रांची (Jharkhand)। झारखण्ड सरकार ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी को राज्य के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का बड़ा फैसला लिया है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है.इस प्रस्ताव को 31 अगस्त तक अंतिम रूप दिया जाएगा और एनसीईआरटी की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. अगले शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रम में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को जोड़ा जाएगा.
शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने बताया कि कक्षा 1 और 2 के बच्चों को चित्रकथा के जरिए शिबू सोरेन का जीवन परिचय और योगदान बताया जाएगा.कक्षा 4 के बच्चों को कहानियों और कविताओं के जरिए पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान के बारे में पढ़ाया जाएगा. कक्षा 6 के बच्चों को सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में नशा मुक्ति और स्वशासन के लिए उनके अभियानों को पढ़ाया जाएगा.क्लास 7 के बच्चों को शिबू सोरेन द्वारा चलाई गई रात्रि पाठशालाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिसका मकसद समाज में शिक्षा और जागरूकता फैलाना था. कक्षा 8 के बच्चों को हिंदी और सामाजिक विज्ञान में उनके मानवीय पक्ष और महाजनों के खिलाफ चलाए गए आंदोलनों के बारे में बताया जाएगा.
कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में उनके 16 सूत्री सामाजिक उत्थान कार्यक्रम, राजनीतिक यात्रा और जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए चलाए गए शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने बताया कि कक्षा 1 से 8 तक का पाठ्यक्रम राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) तय करती है, जबकि कक्षा 9 से 12 तक के लिए एनसीईआरटी पैटर्न का पालन किया जाता है. हालांकि, एनसीईआरटी राज्यों को पाठ्यक्रम में 20% तक का बदलाव करने की छूट देती है, जिसे वह स्वीकार कर लेती है. अभियानों के बारे में पढ़ाया जाएगा.
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