शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

साम्प्रदायिक सौहार्द का मिशाल है पोबी का दुर्गा पूजा

साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश देता है पोबी का दुर्गोत्सव


जमुआ :  गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखण्ड अंतर्गत ऐतिहासिक ग्राम पंचायत पोबी में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1830 में वास्तुकला का जीवंत प्राचीन पंचमन्दिर में स्थापित माँ दुर्गा की पाषाण प्रतिमा की पूजा अर्चना अब तक विधिवत जारी है। वर्ष 2007 से इस मंदिर परिसर के कृतिम मण्डप में कलश स्थापना के दिन से ही माँ दुर्गा , लक्ष्मी, सरस्वती, श्रीगणेश, कार्तिक आदि देवी देवताओं की भी प्रतिमा स्थापित कर सामुदायिक सहभागिता से पुरे भक्ति भाव के साथ आस्था पूर्वक पूजन अर्चना किया जाता हैं। 

 गौरतलब है कि यह पोबी गांव एकीकृत बिहार सरकार में तीन बार मंत्री रहे जमुआ प्रखंड के एकमात्र भूतपूर्व स्वतंत्रता सेनानी स्व सदानंद प्रसाद की जन्म व कर्मस्थली रही है। इस गांव में होने वाली दुर्गा महोत्सव में हिन्दूओं के अलावे मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढ-चढ़ कर भाग लेते हैं और क्षेत्र की अमन, चैन, शांति तरक्की के लिए दुआ करते है। 

मन्दिर के मुख्य पुजारी संपूर्णानंद प्रसाद, युवा समाजसेवी सह मीडिया प्रभारी योगेश कुमार पाण्डेय व पोबी के मुखिया नकुल कुमार पासवान ने बताया कि इस मन्दिर परिसर में अष्टमी से दशमी तक तीन दिवसीय मेला का आयोजन होता हैं। इस दौरान दिन भर वैदिक मंत्रोच्चारण से वातावरण गुंजायमान रहता है। वही भक्ति संध्या कार्यक्रम में प्रतिदिन प्रोजेक्टर के माध्यम से पर्दा पर रामायण, दुर्गा सप्तशती पर आधारित भक्ति सीरियल, चलचित्र दिखाया जाता है। जिससे माहौल पूर्णरूपेण भक्तिमय हो गया है। जिसे देखने प्रतिदिन महिलाओं का हुजूम उमड़ पड़ता है।  
दुर्गा पूजा आयोजन समिति के अधिकारी, सदस्यगण के अलावे ग्रामीण पूरी सिद्दत के साथ जुड़े हुए हैं।

विदित हो कि चित्रांश परिवार से जुड़े इस पोबी गांव के  दर्जनाधिक आई एस, आई पी एस अधिकारी, सहित विदेशो में उच्चस्थ पदों पर आसीन व राजनीति के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले चित्रांश भाई बन्धु दुर्गा पूजा के अवसर पर अपने पैतृक गांव निश्चित तौर पर पहुंचते हैं। जिससे गाँव का वातावरण न केवल पूरी तरह से गुलजार हो जाता हैं बल्कि गांव में काफी चहल पहल हो जाती है। उन सभी चित्रांशों का माँ दुर्गा के पूजन में भी काफी उल्लेखनीय सहयोग रहता है। 

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