गिरिडीह (Giridih)। खालसा पंथ के संस्थापक व सिक्खों के 10वें गुरू गुरू गोबिंद सिंह जी का 359 वां प्रकाश पर्व सोमवार को स्टेशन रोड स्थित गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बड़े ही धूमधाम से उल्लास पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा में विशेष दीवान का आयोजन किया गया। गुरूद्वारे को आकर्षक रंग बिरंगे फूलों व रोशनी से सजाया गया था।
देहरादून के रागी जत्था भाई हरप्रीत सिंह व उनकी टीम के द्वारा वह प्रगटिओ मरद अगंमड़ा वरीआम इकेला।। वाह वाह गोबिंद सिंघ आपे गुरू चेला ।। देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं टरूं, डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं ... जैसे कई शबद कीर्तन प्रस्तुत किये गये। जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई। कीर्तन के माध्यम से संगतों को भाई हरप्रीत सिंह ने बताया कि मानव को अपने जीवन में सुख शांति पाने के लिए जात पात का त्याग करना चाहिए व सबों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करना चाहिए।
गुरूद्वारा के प्रधान मुख्य सेवक डाॅ गुणवंत सिंह मोंगिया व सचिव सम्मी सलूजा ने बताया कि गुरूगोबिंद सिंह जी की जयंती को लेकर 4 जनवरी को अखंड पाठ रखा गया था। जिसका समापन आज गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर हुआ। कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह सिक्खो के दसवें धार्मिक गुरु थे। वे एक गुरु ही नहीं बल्कि एक महान दार्शनिक, प्रख्यात कवि, निडर एवं निर्भीक योद्धा, अनुभवी लेखक और संगीत के पारखी भी थे। वे सिर्फ 9 वर्ष की आयु में सिक्खों के नेता बने एवं अंतिम सिक्ख गुरु बने रहे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने न सिर्फ अपने महान उपदेशों के माध्यम से लोगों को सही दिशा दिखाई, बल्कि उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचारों और अपराधों के खिलाफ भी विरोध किया एवं खालसा पंथ की स्थापना की, जो को सिख धर्म के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना के तौर पर अंकित है।
आज प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा में लंगर की संपूर्ण सेवा मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू के द्वारा की गई थी। गुरूद्वारे में विधायक सोनू की धर्म पत्नी श्वेता शर्मा ने अपनी पुत्री के साथ माथा टेका और गुरू महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही लंगर भी ग्रहण किया। मंत्री सोनू कतिपय व्यस्तता के कारण शामिल नहीं हो सके। वहीं लंगर में काफी संख्या में लोगों ने सिरकत की। कार्यक्रम में बीजेपी नेता विनय सिंह शामिल हो गुरु महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।
मौके पर डाॅ अमरजीत सिंह सलूजा, चरणजीत सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह, गुरविंदर सिंह, तरणजीत सिंह बंटी, सतविंदर सिंह सलूजा, , देवेंदर सिंह, अजींदर सिंह चावला, तरणजीत सिंह जिम्मी, हर्षदीप सिंह, देवेंद्र सिंह, गुरूदीप सिंह बग्गा, कुशल सलूजा हरमिंदर सिंह बग्गा, कुंवरजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह, गुरभेज सिंह कालरा, सुधीर आनन्द, रिसी सलूजा समेत काफी संख्या में सिक्ख समुदाय के महिला व पुरुष शामिल थे।