड़े के आसान पर पितृ देवता का चित्र स्थापित करके, घी का दीपक लगाकर गूगल धुप देकर, घी से हवन करकर चावल की सेनक या चावल की खीर - पूड़ी का भोग लगाना चाहिए। अगरबत्ती , नारियल, सतबनी मिठाई, मखाने दाने, इत्र, हर - फूल आदि श्रद्धानुसार।

* चावल की सेनक : चावल को उबाल पका लेवे फिर उसमे घी और शक्कर मिला ले।

* अठवाई : दो पूड़ी के साथ एक मीठा पुआ और उस पर सूजी का हलवा, इस प्रकार दो जोड़े कुल मिलाकर ४ पूड़ी ; २ मीठा पुआ और थोड़ा सूजी का हलवा ।

कुलदेवी / कुलदेवता को नहीं पूजने, नही मानने के दुष्प्रभाव, परिणाम :- कुलदेवता या कुलदेवी का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। इनकी पूजा आदिकाल से चलती आ रही है, इनके आशिर्वाद के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। यही वो देव या देवी है जो कुल की रक्षा के लिए हमेशा सुरक्षा घेरा बनाये रखती है।

आपकी पूजा पाठ, व्रत कथा जो भी आप धार्मिक कार्य करते है उनको वो आपके इष्ट तक पहुँचाते है। इनकी कृपा से ही कुल वंश की प्रगति होती है। लेकिन आज के आधुनिक युग में लोगो को ये ही नहीं पता की हमारे कुलदेव या देवी कौन है। जिसका परिणाम हम आज भुगत रहे हैं।

आज हमें यह पता ही नहीं चल रहा की हम सब पर इतनी मुसीबते आ क्यों रहे है ? बहुत से ऐसे लोग भी है जो बहुत पूजा पाठ करते है, बहुत धार्मिक है फिर भी उसके परिवार में सुख शांति नहीं है।

बेटा बेरोजगार होता है बहुत पढने - लिखने के बाद भी पिता पुत्र में लड़ाई होती रहती है, जो धन आता है घर मे पता ही नहीं चलता कौन से रास्ते निकल जाता है। पहले बेटे - बेटी की शादी नहीं होती, शादी किसी तरह हो भी गई तो संतान नहीं होती। ये संकेत है की आपके कुलदेव या देवी आपसे रुष्ट है।

आपके ऊपर से सुरक्षा चक्र हट चूका है, जिसके कारण नकारात्मक शक्तियां आप पर हावी हो जाती है। फिर चाहे आप कितना पूजा - पाठ करवा लो कोइ लाभ नहीं होगा।

लेकिन आधुनिक लोग इन बातो को नहीं मानते। आँखे बन्द कर लेने से रात नहीं हो जाती। सत्य तो सत्य ही रहेगा। जो हमारे बुजुर्ग लोग कह गए वो सत्य है, भले ही वो आप सबकी तरह अंग्रेजी स्कूल में ना पढ़े हो लेकिन समझ उनमे आपसे ज्यादा थी। उनके जैसे संस्कार आज के बच्चों में नहीं मिलेंगे।

आपसे निवेदन है की अपने कुलदेव या कुलदेवी का पता लगाऐ और उनकी शरण में जाये। अपनी भूल की क्षमा माँगे और नित्य कुलदेवता / कुलदेवी की भी पूजा करे।