बेंगलुरु। पूर्व विदेश मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का मंगलवार तड़के 2.45 बजे बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे। कृष्णा तीन बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। उन्होंने 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
एसएम कृष्णा एक परिचय
एसएम कृष्णा, जिनका पूरा नाम सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा था। उनका जन्म 1 मई, 1932 को मांड्या जिले के सोमनाहल्ली गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मैसूरु में प्राप्त की। उन्होंने बेंगलुरु के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। वे फुलब्राइट स्कॉलर भी रहे। उन्होंने महाराजा कॉलेज, मैसूरु, सरकारी लॉ कॉलेज, बेंगलुरु, सदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी, डलास टेक्सास, यूएसए से पढ़ाई की। फुलब्राइट स्कॉलर के रूप में उन्होंने जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डीसी, यूएसए से भी शिक्षा प्राप्त की। राजनीति में आने से पहले वे श्री जगद्गुरु रेणुकाचार्य लॉ कॉलेज, बेंगलुरु में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर भी रहे। वर्ष 1964 में उन्होंने प्रेमा से शादी की। कृष्णा वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सर्विस से भी जुड़े रहे। उन्हें टेनिस खेलना बहुत पसंद था। उन्हें पुरुषों के कपड़े डिजाइन करने और पढ़ने का भी शौक था।
कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे कार्यरत
कृष्णा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मांड्या से विधायक के रूप में की थी। 1962 में वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीते थे। कृष्णा ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे लोकसभा सदस्य, राज्यसभा सदस्य, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और MLC भी रहे।
कृष्णा 1962 से 1967 तक तीसरी कर्नाटक विधानसभा के सदस्य रहे। 1965 में उन्होंने न्यूजीलैंड में हुए राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में भाग लिया। 1968 से 1970 तक वे चौथी लोकसभा के सदस्य और 1971 से 1972 तक पांचवीं लोकसभा के सदस्य रहे। 1972 से 1977 तक वे कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य रहे। इस दौरान उन्होंने कर्नाटक सरकार में वाणिज्य, उद्योग और संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। 1982 में वे संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे। 1983-84 में केंद्रीय उद्योग राज्य मंत्री और 1984-85 में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री रहे।
पहले सीएम फिर विदेश मंत्री
1989 से 1994 तक वे नौवीं कर्नाटक विधानसभा के सदस्य और 1989 से 1992 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। मार्च 1990 में उन्होंने वेस्टमिंस्टर, यूके में राष्ट्रमंडल संसदीय संगोष्ठी में भाग लिया। 1992 से 1994 तक वे कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री रहे। अप्रैल 1996 से अक्टूबर 1999 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। 11 अक्टूबर, 1999 से 20 मई, 2004 तक उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री बने। 2004 से 2008 तक वे महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे। उनका निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है।
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