पाकुड़िया : एक तरफ सरकार जहां मरीजों को हरसंभव बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने को कृत संकल्पित है। वहीं दूसरी ओर सरकारी उपेक्षा और उदासीनता के कारण पाकुड़िया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग द्वारा निर्माणाधीन 50 बेड वाला मॉडल अस्पताल का निर्माण कार्य विगत 11 वर्षों से अधूरा पड़ा है।
करीब चार करोड़ 62 लाख की लागत से बनने वाले अस्पताल निर्माण का कार्य पूरा नहीं होने से आधे अधूरे भवन की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है और वह खंडहर में तब्दील होने लगा है बहरहाल सरकार ने जिस उपदेश से इसकी आधारशिला रखी थी हुआ है 11 वर्षों के बाद भी पूरा नहीं हो सका है। इतने वर्षों के दरमियान किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने जनहित में इस आधे अधूरे भवन को पूरा करने में अपनी कोई रुचि नहीं दिखाई।
नतीजतन भवन का निर्माण कार्य आज भी अधूरा पड़ा है। जानकारी के अनुसार इसके निर्माण में अब तक करीब 3 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है, लेकिन इसका कोई भी फायदा पाकुड़िया की डेढ़ लाख की आबादी वाले प्रखंड वासियों को नहीं मिल पा रहा है। सामान्य बीमारी होने पर भी प्रखंड के लोगों को पश्चिम बंगाल के सरकारी या निजी अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ता है ।
वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सुविधा की पहले से ही घोर कमी के कारण सामान्य बीमारी या घटना दुर्घटना में मरीज को तुरंत बाहर रेफर कर दिया जाता है। झारखंड सरकार के 2008 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप साही ने वहां मॉडल अस्पताल निर्माण की स्वीकृति दी थी। परंतु वह अब तक पूरा नहीं हो सका है। आदिम जाति जनजाति बाहुल्य सीमावर्ती क्षेत्र इस पिछड़े प्रखंड की पूरी आबादी इस मॉडल अस्पताल के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। ताकि उन्हें बीमार होने पर वक्त बेवक्त बंगाल दौड़ने से छुटकारा मिल सके। बरहाल प्रखंड की जनता इस अत्याधुनिक सुविधा पूर्ण मॉडल अस्पताल के चालू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।