गिरिडीह में पांच सौ में लगभग 12 उद्यमी डीवीसी के डायरेक्ट उपभोक्ता : निर्मल झुनझुनवाला
गिरिडीह : दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने बीते दस मार्च से 18-18 घंटे की बिजली कटौती शुरू कर दी है। इससे राज्य के सात जिले प्रभावित हैं। जिनमें धनबाद, बोकारो, चतरा, गिरिडीह, हजारीबाग, कोडरमा और रामगढ़ शामिल है।
साल 2015 में तत्कालीन राज्य सरकार ने इन सातों जिलों को सेंट्रल ग्रिड से जोड़ने की घोषणा की थी। लेकिन इसके बाद इस पर कोई पहल नहीं की गयी। नतीजतन इन सातों जिलों में डीवीसी के अलावा अब लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है।
डीवीसी की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि जेबीवीएनएल के पास डीवीसी के 4995 करोड़ रूपये बकाया है। नवंबर के पहले जेबीवीएनएल की ओर से 4295 करोड़ रूपये डीवीसी को दिये जाने थे। लेकिन सरकार की ओर से यह भुगतान नहीं किया गया। यधपि वर्ष 2019-20 के लिये 2200 करोड़ का आवंटन किया गया था। पिछले दो माह में बकाये राशि में लगभग सात सौ करोड़ का इजाफा हुआ। जिसके कारण कुल बकाया 4995 करोड़ रूपये है। कई बार नोटिस के बाद डीवीसी ने बिजली कटौती शुरू कर दी।
चेंबर ऑफ कॉर्मस के रिजिनल वाइस प्रेसिडेंट और गिरिडीह जिला के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने बताया कि पिछले कुछ सालों से लगातार इन सातों जिलों को सेंट्रल ग्रिड से कनेक्ट करने की मांग की गयी है।
पूर्व सरकार ने पहल भी की। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जबकि पिछले कुछ सालों में कई बार डीवीसी ने बकाया भुगतान न होने के कारण बिजली कटौती की है। उन्होंने बताया कि जेबीवीएनएल को सभी उपभोक्ताओं से बिल वसूली डीवीसी के जरिये करने की भी मांग की जाती रही है। जिससे डीवीसी ही सातों जिलों में बिजली आपूर्ति के दायित्व को संभाले। लेकिन सरकार और जेबीवीएनएल ने यह भी नहीं किया।
पूर्व सरकार ने इन सात जिलों में अलग से इंडस्ट्रीयल फीडर बनाने की भी घोषणा की थी। जिसमें से रामगढ़, बोकारो और धनबाद में एक-एक इंडस्ट्रीयल फीडर बनाया गया। लेकिन चतरा, गिरिडीह, कोडरमा और हजारीबाग इन चार जिलों में इंडस्ट्रीयल फीडर नहीं बनाया गया। और तो और अभी तक किसी भी सरकार ने इन चारों जिलों को इंडस्ट्रीयल एरिया बनाने की कोशिश भी नहीं की। जबकि इन क्षेत्रों में उद्योग है। इसके बाद भी इन जिलों में इंडस्ट्रीयल फीडर की व्यवस्था नहीं की गयी।
झुनझुनवाला ने बताया कि सिर्फ बोकारो, धनबाद और गिरिडीह की बात की जाये तो लगभग तीन हजार लघु और मध्यम उद्योग हैं। जबकि सिर्फ गिरिडीह में लगभग पांच सौ लघु और मध्यम उद्योग हैं। इसके बाद भी अन्य चार जिलों में इंडस्ट्रीयल फीडर नहीं बनाये गये। इतना ही नहीं गिरिडीह में पांच सौ में से लगभग 12 उद्यमी डीवीसी के डायरेक्ट उपभोक्ता है। जिनमें स्टील प्लांट, रोलिंग मिल आदि के उद्योग हैं। झुनझुनवाला ने बताया कि इन सात जिलों में लोगों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
इन सातों जिलों में डीवीसी वैसे उपभोक्ताओं को बिजली देती है जो पांच सौ मेगावाट या इससे अधिक बिजली खपत करते है। वहीं अन्य उपभोक्ता जेबीवीएनएल से बिजली लेते हैं। ऐसे में डीवीसी की ओर से 18-18 घंटे बिजली कटौती करने से सबसे अधिक परेशानी छोटे और बड़े उद्यमियों और सार्वजनिक क्षेत्रों को हो रही है।
विदित हो कि राज्य में प्रतिदिन कुल बिजली खपत एक हजार मेगावाट है। इसमें से लगभग सात सौ मेगावाट सेंट्रल पोल से आपूर्ति की जाती है। ऐसे में इन जिलों को भी अगर सेंट्रल पोल से जोड़ दिया जाता तो इनके पास विकल्प होता।
गौरतलब है कि झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग की ओर से जेबीवीएनएल, डीवीसी, एनटीपीसी समेत सभी बिजली उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं को यह निर्देश दिया गया है कि सभी उपभोक्ताओं को बिना रोक टोक के बिजली दी जाये। फिर कोई कितनी भी बिजली इस्तेमाल करे या किसी भी जोन में आये। लेकिन डीवीसी मात्र पांच सौ मेगावाट से अधिक बिजली उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं को ही बिजली उपलब्ध कराती है, अन्य उपभोक्ताओं को जेबीवीएनएल।