मिटको की तरह गिरिडीह कोलियरी में भी न लग जाये ताला
सरकार पहल कर इस कोलियरी को उजड़ने से बचाये
राजेश कुमार की रिपोर्ट
गिरिडीह : सदर प्रखंड के लगभग 50 हज़ार से अधिक परिवार प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से गिरिडीह कोलियरी पर निर्भर है। लेकिन गिरिडीह की एक मात्र बनियाडीह कोलियरी की स्थिति काफी दयनीय है। चालू फरवरी माह में गिरिडीह का यह एक मात्र कोलियरी लगभग डेढ़ सौ करोड़ के नुकसान तक पहुंच चुका है। बाबजूद इसके गिरिडीह के बड़े, मझोले व छुटभैय्ये नेताओं की राजनीति का मुख्य केंद्र बना हुआ है यह बनियाडीह कोलियरी।
गौरतलब है कि गिरिडीह कोलियरी के कारण ही सीसीएल के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों को मुफ्त में पानी, बिजली, शिक्षा आदि मुहैय्या कराया जा रहा है। इतना ही नहीं बाहर से आकर जबरिया सीसीएल के जमीन पर बस गये लोगों को भी मूलभूत सुविधा सीसीएल मुफ्त में उपलब्ध करवाती है। सीसीएल द्वारा मुहैय्या कराये जाने वाली मुफ्त सेवाओं मसलन खाना बनाने के लिए कोयला, बिजली व पानी प्राप्त करने के बाबजूद लोग गिरिडीह सीसीएल कोलियरी का कोयला चोरी करके बेच रहे हैं।
अगर कोयला चोरी इसी तरह चलता रहा तो आने वाले दिनों में गिरिडीह कोलियरी में भी मिटको की तरह ताला लग जाएगा। और, फिर आयेगी निजी कंपनी और कायम हो जायेगा उनका साम्राज्य। उस वक्त गोड्डा एवं बरकागांव में जिस प्रकार वँहा बसे लोगों को उजाड़ा गया उसी प्रकार यहां के निचले तबके के लोगों को उजाड़ दिया जाएगा।
गिरिडीह कोलियरी में कुछ यूनियन नेता भी यूनियन के नाम से दाखिल हुये। वह यूनियन नेता पहले कोलियरी में ठेकेदारी किए बाद में सीधे तौर पर कोयला चोरी में संलिप्त हो गए। सूत्रों की माने तो कोयला के कारोबार में कई सफेदपोश नेता जुड़े हैं। जिन्हें प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।
सीसीएल की कबरीबाद माइंस हो अथवा ओपन कास्ट इन स्थानों पर कोयले का अवैध कारोबार सीसीएल के वरीय अधिकारियों-पदाधिकारियों सहित जिले की पुलिस महकमा देखरेख में चलता है। जिसके एवज मे कोयले के अवैध कारोबारी बाबू से लेकर चपरासी तक को बंधी बंधाई मोटी रकम देते हैं।
ऐसे में कोलियरी का विकास तो कदापि नहीं हो सकता लेकिन हाँ विनाश निश्चित है। सूबे की हेमन्त सोरेन सरकार यदि वाकई जल, जंगल और जमीन की हिमायती है तो इस दिशा में पहल कर मामले की जांच कराएं एवं गिरिडीह की एक मात्र बनियाडीह कोलियरी को उजड़ने से बचाएं।
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