शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

विश्व पटल पर हिंदी : चुनोतियाँ एवं समाधान, विषयक संगोष्ठी का आयोजन

गिरिडीह(Giridih)। सरिया कॉलेज में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर "विश्व पटल पर हिंदी : चुनोतियाँ एवं समाधान विषयक संगोष्ठी एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ संतोष कुमार लाल ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा को सदा सम्मान देना चाहिए। विश्व पटल पर हिंदी का काफी प्रसार हो रहा है। हमें ससम्मान हिंदी भाषा का अत्यधिक प्रयोग करना चाहिए। अपनी दिनचर्या में हिंदी भाषा का बढ़-चढ़कर प्रयोग करें। हिंदी जब राष्ट्रभाषा बन जाएगी तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी की गूँज पूरे विश्व में भी होगी। उन्होंने छात्रों से मिश्रित हिंदी के जगह शुद्ध हिंदी भाषा के प्रयोग करने की बात कही। 


हिंदी विभागाध्यक्ष रघुनंदन हजाम ने कहा कि देश की आजादी एवं विकास में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसे योगदान को भुनाने की जरूरत है। भारत के महापुरुषों, साहित्यकारों, हिंदी प्रेमियों का विश्व पटल पर हिंदी के प्रसार में अहम भूमिका रही है। हमारे महापुरुषों ने हिंदी के भविष्य के लिये जो सपना देखा था उन सपनों को पूरा करने के लिए हिन्दी भाषियों को आगे आना होगा। डॉ प्रमोद कुमार ने विश्व पटल पर हिंदी के वर्तमान परिदृश्य एवं इसकी चुनोतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतवर्ष के लिए गर्व की बात है कि वर्तमान में हिंदी का प्रसार विश्व के विभिन्न देशों एवं विश्वविद्यालयों तक तेजी से हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मातृभाषा में अंतरराष्ट्रीय पटल पर पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व एवं सम्बोधन कर हिंदी के सम्मान में कृतसंकल्पित रहे हैं। स्वामी विवेकानंद का भी योगदान सराहनीय है। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रमोद कुमार ने किया।


वहीं भाषण प्रतियोगिता में सपना कुमारी, प्रेरणा कुमारी, नेहा कुमारी, टिंकल कुमारी, अनु सोनी, पिंकी कुमारी, संध्या रानी ने भाग लिया। जिसमें प्रथम प्रेरणा कुमारी, द्वितीय नेहा कुमारी एवं तृतीय स्थान पर टिंकल कुमारी रहीं। विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर प्रो अरुण कुमार, रवींद्र कुमार मिश्रा, आसित दिवाकर, डॉ आशीष कुमार सिंह, डॉ शिलेष मोहन, डॉ स्वेता, प्रो अल्का रानी जोजो समेत काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित हुए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें